शरीर की इम्युनिटी के साथ मन की इम्युनिटी भी बढ़ाएं

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एक मिनट के लिए भी मास्क उतारो तो पता नहीं चलेगा और ‘संक्रमण’ हो जाएगा। मतलब थोड़ा-सा भी ध्यान छोड़ा पुरुषार्थ में तो थोड़ा-पकड़ लेगा।

इम्युनिटी कैसे बढ़ाते हैं? किसी भी डॉक्टर के पास जाएं और बोलें कि इम्युनिटी बढ़ानी है तो सबसे पहले वह खुराक के बारे में बात करेंगे। पूछेंगे आपकी डाइट कैसी है? आत्मा की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए भी सही खुराक चाहिए। मतलब आत्मा को क्या ग्रहण करना है और क्या ग्रहण नहीं करना है, इसके लिए भी वक्त निकालना ज़रूरी है।
जब हवा में भी डर और चिंता है, घर की हवा में भी वही है, तब उसका प्रभाव हम पर न पड़े, ऐसा नहीं हो सकता। इसलिए हमारी अंतरात्मा की इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग नहीं, परफेक्ट होनी चाहिए। ये भी एक महामारी है। एक मिनट के लिए भी मास्क उतारो तो पता नहीं चलेगा और क्रसंक्रमणञ्ज हो जाएगा। मतलब थोड़ा-सा भी ध्यान छोड़ा, पुरुषार्थ में थोड़ा-पकड़ लेगा। ऐसे में अपने सारे दिन की विचार-प्रक्रिया में देखना पड़ेगा कि मेरी सोच में कौन-सा इंफेक्शन है, जिसकी सफाई करने की ज़रूरत है। टॉक्सिन यानी विषाक्त पदार्थ जैसे शरीर में बढ़ते हैं, वैसे ही ये दिमाग में भी कई गुना बढ़ते रहते हैं। जब शुरू-शुरू में बढ़ते हैं तो पता नहीं चलता कि वो टॉक्सिन हैं। शरीर के टॉक्सिन कभी पता नहीं चलते, लेकिन वो बढ़ते-बढ़ते बीमारी का रूप ले लेते हैं।
जब हम सुबह-सुबह दिन की शुरुआत आध्यात्मिक ज्ञान से करते हैं तो यही है हमारी खुराक। अगर मुझे अपनी शक्ति को बढ़ाना है तो मुझे अपने दिन की शुरुआत आध्यात्मिक ज्ञान से करनी होगी। अब वो समय चला गया, जब हम अपने आपसे कहते हैं कि इसके लिए मेरे पास टाइम नहीं है। अब जिसने भी अपने आपको कहा कि मेरे पास टाइम नहीं है, उन्हें उस दिन की तारीख नोट करके रखनी चाहिए कि मैंने आज अपने आपको कहा कि मेरे पास खुद की शक्ति बढ़ाने के लिए टाइम नहीं है। और फिर बाद में जब लगेगा तो वो तारीख देखिएगा कि अगर मैंने खुद पर काम किया होता तो मेरी शक्ति अब तक कितनी बढ़ गई होती।
लोगों को लगता है कि हम जितना ज्य़ादा समय बच्चों के साथ बिताएंगे, उनको उतनी अच्छी परवरिश मिलेगी। सोचिए अगर इतनी अच्छी परवरिश मिल रही होती तो फिर आज बच्चों में मानसिक बीमारियां क्यों बढ़ रही होती? बच्चों को समय दें, यह बहुत ज़रूरी है,लेकिन देखें कि उस समय में उन्हें शक्ति कौन-सी मिल रही है। उनके लिए अगर हम वक्त निकालते हैं और जाकर आत्मा रूपी बैटरी को चार्ज करते हैं तो उसका सबसे पहला फायदा किसको मिलेगा? जो घर में रहते हैं, उनको। उससे भी सबसे ज्य़ादा बेनिफिट किसको मिलेगा- बच्चों को मिलेगा। क्योंकि बच्चों का जो संग है, अभी एक तो है फोन और दूसरा टीवी। ऊपर से साथ में जो बच्चे हैं उनकी बैटरी कैसी है- उनके आसपास का संग चाज्र्ड है, नहीं है। तो अब आप कल्पना करो कि आपका बच्चा, उसकी बैटरी 50 प्रतिशत पर है लेकिन उसके आसपास का जो संग है, वो और भी कम है। कम की बैटरी से बैटरी कनेक्ट कर दी तो उसकी बैटरी भी डाउन हो जाएगी। हर बच्चे को आज एक ही चीज़ की ज़रूरत है और वो है जितनी छोटी आयु से उनकी बैटरी को चार्ज करेंगे, उतना ही उनके लिए अच्छा होगा। इसके लिए मन की इम्युनिटी बढ़ाएं।

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