एक बार की बात है। एक लडक़ा अपनी जि़ंदगी में बहुत परेशान था। घर की सारी जि़म्मेदारियां उसी पर थी। और इसी वजह से वह अपने आप को भी ज्य़ादा टाइम नहीं दे पाता था। और बस दिन रात काम किया करता था। वो उसके दोस्तों और उसके फैमिली वालों को भी टाइम नहीं दे पाता था। उसके जो दोस्त थे, वह घूमने जाया करते थे। लेकिन यह नहीं जा पाता था। और इसी वजह से उसकी खुशी छीन-सी गई थी।
उसे भी नहीं पता था कि वह लास्ट टाइम कब दिल से खुश हुआ था। क्योंकि वह काम में बहुत उलझ-सा गया था। और उसकी मेंटल हेल्थ भी खराब हो रही थी। तो एक दिन वह एक बुज़ुर्ग बाबा के पास जाता है। और उन्हें यह सारी बातें बताता है कि मैं बहुत परेशान रहने लगा हूँ।
खुद को भी टाइम नहीं दे पा रहा हूँ। और जब मैं खुद के लिए टाइम निकालने का सोचता हूँ तो मुझे अपनी जि़म्मेदारियां याद आ जाती हैं। मैं पागल-सा हो गया हूँ। अब आप ही मुझे कोई रास्ता बताइए।
वह बुज़ुर्ग बाबा, उस लडक़े को अगले दिन नदी के पास आने के लिए बोलते हैं। यह लडक़ा जब नदी के पास जाता है, तो देखता है कि वह बुज़ुर्ग बाबा पहले से ही उसका इंतज़ार कर रहे थे। लडक़ा बाबा से कहता है कि बताइए बाबा, अब मुझे क्या करना है?
तो बुज़ुर्ग बाबा उस लडक़े से कहते हैं कि बताता हूँ लेकिन पहले हमें नदी की उस साइड में जाना है। मतलब नदी के उस किनारे पर जाने के बाद, मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम्हें क्या करना चाहिए।
लडक़े को उनकी बात समझ नहीं आई कि नदी के उस किनारे पर जाने के बाद ही क्यों बताना है! लेकिन फिर भी लडक़े ने बाबा से कहा चलिए फिर हम नदी पार करके, नदी के उस किनारे पर चले जाते हैं।
तभी बाबा ने उससे कहा ऐसे नहीं, हम उस किनारे पर तब जाएंगे, जब इस नदी का पूरा पानी सूख जाएगा। जब इस नदी की ज़मीन दिखनी शुरू हो जाएगी। तब हम दोनों इस नदी में से चलते हुए, नदी को पार करके उस साइड में जाएंगे।
लडक़े ने बाबा की तरफ देखते हुए कहा, बाबा आप यह क्या बोल रहे हो! जब इस नदी का सारा पानी सूख जाएगा, तब हम यह नदी पार करके उस साइड में जाएंगे! तो शायद ऐसा कभी नहीं होगा।
हम उस साइड में जा ही नहीं पाएंगे। यह बात बोलते हुए वह लडक़ा समझ गया, कि बाबा उसे क्या कहना चाहते हैं। बाबा ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा, कि यही चीज़ मैं तुम्हें समझाना चाहता हूँ कि तुम भी अपनी जि़ंदगी में यही सोच रहे हो कि जब मेरी सारी जि़म्मेदारियां खत्म हो जाएंगी, तब मैं अपनी जि़ंदगी में एन्जॉय करूंगा। तब अपने आप को टाइम दूंगा, तब मैं मजे करूंगा, तो ऐसा कभी नहीं हो सकता है। क्योंकि जि़म्मेदारियां कभी भी खत्म नहीं हो सकती हैं। अब वह लडक़ा क्लियर तरीके से समझ गया था कि चाहे अमीर आदमी हो या गरीब, उसकी कुछ ना कुछ जि़म्मेदारियां हैं। और वह उन्हीं जि़म्मेदारियों में से कुछ टाइम निकाल कर, एन्जॉय कर लेते हैं। और इसे ही जि़ंदगी कहते हैं।
सीख : इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जि़ंदगी बहुत छोटी है और टाइम बहुत फास्ट। तो अपनी जि़ंदगी के हर मोमेंट को एन्जॉय करो, नहीं तो टाइम निकल जाएगा।