जबलपुर,मध्य प्रदेश। शिव स्मृति भवन भवर ताल में डॉ.डॉबर का सम्मान। कठिन तप और साधना का सुफल है पद्म श्री सम्मान। कठिन तप और साधना का सुफल है पद्म श्री सम्मान, ये हर किसी को नहीं मिलता। वस्तुत: ‘पद्म’ शब्द अपने आप में ‘ईश्वरीय’ भाव लिए हुये है। ये बात पद्म श्री सम्मान से सम्मानित डॉ कैप्टन एमसी डाबर को सम्मानित करते हुये ब्रह्माकुमारी भावना बहन ने कही। शिव स्मृति भवन भवरताल में आयोजित सम्मान समारोह में उन्होंने कहा की हमारे शास्त्रों में भगवान के अंगों को पद्म से सुशोभित किया गया है।इसका अर्थ ही ये है कि पद्म शब्द गहरा आध्यात्मिक भाव अपने आप में लिए हुये है। समय का पाबंद होना जरुरी इस अवसर पर डॉ एम सी डाबर ने कहा कि यदि आप समय के पाबंद है, तो आपको सब कुछ मिल सकता है। समय की पाबन्दी और पेशेंस आपको सब कुछ दिलाता है। समय आपको बहुत अवार्ड दिलाता है। स्कूली जीवन से मैं समय का पाबंद रहा हूं। समय की पाबन्दी मेरे साथ चली, इसका मैंने ध्यान रखा। उन्होंने कहा कि जिंदगी में काम किया है, बात नहीं की। मैं मरीजों से बात कर लेता हूं, लेकिन माइक में बोलने में मुश्किल होती है। इस अवसर पर डॉ डाबर का शाब्दिक सम्मान करते हुये डॉ श्याम जी रावत ने कहा कि डॉ डाबर जैसे मनीषी का सम्मान होने पर सम्मान भी सम्मानित होता है। डॉ. डाबर को पद्म श्री मिलने पर सारा शहर खुद को बधाईयों से संपन्न अनुभव कर रहा है। आश्रम की ओर से डॉ डाबर को शाल श्रीफल मोमेंटो से स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ निशा साहू, डॉ सचिन कुचया, डॉ अविजित विश्नोई, डॉ लखन वैस, डॉ एस के पांडेय, डॉ पुष्पा पांडेय सहित अन्य चिकित्सक उपस्थित थे।
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