योग के प्रकार

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विश्वभर में योगों के प्रचलन में आज क्रिया योग, हठयोग, सहज योग, आदि-आदि योग प्रचलित हैं। परन्तु आज जनमानस इन सभी योगों को करने में सहज महसूस नहीं करते, कारण इसकी सम्पूर्ण जानकारी के अभाव का होना। आज सभी लोग इसीलिए आसनों व श्वास-प्रश्वास की क्रिया कर अपने को स्वस्थ बनाने के प्रयास में लगे रहते हैं परन्तु इससे मन तो एकाग्र नहीं होता।

‘योग’ शब्द अपने आप में सम्पूर्ण है। लोग इसे जोड़ या मिलन भी कहते हैं। ‘योग’ शब्द का भावार्थ ‘आत्मा का परमात्मा से सम्बन्ध जोडऩा’ है। कई ग्रंथकार कहते कि ‘योग’ का अर्थ है — ‘चित्त की वृत्तियों का निरोध’। वास्तव में चित्त को एकाग्र करना योग का एक ज़रूरी अंग तो है किन्तु केवल वृत्ति-निरोध ही को ‘योग’ मानना ठीक नहीं है। वृत्तियों को रोक कर ‘परमात्मा में’ एकाग्र करना ज़रूरी है, तभी उसे ‘योग’ कहा जायेगा। अब वृत्ति की शुद्धि के लिए मन में उठने वाले संकल्प को शुद्ध करना ज़रूरी है। मन से मनुष्य, मन से मानवता और महानता है। मन की शुद्धि राजयोग से ही हो सकती है। राजयोग की विधि से सर्वोच्च ऊर्जा के साथ स्वयं जुड़ जाते हैं। तब ही वृत्तियों का शुद्धिकरण होता है।

क्या है क्रिया योग?
कहा जाता है कि इस योग में विश्राम के आसन, बंध और मुद्रा आदि सम्मिलित हैं। इसमें शरीर को परमात्मा के वाहन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। इससे नाड़ी एवं चक्र जागरण के साथ-साथ उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। क्रिया योग सजग कर्म है। यह अपनी वास्तविकता पहचानने का एवं आत्म-ज्ञान प्राप्ति का मार्ग है। इसमें न केवल आसन, प्राणायाम, ध्यान तथा मंत्र में पूर्ण क्रक्रसजगताञ्जञ्ज सम्मिलित है बल्कि अपने वचन, विचार, स्वप्न और इच्छाओं के प्रति सतत् सजगता भी सन्निहित है। इस साधना में हमें अतिचैतन्य बनाने की अपार क्षमता है। बस तत्परता चाहिए। आत्म-साक्षात्कार एवं अपने पाँचों शरीर(भौतिक, प्राणिक, मानसिक, बौद्धिक तथा आध्यात्मिक) के कायाकल्प हेतु 144 क्रियाओं का संकलन है।

क्या है हठयोग
चित्तवृत्तियों के प्रवाह को संसार की ओर जाने से रोककर अंतर्मुखी करने की एक प्राचीन भारतीय साधना पद्धति, जिससे प्रसुप्त कुंडलिनी को जागृत कर नाड़ी मार्ग से ऊपर उठाने का प्रयास किया जाता है और विभिन्न चक्रों में स्थिर करते हुए उसे शीर्षस्थ सहस्रार चक्र तक ले जाया जाता है।

सुदर्शन क्रिया
यह योग श्वास, शरीर और मन के बीच एक कड़ी की तरह है जो दोनों को जोड़ती है। यह विशेष क्रिया मन और शरीर को तारतम्यता में ले आती है। इससे थकान, तनाव, नकारात्मक भावनाएं, क्रोध आदि नष्ट हो जाते हैं तथा हम एक अच्छे जीवन की ओर बढ़ते जाते हैं।

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