परतवाडा (महाराष्ट्र): प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदंबा का 58 वां स्मृति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर माउंट आबू से पधारे हुए बी के भगवान भाई ने ने कहा कि मां जगदंबा ने अल्पायु में ही तीव्र पुरुषार्थ दो बातों को सामने रख किया- हुक्मी हुक्म चला रहा है, जीवन की हर घड़ी अंतिम घड़ी है। जिससे ही वह 24 जून 1965 को मानव जीवन की संपूर्णता को प्राप्त कर इस देह से न्यारी हुई। जिनकी शिक्षाओं को विश्व भर के ब्रह्मा वत्स जीवन में उतारने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने मातेश्वरी जगदंबा जी के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सन् 1936 में मातेश्वरी जी 16 वर्ष की आयु में इस महान यज्ञ में आई, जो प्रथम ब्रम्हाकुमारी थी। आपको सभी प्यार से मम्मा कहकर बुलाते थे। परमात्मा ने ज्ञान का कलश उनके सिर पर रखकर सारे यज्ञ की बागडोर उनके हाथों में सौंप दी। बीके सुलेखा बहिन ने मम्मा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा- कि मम्मा ममता की मूरत थीं और सभी यज्ञ-वत्सों का मां की तरह पालन-पोषण करती थीं। उनके मातृत्व भाव से प्रेरित होकर हजारों कन्याओं ने अपना जीवन ईश्वरीय सेवा में समर्पित कर दिया।
इस मौके बी के लता बहनजी जी ने सभी को मम्मा की विभिन्न विषताओ से अवगत कराया |
इस अवसर पर सभी बीके भाई बहिनों ने मां जगदंबा को पुष्पाजंलि अर्पित कर उनका भावपूर्ण स्मरण किया। श्रध्दा के मन सुमन अर्पित किया
सिंगर बी के अविनाश भाई जी ने मम्मा के स्मुर्ती के गीत गाये |
बी के अनीता बहन राजयोग शिक्षिका .बी के गायत्री बहन राजयोग शिक्षिका बी के संगीता बहन राजयोग शिक्षिका , सिंगर बी के अविनाश भाई सिनियर राजयोग शिक्षक उपस्थित थे |
सभी भाई बहनों ने भी अपना स्नेह सुमन अर्पित कर आज के दिन उन्हें जो प्रप्ति हुए उसका अनुभव सुनाया |