कुम्हारी, गुमला :नैतिक शिक्षा से ही व्यक्तित्व का विकास होगा-भगवान

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कुम्हारी , गुमला (झारखण्ड): शिक्षा का मूल उद्देश्य हैं चरित्र का  निर्माण  करना, असत्य से सत्य की ओर ले जाना, बंधन से मुक्ति की ओर जाना लेकिन आज की शिक्षा भौतिकता की ओर ले जा रही है | भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से चरित्र बनता है | इसलिए वर्तमान के समय प्रमाण भौतिक शिक्षा के साथ साथ बच्चो को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है । उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे वे आज राजकीय माध्यमिक विद्यालय  के  छात्र ,छात्राए और शिक्षको को जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर बोल रहे थे |

प्रिन्सिपल-मेरी ग्रेस इन्दबार जी ने भी अपना उद्बोधन देते हुए कहा की नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है

ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र कुम्हारी की प्रभारी बी.के.अंजिता  बहन जी कहा कि जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नही है तब तक जीवन में नैतिकता नही आती है आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा की स्वयं को जानना .पिता परमात्मा को जानना और उसको याद करना ही आध्यात्मिकता है जिसको राजयोग कहते है |राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की अपील किया

बी के शिव भाई  भी अपना उद्बोधन देते हुए कहा कि आज के बच्चे भावी नागरिक है भावी समाज अच्छा बनाना है तो वर्तमान बच्चो को संस्कारित बनाने कि आवश्यकता है |

अंत में बी के भगवान भाई जी ने मन की एकाग्रता बढाने हेतु राजयोग मेंडिटेशन भी कराया |

 बी के शिव भाई , बी के पंकज भी उपस्थित थे |

स्थानीय ब्रह्माकुमारी राजयोग सेवाकेंद्र की शिक्षिका  बी.के.ममता बहन जी ने  भी अपना उदबोधन देते हुए ब्रह्माकुमारी संस्था का विस्तार से परिचय दिया |

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