भौराकलां हरियाणा : ब्रह्माकुमारीज कर रही है, मानवीय मन का सकारात्मक परिवर्तन – डॉ. राजकुमार रंजन

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ब्रह्माकुमारीज़ के ओआरसी में दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए भारत सरकार के शिक्षा एवं राज्यमंत्री डॉ.राजकुमार रंजन, ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी, डॉ. नूपुर, डॉ अशोक, डॉ. संजय झा, बीके सुदेश एवं अन्य।

– शिक्षाविदों के लिए हुआ 3 इ एजुकेशनकार्यक्रम का आयोजन- केंद्रीय शिक्षा एवं विदेश राज्यमंत्री राजकुमार रंजन हुए बतौर मुख्यातिथि सम्मिलित 
– ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट सेंटर में हुआ आयोजन

भौराकलां हरियाणा :गुरुग्राम
ब्रह्माकुमारीज संस्था मानवीय मन को सकारात्मक दिशा प्रदान करने का सराहनीय कार्य कर रही है। उक्त विचार  भारत सरकार के शिक्षा एवं विदेश राज्यमंत्री, डॉ.राजकुमार रंजन ने ब्रह्माकुमारीज के गुरुग्राम स्थित ओम शांति रिट्रीट सेंटर में व्यक्त किए। 3इ एजुकेशन(एक्सप्लोरिंग, एक्सपीरिएंस एवं एंपावरिंग) विषय पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने मुख्यातिथि शिरकत की।

  ब्रह्माकुमारीज़ के ओआरसी कार्यक्रम में बोलते हुए भारत सरकार के शिक्षा एवं राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार रंजन


– आज सम्पूर्ण विश्व की नजर केवल भारत की ओर है

माननीय मंत्री ने कहा कि विज्ञान केवल बाह्य जगत की घटनाओं की जानकारी दे सकता है। आध्यात्मिक जगत का एक भी उत्तर विज्ञान के पास नहीं है। इसलिए आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है। उन्होंने कहा कि मैं काफी समय से मैं संस्था के सम्पर्क में हूं। संस्था भारत की सनातन संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने का मूल कार्य कर रही है। सरकार भी शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। शिक्षा का स्तर केवल सैद्धांतिक नहीं बल्कि प्रयोगात्मक होना जरूरी है। अनुभव के द्वारा सीखना बहुत आसान है।

– आंतरिक परिवर्तन ही भौतिक परिवर्तन का आधार

माननीय मंत्री ने कहा कि आध्यात्मिक रूपांतरण से ही विश्व परिवर्तन संभव है। अध्यात्म हमारी चेतना को जगाने का कार्य करता है। स्वयं को आंतरिक रूप से मजबूत बनाने से हम शिक्षा को एक बेहतर स्वरूप प्रदान कर सकते हैं। आज का ये भौतिक जगत हमारे आंतरिक जगत का ही परिणाम है। आंतरिक परिवर्तन ही बाहरी परिवर्तन का आधार है।

– शिक्षा का वास्तविक स्वरूप है विनम्रता

ओआरसी की निदेशिका आशा दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि जीवन को उमंग-उत्साह से भरना ही शिक्षा का वास्तविक अर्थ है। बाहरी दृष्टिकोण से तो हमने जीवन स्तर को बहुत अच्छा बना दिया है लेकिन मूल्यों का ह्रास हो गया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि हमें भौतिक दृष्टि से सम्पन्न बनना है। लेकिन उससे भी महत्वपूर्ण आध्यात्मिक रूप से सशक्त होना जरूरी है। सही अर्थ में विद्वता वो है, जिसमें विनम्रता है। शिक्षाविदों का विशेष कार्य मानसिक स्तर को बेहतर बनाना है। हमारा व्यक्तित्व केवल कपड़ों से ही नहीं बनता। बल्कि हमारे विचार, बोल और व्यवहार से बनता है। शिक्षा केवल किताबी ज्ञान ही नहीं है। अपने अच्छे व्यवहार से भी किसी को प्रेरित करना शिक्षा देना है। एक अच्छा शिक्षक वही है, जो अपने आदर्श जीवन से दूसरों को सिखाता है।
– सच्ची शिक्षा मानव को मुक्ति प्रदान करती है

गुरुग्राम एमिटी यूनिवर्सिटी के निदेशक डॉ. संजय झा ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज विश्व विद्यालय एकमात्र विश्व विद्यालय है, जो शिक्षा के वास्तविक रहस्य को समझाता है। शिक्षा वही है जो मुक्ति प्रदान करे। खुशी हमारे अंदर है, जिसे अनुभव करने के लिए हमें आत्मसात होना होगा।

– इन्होंने भी रखे अपने विचार

कार्यक्रम में नॉर्थ कैप यूनिवर्सिटी की कुलपति डॉ. नुपुर, दिल्ली यूनिवर्सिटी की विजिटिंग प्रोफेसर डाॅ. उमा गुलाटी, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के उप निदेशक डॉ. निखिल कांत, स्टारेक्स यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अशोक एवं केंद्रीय विद्यालय की पूर्व प्राचार्य डॉली अग्निहोत्री ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी ने माना कि आध्यात्मिक सशक्तिकरण के द्वारा ही हम मन को शक्तिशाली बना सकते हैं। साथ ही स्टूडेंट्स को भी बेहतर दिशा प्रदान कर सकते हैं।

– कार्यक्रम में वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके सुदेश एवं बीके रमा ने सबके साथ अपना आध्यात्मिक अनुभव साझा किया। बीके नेहा ने राजयोग के अभ्यास से सभी को गहन शांति का अनुभव कराया।
कार्यक्रम में काफी संख्या में शिक्षाविदों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन बीके दिव्या ने किया।


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