रूपनगर: मीडिया सामाजिक क्रांति लाने में समर्थ : प्रो. संजय द्विवेदी, डायरैक्टर जरनल आई आई एम सी, दिल्ली

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मीडिया द्वारा देश की प्राचीन विरासत, संस्कृति और भाषाएं विदेशों में पहुँची

प्रिंट का 13 फ़ीसद और डिजिटल मीडिया का 73 फ़ीसदी विकास हुआ
अब 50 से 64 साल की उम्र के लोग फेसबुक का उपयोग ज़्यादा कर रहे
विश्व की आबादी का 51 फ़ीसदी सोशल मीडिया का प्रयोग कर रही
सामाजिक बदलाव की पहली सीढ़ी व्यक्तिगत बदलावः ब्रह्मा कुमारी रमा

रूपनगर, पंजाब: मीडिया सामाजिक क्रांति लाने में पूरी तरह समर्थ है, बशर्ते इसका संचालन करने वाले लोग सामाजिक कल्याण के लिए ज़िम्मेदारी के साथ सही दिशा में काम करें। ये विचार भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो.( डा.) संजय द्विवेदी ने ब्रह्माकुमारीज के सदभावना भवन में आयोजित सामाजिक रूपांतरण में मीडिया की भूमिका सेमिनार में व्यक्त किए।

प्रिंट इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया सम्बन्धी अलग-अलग सर्वेक्षणों के रोचक और दिलचस्प तथ्य सांझा करते हुए प्रो.संजय द्विवेदी ने बताया कि अनसर्ट एंड यंग इंडिया और फिक्की की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में भारत में मीडिया और मनोरंजन बाज़ार में जहाँ प्रिंट मीडिया की आमदनी सिर्फ़ 7 फ़ीसदी बढ़ी, वहाँ डिजिटल मीडिया के मामलों में यह संख्या 42 फ़ीसदी थी। इसी तरह, भारत में जहाँ प्रिंट मीडिया के पाठकों की संख्या 13 फ़ीसदी बढ़ी है, वहीं दूसरी तरफ़ डिजिटल मीडिया के सबक्रिब्सन  में 71 फ़ीसदी विस्तार हुआ है।

उन्होंने कहा कि भारत में प्रिंट मीडिया की स्थिति चीन और जापान की तरह विश्व के अन्य मुल्कों से कहीं स्थिर है और भारतीय डिजिटल युग में भी अख़बार पढ़े जा रहे हैं। प्रिंट मीडिया किसी भी राज्य या देश के नागरिकों की विचारधारा बनाने के लिए पूर्ण रूप में योग्य है।

बुज़ुर्गों द्वारा सोशल मीडिया के प्रयोग करने सम्बन्धी आंकड़े सांझा करते हुए उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के सबसे पहले 18 से 29 साल की उम्र के लोग प्रयोग करते हैं, परन्तु हाल ही में 50 से 64 साल की उम्र के लोग फेसबुक का उपयोग ज़्यादा कर रहे हैं। दुनिया भर में सोशल मीडिया उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ कर 3.99 बिलियन हो गई है, जोकि विश्व की आबादी का 51 फ़ीसदी है। यदि सोशल मीडिया पर सभी प्रयोक्ताओं द्वारा बिताए गए समय को जोड़ा जाये, तो हर रोज़ 10 लाख सालों के बराबर समय सिर्फ़ सोशल मीडिया पर ही ख़र्च होता है। जिससे हमें मीडिया अहमियत का अंदाज़ा हो सकता है।

डायरेक्टर जनरल आई आई एम सी ने आगे संबोधन करते हुये कहा इन तथ्यों से ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वर्तमान समय में सोशल मीडिया की अहमियत कितनी बढ़ चुकी है जिस कारण ही विश्व के बड़े इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के संगठन सोशल मीडिया में भी अपनी पकड़ लगातार बना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे द्वारा अक्सर मीडिया के नकारात्मक प्रभावों के बारे ही चर्चा की जाती है परन्तु इसी मीडिया के द्वारा ही हमारे देश की  प्राचीन संस्कृति, विरासत, परंपराएं, भाषाएं आदि विश्व के हर देश में पहुँच चुकी हैं, जहाँ हमारे देश के लोग प्रवासी हैं।

प्रो. संजय ने सोशल मीडिया के बारे और तथ्य सांझा करते हुये कहा कि प्रयोक्ताओं द्वारा एक दिन में 3.2 बिलियन से अधिक यानि 320 करोड़ फोटो शेयर की जाती है। फेसबुक पर एक दिन में 8 बिलियन से अधिक यानि 800 करोड़ वीडियोज़ देखे जाते हैं। एक इन्टरनेट उपभोक्ता के लगभग 9 सोशल मीडिया खाते हैं। जिसके लिए आज यह ज़रूरी हो गया है कि हम सोशल मीडिया का प्रयोग सचेत होकर करें जिससे हम देश और समाज के विकास में अपना अहम रोल अदा कर सकें।

राजयोगनी ब्रह्म कुमारी रमा, इंचार्ज राज योग केंद्र, रोपड़ ने सेमीनार के दौरान संबोधन करते हुये कहा कि आज के इस डिजिटल युग में आपके ऊपर निर्भर करता है कि मीडिया से आप क्या ग्रहण कर रहे हो, जिसके लिए मीडिया को सामाजिक रूपांतरण और कल्याण के लिए आध्यामिक प्रचार करने में भी अहम भूमिका निभानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज हमें विचार करने की ज़रूरत है कि हम पश्चिमी सभ्याता को अपनी ज़िंदगी में पूरी तरह अपना चुके हैं परन्तु पश्चिमी देशों के लोग हमारे देश के आध्यात्मिक ज्ञान के द्वारा अपना आत्मिक विकास कर रहे हैं।
 इस सेमीनार में राष्ट्रीय मीडिया वक्ता ब्रह्माकुमारी संस्था दिल्ली बी. के. सुशांत और रूपनगर प्रेस क्लब के प्रधान बहादुर जीत सिंह की तरफ से भी अपने विचार व्यक्त किये । 
बी के प्रवीण और गायक अमन सोढी की तरफ से धार्मिक गीत पेश किये गए और कुमारी नन्दनी और मनरीत की तरफ से डांस की पेशकारी भी दी गई।

इस मौके पर सीनियर पत्रकार हरविन्दर सिंह बिंद्रा, लखवीर सिंह, जसबीर सिंह बावा और अलग अलग मीडिया संगठनों के पत्रकार उपस्थित थे।

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