अपनी महानता से व्यवहार करें, दूसरों को देखकर नहीं

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मैं ज्ञानी आत्मा हूँ, मैं योगी आत्मा हूँ, मैं बाबा का बच्चा हूँ, मैं तो महान हूँ ना, तो मुझे अपनी महानता से व्यवहार करना है। एक-दो को देखकर थोड़े ही व्यवहार करना है। मैं अच्छी हूँ इसलिए मुझे अच्छा व्यवहार करना है।

ये तो हम सबको पता ही है कि कलियुग अंत का समय चल रहा है। महापरिवर्तन की वेला है। टोटल चेंज होना ही है। तो स्वाभाविक है कि हलचल तो आनी ही है। जो अचल है सत्य है वो ही टिकेगा, बाकी सब उखड़ के बदल जाना है। परिस्थितियां खुद के हिसाब-किताब से भी आती हैं, और आत्माओं से भी आती हैं और प्रकृति से भी आती हैं। क्योंकि इस हलचल के बाद जो अचल-अडोल रहेंगे वो नई दुनिया के मालिक बनेंगे। तो बाबा ने जो आदि-मध्य-अंत का ज्ञान दिया है, तो पता है कि ये सब होना ही है। अचानक कोई बात हो जाये और लोगों को पता न हो तो उनको बहुत शॉक लगता है, आघात लगता है कि अरे, ये क्या हो रहा है! पर हमें तो बाबा रोज़ समझाते हैं। आप देखो, एक भी मुरली नहीं होगी जिसमें विनाश की बातें न हों! कुछ न कुछ बाबा ज़रूर बताते रहते हैं। विनाश सामने खड़ा है। मौत सामने खड़ा है। बाबा हमें रोज़ मेंटली प्रेपेअर(मानसिक रूप से तैयार) करता है। देखो, कोरोना की परिस्थिति आई, बाबा के बच्चे तो नहीं घबराये न! सबकी बुद्धि में यही आया कि पता है, बाबा ने कहा है, जो कुछ होना है अचानक होना है। ऐसे नहीं कि बाबा हमारा है तो हमें बता देगा। नहीं, कितना भी बच्चे पूछें, पर बाबा तो सबका बाबा है ना, सिर्फ हमारा थोड़े ही है! हमें बता दें और औरों को न बतायें, वो तो अन्याय हो जायेगा ना!
तो बाबा ने कहा है, कब होगा, क्या होगा, नहीं बतायेंगे। जो कुछ होगा वो अचानक होगा। तो बच्चे एवररेडी रहेंगे ना! यज्ञ शुरु हुआ, तब से विनाश की बात है। बाबा का उद्देश्य हर आत्मा को तैयार करना है। मनुष्य आत्माओं को ये आदत है कि टाइम हुआ… खा लो, टाइम हुआ… सो जाओ, टाइम हुआ… नहा लो। टाइम का प्रभाव रहता है ना जीवन में! आज दुनिया में क्या-क्या हो रहा है! हम तो लिमिटेड जानते हैं जो न्यूज़ में आता है,लेकिन ऊपर से बाबा तो सबकुछ देख रहा है। इसलिए बाबा को कितना रहम आ रहा है। क्योंकि उनके आगे तो पूरा विश्व स्पष्ट है ना! इसलिए बाबा के ज्ञान से ही हलचल आदि समाप्त हो जाती हैं। पता है ये सब होना ही है। और ऐसा नहीं है कि सिर्फ मेरे साथ ऐसा हो रहा है। व्यक्ति इसलिए भारी हो जाते हैं कि मेरे साथ ही ऐसा हुआ। पर अब पता है कि सिर्फ हमारे साथ नहीं हो रहा है, सबके साथ कोई न कोई हिसाब चल रहा है।
देखो, आप किसी को कहेंगे कि आज तो बहुत सिरदर्द हो रहा है, तो वो भी कहेंगे कि देखो न आज मेरे पांव बहुत दु:ख रहे हैं। हरेक को कोई न कोई तकलीफ है, किसी को कुछ कहने की ज़रूरत नहीं है। कोई कहेगा कि मेरा बेटा ठीक नहीं चल रहा है, तो कोई कहेगा कि मेरी बहू ऐसी है। हरेक का कुछ न कुछ हिसाब-किताब है। अब हमने ही ये हिसाब बनाये हैं। पहले तो दु:खी इसलिए होते थे कि बहू ऐसा कर रही है, सास ऐसा कर रही है, फलाने ऐसा कर रहे हैं मेरे साथ। पर अब तो हम जानते हैं ना कि वो नहीं कर रहे हैं, मेरा हिसाब ऐसा है। मेरा उनके साथ उधार चल रहा है, इसलिए मुसीबत हो रही है। तो जब खुद ही कारण हैं तो किसके आगे रोना!
खुद ही खुद को समझाओ कि मुझे रिएक्ट नहीं करना है। वो कैसा भी करे, पर मुझे ऐसा नहीं करना है। वो बुरा व्यवहार करे, फिर मैं बुरा व्यवहार करूं, वो करे, मैं करूं, ये तो साइकल क्रबुराञ्ज चलता ही रहेगा। दुनिया में कई ऐसे गांव देखे हैं मैंने, आपस में पीढ़ी-दर-पीढ़ी वैर चलता ही रहता है। ये उनके दो मारेंगे, वो चार मारेंगे, ये आठ मारेंगे, वो बारह मारेंगे। इतना वैर चलता ही रहता है। पर हमें बाबा ने सिखाया है कि हमें रिएक्ट नहीं करना है। उसने दो गाली दी, मैं चार दूं, नहीं। मुझे नहीं देनी है। मैं ज्ञानी आत्मा हूँ, मैं योगी आत्मा हूँ, मैं बाबा का बच्चा हूँ, मैं तो महान हूँ ना, तो मुझे अपनी महानता से व्यवहार करना है। एक-दो को देखकर थोड़े ही व्यवहार करना है। मैं अच्छी हूँ इसलिए मुझे अच्छा व्यवहार करना है। तो हिसाब स्टॉप हो जाता है, बढ़ेगा नहीं। तो देखो, उस समय में बाबा की कही हुई बातें ही तो काम में आती हैं कि बाबा ने क्या सिखाया है। बाबा के साथ दुनिया वालों ने, उनके अपने ही सिंधी समाज ने कितना विरोध किया, कितनी ग्लानि की। बाबा ने थोड़े ही वैर रखा। उन विरोध करने वालों ने जब देखा कि देश-विदेश में इतनी बड़ी संस्था बन गई, तो फिर आने लगे, मिलने लगे। तो बाबा ने क्रनाञ्ज थोड़े ही कहा। बाबा ने प्यार से वेलकम किया। तो हमें भी ये याद रखना है कि जैसा बाबा ने किया हमें भी वैसा करना है तभी तो बाप समान बनेेंगे।

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