आज मनुष्य काम, क्रोध, अहंकार, लोभ, मोह, ईर्ष्या, वैमनस्य द्वेष से भरे हैं
अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर जीवन में ज्ञान की ज्योत जगाएं : बी.के. आशा दीदी
सोनीपत,हरियाणा ।
शिव जयन्ती महापर्व के उपलक्ष्य में विश्व कल्याण सरोवर सोनीपत में “भगवान का वायदा” विषयक कार्यक्रम किया गया। ओम शांति रिट्रीट सेंटर गुरुग्राम से ब्रह्माकुमारी आशा दीदी मुख्य वक्ता रही। मुख्य वक्ता आशा दीदी और डीडीपीओ राजपाल सिंह ने दीप प्रज्ज्वलन तथा झंडा आरोहण कर कार्यक्रम का आगाज किया। उन्होंने उपस्थित सभा को सद व्यवहार की प्रतिज्ञा भी करवाई।तत्पश्चात प्रभु स्मरण के गीत गाया गया। अतिथियों के मंचासीन होने के उपरांत देव परम्परानुसार बैज और तिलक लगा कर उनका स्वागत ब्रह्माकुमारी बहनों ने किया। बहन अनिका ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत कर खूब तालियां बटोरी।
ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने कहा कि भगवान का वायदा है कि जब धर्म की अति ग्लानि होती है, तब अधर्म का विनाश कर सत्धर्म की स्थापना करूंगा। शिव जयन्ति का पर्व भगवान शिव के धरती पर पदार्पण का पर्व है। शिव रात्रि का रहस्य बताते हुए उन्होंने कहा कि रात्रि अज्ञानता का प्रतीक है। भगवान इस अज्ञानता का विनाश कर मनुष्यों में ज्ञान का प्रादुर्भाव करते हैं। वर्तमान मे देखते हैं कि छोटे से लेकर बड़ी आयु तक सभी मनुष्यो की बुद्धि भ्रष्ट हुई पड़ी है। चारों ओर अधर्म का बोलबाला है। वर्तमान स्थिति ही घोर कलयुग का प्रतीक है और इसी का विनाश करने के लिए परमात्मा को इस धरा पर आना पड़ता है। उसी का प्रतीक यह पर्व है। जहां भारतवासी सोलह कला सम्पन्न देवता थे, वहीं आज मनुष्य धर्म हीन हो गया है। आज मनुष्य काम, क्रोध, अहंकार, लोभ, मोह, लालच, ईर्ष्या, वैमनस्य द्वेष से भरे हुए हैं। परमात्मा हम आत्माओं को पहला पाठ यही पढ़ाते हैं कि हे मानव, तुम देह नहीं आत्मा हो। भगवान हमें नजर नहीं, बल्कि नजरिया बदलने की बात करते हैं। जब परमात्मा ज्ञान देते हैं, तो वे दैहिक धर्मों को त्याग करने की बात करते हैं। भगवान जब आते हैं, उसे कल्याणकारी पुरुषोत्तम युग कहते हैं। वह ज्ञान से नवयुग अर्थात सतयुगी दैवी सृष्टि की स्थापना करते हैं। दीदी ने उपस्थित सभा को त्रिमूर्ति शिव जयन्ती की बधाई देते हुए अपने मनोविकारों को छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
इस दौरान विश्व कल्याण सरोवर सोनीपत केंद्र के प्रबंधक ब्रह्मा कुमार सतीश भाई ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आज के दिन अपने जीवन की कोई एक बुराई (जो हमें आगे बढ़ने से रोक रही है, सफलता में बाधक है) उसे शिव को सौंप कर मुक्त हो जाएं। अपने जीवन की समस्याएं व बोझ उन्हें सौंप दें। फिर आपकी जिम्मेदारी परमात्मा की हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एक बच्चे का हाथ जब उसके पिता पकड़ कर चलते हैं, तो वह निश्चिंत रहता है। इसी तरह हम भी यदि खुद को परमात्मा को सौंप कर जीवन में चलते हैं, तो सदा निश्चिंत रहते हैं। परमपिता शिव इस धरा पर अवतरित होकर हम सभी विश्व की मनुष्य आत्माओं को सहज राजयोग की शिक्षा दे रहे हैं। परमात्मा आह्वान करते हैं मेरे बच्चों तुम मुझ पर अपनी बुराइयों अर्पण कर दो। अपने बुरे विचार, भावनाएं, गलत आदतें शिव पर अर्पण करना ही सच्ची शिवरात्रि मनाना है। उन्होंने कहा कि अपने अंदर के अंधकार को मिटा कर जीवन में ज्ञान की ज्योत जगाएं। धर्म का आचरण ड्रेस पहनने से नहीं बन जाता है। उसे जीवन चरित्र में उतारना होगा। जिसे हम युगों-युगों से पुकार रहे थे, जिसकी तलाश में हमने वर्षों तक जप-तप और यज्ञ किए। आज वही भगवान इस धरा पर पुन: अवतरित हो चुके हैं। इस दौरान संस्था का परिचय तथा मंच का संचालन सुशील बहन ने बखूबी किया। चंडीगढ़ से पधारे गायक जयगोपाल भाई ने अपने गीतों से पूरी सभा को झूमने पर विवश कर दिया। कार्यक्रम में गणमान्य जनों के अलावा काफी संख्या में भाई-बहन मौजूद रहे।