मेरी दिल या फलाने की दिल खुश हो, यह सोचकर कुछ किया तो सूक्ष्म गलतियां हो सकती हैं। बाबा क्या कहता है, ज्ञान क्या कहता है, यह सोचकर किया तो कोई गलती नहीं हो सकती।
बाबा हम बच्चों को कहते बच्चे तुम मेरे नूरे रत्न हो, नूरे जहान हो। जहान के नूर हो। इन महावाक्यों में कितना रहस्य भरा हुआ है। सदा यह ध्यान रहे कि जहां हमें देख रहा है। भक्ति में ख्याल करते कि भगवान देख रहा है लेकिन अभी हम कहते जहान हमें देख रहा है। प्रैक्टिकल में देखा जाता है कि सारे जहान का ध्यान हम लोगों पर है। पवित्रता के योगबल से, दैवीगुणों के आधार से हम सतयुगी दैवी राजधानी स्थापन कर रहे हैं। भगवान करा रहा है। यह ऑटोमेटिक मुख से निकलता है। पवित्रता के बल से करा रहा है।
हमें एक बाबा को याद करके विश्व में एकता लानी है। यह कार्य भगवान करा रहा है, इंसान के बस की बात नहीं है। जास्ती गोरखधन्धे में जाने से, व्यर्थ सोचने से माथा खराब होता, हरदम दिल खुश, दिमाग ठण्डा हो तो बाबा अपना काम अच्छा करा लेगा। दिल से बाबा का काम करो तो बाबा की और परिवार की मदद मिलती है। गर्म दिमाग वाला कभी कोई काम नहीं कर सकता। ठण्डे दिमाग से काम अच्छा होगा। गर्म दिमाग वाला खुद भी बिगड़ेगा, काम भी बिगाड़ेगा। वह दिल को भी सुस्त, दु:खी, निराश बना देगा, इसलिए कुछ भी हो जाए हमें दिलशिकस्त नहीं होना है, दिल को आराम में रखना है। ऐसा कोई काम नहीं करना है जो दिल खाये। आराम की नींद न आये। किया हुआ खाता है इसलिए सिर्फ अपने दिल को खुश करने के लिए या जिसके साथ प्रेम है उसको खुश करने के लिए नहीं करो लेकिन भगवान को खुश करने के लिए करो। मेरी दिल या फलाने की दिल खुश हो, यह सोचकर कुछ किया तो सूक्ष्म गलतियां हो सकती हैं। बाबा क्या कहता है, ज्ञान क्या कहता है, यह सोचकर किया तो कोई गलती नहीं हो सकती। आत्मा में शक्ति तब आती है जब राइट काम होता है- बिगड़ी को बनाने वाला, सत्य धर्म की स्थापना अर्थ कोई काम होता है तो सदा याद रहे कि मेरे से ऐसा कोई काम न हो जो बनी हुई बात भी बिगड़ जाए।
लोग समझते हैं कि जिसकी उम्र बड़ी होती है उसका दिमाग काम नहीं करता। लेकिन भगवान के जो बच्चे हैं, उनको भगवान की गुप्त शक्ति मिलती रहती है। जो सोचते हैं कि इनको इतना निर्भय, बड़ी दिल वाला बनाने वाला कौन है। हमारे में देह अभिमान का अंश भी न हो। हम छोटी-मोटी आशायें रखकर अपने आपको खुश न कर लें। बुद्धि में ज़रा भी किसी चीज़ की आकर्षण न हो।
बाबा के जो बच्चे गुम हो गये थे, जो मूर्छित हो गये थे, वह सुरजीत हो गये, यह अच्छा लगता है। जो भगवान ने महावीर बनने का पार्ट दिया है वह अच्छा लगता है। पास विद ऑनर होना अच्छा लगता है। ड्रामा की नॉलेज के आधार से अपने जीवन की इतनी रक्षा करो जो मान-अपमान का लेश भी न आये।
बाबा ने हम बच्चों को ड्रामा की नॉलेज इतनी अच्छी दी है जो एक सेकण्ड भी किसी बात का ख्याल नहीं चलता। अगर हम अपनी स्थिति को अचल बनाकर रखना चाहते हैं तो तीन बातें साथ हों- 1. सहनशक्ति, 2. समेटने की शक्ति और 3. समाने की शक्ति। यह तीनों शक्तियां साथ हैं तो ड्रामा पर अडोल रह सकते हैं। अगर एक भी शक्ति कम है तो स्थिति हिल सकती है। बाकी यह प्रतिज्ञा पक्की हो कि बाबा हम आपके पक्के योगी बच्चे हैं, पवित्र हैं, पवित्र ही रहेंगे। जो इस प्रतिज्ञा में पक्के रहते हैं उन्हें बाबा की 100 गुणा दुआयें मिलती हैं।
हाँ जी करने वाले को कहा जाता है आज्ञाकारी, उन पर माँ बाप की दुआयें होती हैं क्योंकि आज्ञाकारी माना सपूत। तो सदैव आज्ञाकारी रहो।
जो भी हमारे नियम मर्यादायें हैं, उन मर्यादाओं का जीवन में श्रृंगार करते अपनी उन् नति करते रहो और नशा रखो कि हम वही कल्प पहले वाले पाण्डव हैं, गोप हैं। गोप का अर्थ ही है जिससे भगवान से प्यार हो और कोई नहीं हो। गोप और गोपियां। तो कल्प पहले वाले गोप हो, पाण्डव हो। पक्के योगी, तपस्वी, त्यागी-वैरागी हो! यह सब सवाल खुद से पूछो और अपने आपको पक्का करो। सेवाधारी हो, कोई ईष्र्या तो नहीं, कोई दुनिया याद तो नहीं आती? बुद्धि कहाँ बाहर तो नहीं जाती या भटकती?