बिलासपुर: ब्रह्मा कुमारीज़ शिव अनुराग भवन में खुशहाल महिला खुशहाल परिवार विषय पर आध्यात्मिक कार्यक्रम का आयोजन

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*महिलाओं को मल्टीटास्क जिम्मेदारी निभानी होती है: पुलिस उप-अधीक्षक मंजूलता केरकेट्टा*
 महिलाओं की खुशी से परिवार खुश रह सकता है.. – ब्रह्मा कुमारी मंजू दीदी
आध्यात्मिकता जीवन के प्रति सही दृष्टिकोण का विकास करता है

 
बिलासपुर,छत्तीसगढ़:
शिव अनुराग भवन राजकिशोरनगर मे खुशहाल महिला खुशहाल परिवार पर महिलाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बिलासपुर पुलिस उप-अधीक्षक बहन मंजूलता केरकेट्टा ने कहा कि महिला दिवस को किसी एक दिन के उत्सव के रूप मे नही बांधा जा सकता। आज जहाँ महिलाएं नौकरी, व्यापार, समाज सेवा भी कर रही है फिर भी घर पहुचते ही दूसरी ड्यूटी शुरू हो जाती है। इसलिए वर्तमान समय महिलाओं का कार्य मल्टीटास्क अर्थात एक समय मे अनेक जिम्मेदारी निभाने का होता है।

पुलिस उप अधीक्षक ने कहा कि नशा मुक्ति अभियान निजात मे दो प्रकार से जन सहयोग चाहिए पहला नशे के अवैध धंधे मे लिप्त लोगों की जानकारी मिलते ही पुलिस को सूचना देना दूसरा नशे से मुक्त होने की इच्छा रखने वालो को सही मोटीवेशनल काउंसलर तक पहुँचाना। उन्होंने कहा कि जैसे हर सफल पुरुष के पीछे महिला का हाथ होता है ऐसे ही महिलाओं के लिए पुरुष वर्ग को भी सहयोग देना चाहिए।

उन्हें ईश्वरीय सौगात देते ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने कहा कि इस साल का थीम है *खुशहाल महिला खुशहाल परिवार*। दीदी ने कहा कि वैसे महिला दिवस 8 मार्च को है लेकिन होली त्यौहार के कारण हम आज एकत्रित हुए है।
 दीदी ने कहा कि महिला परिवार की धुरी है उसकी मनः स्थिति घर परिवार के वातावरण को अधिक प्रभावित करती है। समस्यायुक्त जीवन में खुशनुमा जीवन जीना एक कला है। यदि महिलाएं इस कला में पारंगत हो जाए तो परिवार को भी खुशहाल रख सकती हैं। आध्यात्मिकता एवं राज्यों का अभ्यास जीवन के प्रति सही दृष्टिकोण का विकास करता है और विपरीत परिस्थितियों में भी खुशहाल जीवन जीने की क्षमता विकसित करता है।

 दीदी ने माताओं की महिमा का वर्णन किया और कहा कि युद्ध के मैदान में पुरूष जाता है लेकिन शक्ति मांगता है मां दुर्गा व काली से, धन कमाने भी पुरूष जाता है लेकिन धन मांगता है मां लक्ष्मी से और विद्या के क्षेत्र में भी पुरूष वर्ग अग्रणी है आजकल बहनें भी आगे आ गई हैं लेकिन विद्या की देवी कहा जाता है मां सरस्वती को, वन्दे मातरम कहा जाता है वन्दे पितरम नहीं। सभी नदियों के नाम बहनों के नाम पर है सिवाय ब्रह्मपुत्रा के। ये सब नारी में छिपी अपार शक्तियों का यादगार है। वर्तमान समय पुनः परमपिता परमात्मा शिव नारी शक्ति का मान बढ़ाने के लिए स्वयं इस धरा पर अवतरित होकर ज्ञान का कलष माताओं बहनों को देते हैं।

 ब्रह्मा कुमारी प्रीति बहन ने जन जन का कल्याण करेगी शिव की शक्ति है नारी… गीत पर नृत्य प्रस्तुत किया।
 सभी ने महिला शक्ति के नारों का उद्घोष किया। उप पुलिस अधीक्षक के अतिरिक्त रेलवे क्षेत्र की संगीता द्विवेदी, रीना झा, पुलिस कांस्टेबल शकुंतला साहू, अपर्णा सरकार, एवं अन्य महिलाएँ व गणमान्य नागरिक जन उपस्थित थे।

भगवत् गीता के सातवें अध्याय पर चिंतन को आगे बढाते दीदी ने कहा कि चार प्रकार के पुण्य आत्मा ही परमात्मा की शरण को ग्रहण करते हैं।

1 आर्त – अर्थात पीड़ित या विपदाग्रस्त।  2 अर्थार्थी – लाभ की इच्छा रखने वाले। 3 जिज्ञासु – जो ज्ञान की जिज्ञासा रखते हैं, जो बहुत कुछ जानना चाहते हैं और उस समय वो अपनी बुद्धि को ईश्वर की शरण में ले जाते हैं। 4 ज्ञानी पुरुष – अर्थात जो आध्यात्म को यथार्थ जानना चाहते हैं कि धर्म और ज्ञान से भी ऊपर आध्यात्म क्या हैं? *परमात्म को सबसे प्रिय कौन हैं?*
जो परमज्ञानी और परमात्म प्यार में समाए हुए हैं, जो ईश्वर से अत्यंत प्यार करते है और उसके प्यार में समा जाते हैं वह सर्व श्रेष्ठ हैं, प्रिय हैं। जो ज्ञानी भी हैं और परमात्म प्यार में खोए हुए हैं वो सर्व श्रेष्ठ हैं। क्योंकि *मै उसे अत्यंत प्रिय हूं और वह मुझे अत्यन्त प्रिय हैं। मै उसे अपने समान मानता हूं । *भगवान जो श्रेष्ठ मत देते हैं उसी पर वह निश्चय के साथ हर कदम उठाकर चलता हैं। वो बहुत जन्म के अंतिम जन्म में मेरी शरण में आ जाते हैं। भगवान जिसको याद करे वह कोटो में कोई, कोई में भी कोई विरला हैं।


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