विश्व को एक नया आकार देती महिला

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हिलायें समाज के विकास एवं तरक्की में महत्वपूर्ण भूमिका ही सिर्फ नहीं निभातीं, बल्कि एक सशक्त समाज और उन्नत देश भी बनाती हैं। उनके बिना विकसित तथा समृद्ध समाज, सशक्त समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ब्रिघम यंग के द्वारा एक प्रसिद्ध कहावत है कि क्रअगर आप एक आदमी को शिक्षित कर रहे हैं तो आप सिर्फ एक आदमी को ही शिक्षित कर रहे हैं, पर अगर आप एक महिला को शिक्षित कर रहे हैं तो आप आने वाली पूरी पीढ़ी को शिक्षित कर रहे हैं। समाज के विकास के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि लड़कियों को शिक्षा में किसी तरह की कमी न आने दें क्योंकि उन्हें ही आने वाले समय में लड़कों के साथ समाज को एक नई दिशा देनी है।ञ्ज ब्रिघम यंग की बात को यदि सच माना जाए तो उस हिसाब से अगर कोई आदमी शिक्षित होगा तो वह सिर्फ अपना विकास कर पायेगा, पर वहीं अगर कोई महिला सही शिक्षा हासिल करती है तो वह अपने साथ पूरे समाज को बदलने की ताकत रखती है।
महिलाओं के बिना मनुष्य-जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इतना महत्व उनका समाज और देश बनाने में है। पर कहीं पागलपन के कारण उन्हें इतनी तवज्जो न देने के कारण हम जैसा चाहते हैं वैसा समाज नहीं बन पाता। भारत की लगभग आधी जनसंख्या का प्रतिनिधित्व महिलायें करती हैं। अगर उनकी क्षमता पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका साफ-साफ मतलब है कि देश की आधी जनसंख्या अशिक्षित रह जायेगी और अगर महिलायें ही पढ़ी-लिखी नहीं होंगी तो देश कभी प्रगति नहीं कर पायेगा। हमें यह बात समझनी होगी कि अगर एक महिला अनपढ़ होते हुए भी घर इतना अच्छा संभाल लेती है तो पढ़ी-लिखी महिला, विवेकवान, व्यवहारिक महिला समाज और देश को कितनी अच्छी तरह संभाल लेगी।
कहा जाता है, पुरुष सिर्फ मकान बनाता है, पर महिला घर बनाती, समाज बनाती, समाज से देश बनाती। इसका सीधा-सा अर्थ यही है कि महिला का योगदान हर जगह है। महिला की क्षमता को नज़रअंदाज़ करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है। शिक्षा और महिला-सशक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता। महिला जानती है या उसमें कुदरती ये खूबी है कि उसे कब और किस तरह से मुसीबतों से निपटना है। ज़रूरत है तो बस उसके सपनों को आज़ादी देने की। तब तो कई बार हम कहते हैं, पुरुष की सफलता के पीछे महिला होती है। हम आज ऐसे ही एक संगठन को देखते व जानते हैं जिसकी बागडोर स्वयं महिलायें ही संभालती हैं। विश्व का सबसे वृहद संस्थान महिलाओं द्वारा न सिर्फ सुचारु रूप से संचालित किया जा रहा है अपितु एक उन्नत चरित्रशील, विवेकशील समाज बनाने की नई दिशा दी जा रही है। आपने भी ऐसी महिलायें अपने इर्द-गिर्द देखी होंगी व संपर्क में भी आये होंगे जो बहुत ही साधारण, श्वेत वस्त्रधारी व सुशील रूप से समाज को गढ़ रही हैं। क्योंकि वे न सिर्फ सुशिक्षित हैं बल्कि उन्होंने आध्यात्मिकता को भी अपने जीवन में बखूबी उतारा है। आपकी जिज्ञासा होगी कि ऐसी कौन-सी संस्था है, तो हम नाम बता देना चाहते हैं, वो हैं ब्रह्माकुमारीज़। इस संस्थान को आप देखें, समझें कि ये महिलायें सुदृढ़ समाज की परिकल्पना को कैसे आकार दे रही हैं। 140 देशों में वे आध्यात्मिक अभियान चलाकर वसुधैव कुटुम्बकम का एक जीता-जागता उदाहरण हमारे सामने प्रस्तुत कर रही हैं। इनकी खूबी यह है कि वे आध्यात्मिकता को अपनाकर अपने हर क्षेत्र में आध्यात्मिक शक्ति का प्रयोग करती हैं। इतना ही नहीं, अपने कल्याणमयी, मंगलमयी अनुभव से भटके हुए मानव को सही राह दिखा रही हैं और इंसान में इंसानियत की जान डालकर उसको विवेकशील बना रही हैं। इंसान का मतलब ही है क्रइन-शानञ्ज। माना क्रइनञ्ज आध्यात्मिक पुट को व्यवहारिक प्रारूप देकर उसको क्रशानञ्ज में लाना। तो इस तरह आज हमारे सामने एक महिला संस्थान उदाहरण है कि एक विवेकशील, चरित्रवान और अपनी भीतरी क्षमताओं को सही दिशा देने वाली महिला क्या नहीं कर सकती! वह किसी भी तरह से पुरुषों से कम नहीं है।

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