हिलना नहीं, खिलना है…

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हम बड़े नशे से कहते हैं कि बनाया प्रभु ने है अपना, दिया सुख हमें है कितना। ये कोई साधारण महावाक्य नहीं है और ये महावाक्य कोई ऐसे ही बोल भी नहीं सकता। तो वास्तव में हम कितने भाग्यवान ठहरे ना! देखो बिगड़ी को बनाने वाला अपना हो गया है तो फिर तो कोई हमारा कुछ बिगाड़ भी नहीं सकता है। फिर क्यों ये अजीब-सा डर, ये भय, ये चिंता? अरे! फिर परमात्म प्राप्ति का आपने लाभ ही क्या लिया? आप पहले भी डरते थे, भयभीत होते थे, चिंतित रहते थे और आज भी यही सब है आपके जीवन में, कभी बीते कल की फिक्र,तो कभी आने वाले की। अरे! आप स्वयं ही सब कर लेंगे या कुछ भगवान के लिए भी छोड़ेंगे। बहुत बार ब्राह्मण आत्माओं के परिस्थिति आने पर पसीने छूट जाते हैं। उनका ये कहना है कि हम बाबा के बन गए फिर इतनी सब समस्यां हमारे सामने क्यों? अरे! मीठी आत्माओं आप ये क्यों भूल जाती हो कि जितना बड़ा तूफान होगा वो उतना ही बड़ा तोहफा लाएगा! हकीकत तो ये है कि परिस्थितियां कभी हमें कमज़ोर नहीं बल्कि ताकतवर बनाने आती हैं। और बाबा ने तो ये कभी नहीं कहा कि बच्चे, तुम्हारे सामने कभी पेपर नहीं आएंगे। बल्कि बाबा ने ये कहा है कि आने वाला समय बहुत भयानक होगा, चारों तरफ हाहाकार होगा, हर तरफ से पेपर आएंगे, क्योंकि ये समय ही हिसाब-किताब चुक्तू करने का है। अब बहुत आत्माएं हार्ट फेल हो जाती हैं बाबा के ये महावाक्य सुनकर, परन्तु वे ये क्यों नहीं याद रखती कि बाबा ने ये भी कहा है कि अंत समय में आपको मदद भी 100 गुना मिलेगी। 100 गुना मदद लेने की चाबी है हिम्मत, ये बात हमें अंडरलाइन करनी होगी। बाबा का ही महावाक्य है कि हिम्मते शक्तियां, मदद दे सर्वशक्तिवान। अब बाबा ने कहा कि हिम्मत का कदम पहले आपका फिर पदम गुणा मदद बाप की। नो हिम्मत, नो मदद। फिर चाहे आप कितने ही वर्ष पुराने क्यों ना हों। बिना हिम्मत के आज तक कोई भी व्यक्ति कोई जंग नहीं जीता है। इसलिए दिलशिकस्त होने के बजाय आओ हम एक कदम हिम्मत का उठाकर बाबा की मदद के पात्र बनें क्योंकि-
ये राहें ले ही जायेंगी मजि़ंल तक हौसला रखो,
कभी सुना है कि अँधेरे ने सवेरा होने न दिया!
इसलिए मीठे भाइयों-बहनों ऐसे हारो न हिम्मत। देखो बाबा के बच्चे हारेंगे तो जीतेगा कौन! रावण? सुना है क्या आपने पहले कभी कि भगवान की हार हुई और रावण की जीत हुई? और क्या महाभारत में भी कौरव जीते थे? भगवान की हार माना उनके बच्चों की हार, रावण की जीत माना बुराई, कमी, कमज़ोरी की जीत। हे प्यारी-मीठी आत्माओं, आप तो कल्प वृक्ष की जड़ हो, आप हिल जाओगे तो ये वृक्ष तो पूरा ही हिल जाएगा, इस वृक्ष की हर एक आत्मा हलचल में आ जाएगी, उन सभी आत्माओं की सोचो, उन आत्माओं के पास तो बाबा भी नहीं है (माना उनको, बाबा की मदद की अनुभूति नहीं है) फिर उन आत्माओं को हिम्मत कौन देगा, उन सभी में बल कौन भरेगा? क्योंकि जब जड़ ही कमज़ोर होगी तो वृक्ष मजबूत कैसे होगा? कभी ऐसा तो नहीं देखा ना कि जड़ कमज़ोर है और वृक्ष मजबूत! इसलिए चिंतन करो इस महावाक्य पर कि तुम इस कल्प वृक्ष की जड़ में बैठी देव आत्माएं हो, तुम विचलित होंगे तो ये पूरा ही कल्प वृक्ष विचलित होगा। सोचो यह पूरा कल्प वृक्ष हम बच्चों पर आधारित है, उन सभी आत्माओं के दु:ख, अशांति का कारण भला हम क्यों बनें! नहीं, बल्कि भगवान ने हमें, उन सभी आत्माओं की सेवा के निमित्त चुना है इसलिए आज से हम ये प्रतिज्ञा करते हैं कि ना तो हम स्वयं हिलेंगे(चिंतन, दु:खी, अशांत, परेशान) और ना ही हम उनको हिलाएंगे माना उनके दु:खों का कारण बनेंगे बल्कि हम तो उनका निवारण बनेंगे। हम हिलेंगे नहीं, हम तो खिलेंगे। हिलना अर्थात् हारना, खिलना अर्थात् खेलना(परिस्थितिओं से)।
याद रखें-
जो हिलता है, वो खिलता नहीं,
जो खिलता है, वो हिलता नहीं।

ब्र.कु. उर्वशी बहन,नई दिल्ली

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