कोई भी मुकाम तक पहुंचना है तो तपस्या करनी ही होती है। तपस्या का मतलब ही है क्रतपञ्ज यानी निश्चित उष्णता मान में किसी भी चीज़ में परिवर्तन होना। तो परिवर्तन यानी कि जहां हम हैं या जिसको हम अचीव करना चाहते हैं, उसी तरफ आगे बढऩा। उसी के लिए तपस्या है।
हम अभी रूहानी यात्रा पर हैं। जिस प्रकार इस धरती पर हम जब यात्रा करते हैं तो बीच-बीच में कई माइल स्टोन आते हैं जिससे हमें पता चलता है कि हम कहाँ तक पहुंचे हैं। ठीक इसी तरह बाबा ने हमें इस मास में तपस्या करने, आगे बढऩे का अवसर दिया है। तो हम क्या करेंगे? तपस्या माना अपने आप को देखेंगे कि हम कहाँ हैं और हमें कहाँ पहुंचना है। इसके बीच की दूरी को कम करना, साथ ही समय को भी, वायुमण्डल को भी देखना है, स्पीड को भी बढ़ाना है। एक तरह से हम अपने आप को चेक करते हैं कि जिस लक्ष्य की ओर हमें जाना है और जा रहे हैं, उसको गति देना अर्थात् जो बाह्यता की रुकावटें हैं या अड़चनें हैं, कठिनाइयां हैं, उनको क्रॉस करना, उसके लिए शक्ति भरना और आगे बढऩा है। हमारे पास जो भी संसाधन हैं उनका सही-सही रूप में मूल्यांकन करते हुए उनका सही समय पर उपयोग और प्रयोग करना और सहयोग लेना। इसी तरह तो हम तपस्या के विशेष समय में अपने आप को टटोलेंगे, अपने भीतर झाँकेंगे ना!
विशेष रूप से अपने मकसद में कामयाब होने के लिए स्पष्ट लक्ष्य हो, लक्षण हो, और परहेज भी हो। जैसे बीमारी को ठीक करने के लिए डॉक्टर हमें कहता है कि आप ये गोली लेंगे, यह परहेज करेंगे और साथ ही एक्सरसाइज़ भी करेंगे तो आप इससे मुक्त हो पायेंगे। वे और भी एक सलाह देते हैं कि आप ये इस टाइम पर, यानी खाने के पहले, सोने के पहले लेना, तब ही शत् प्रतिशत उस बीमारी से मुक्त होंगे।
ठीक उसी तरह हमारे मन और बुद्धि में हमारा लक्ष्य बिल्कुल क्लियर और स्पष्ट होना ज़रूरी है। अगर अंधड़ या बादल होंगे तो हमारी गाड़ी की स्पीड कम हो जायेगी ना! पर हमारे गंतव्य स्थान का समय निश्चित है कि हमें इस समय पहुंचना है, न पहुंचने पर वो गाड़ी छूट जायेगी। तो प्रकाश माना कि हर लक्ष्य के प्रति क्लियरिटी। जो लक्ष्य रखा है उसके लिए पर्याप्त संसाधन होना बहुत ज़रूरी है, गति भी आवश्यक है।
लक्षण माना उसे अचीव करने के लिए पूरा ज्ञान भी हो, उसकी सही विधि और शक्ति भी हो। अगर इन तीनों में से एक का भी असंतुलन है, एक की भी कमी है तो हम उसे प्राप्त करने में असमर्थ होंगे। हमारे पास पर्याप्त संसाधन तो हैं परंतु उनको ऑपरेट करना नहीं आता, तो भी लक्ष्य प्राप्त नहीं होगा। जैसे मोबाइल है हमारे पास, लेकिन न हमारे पास उसका पासवर्ड है और न ही उसे ऑपरेट करने का ज्ञान। तो भले ही वो कितना भी कीमती मोबाइल है पर हम उससे होने वाली प्राप्ति से वंचित हो जायेंगे।
कोई भी चीज़ करने के लिए शक्ति का होना बहुत महत्त्वपूर्ण है। क्योंकि जब हम बीमार हैं, शारीरिक दुर्बलता है तो एक किलो भी भारी वस्तु उठाना हमें कठिन लगता है। उसी तरह हमें उच्च लक्ष्य तक पहुंचना है तो मुख्यत: हमारे पास पवित्रता, शक्ति, और उसे यूज़ करने के बारे में सही समझ होना ज़रूरी है। जबकि हमने विश्व परिवर्तन करने का बीड़ा उठाया है तो इन चीज़ों का होना अति आवश्यक है। इसके लिए पाँच बातों पर हमें ध्यान देना ही होगा। मन-बुद्धि को एकाग्र करना होगा अर्थात् मन-बुद्धि की सम्पूर्ण शक्ति लक्ष्य की ओर एकाग्र हो। एकांतप्रिय, तपस्या में हम क्या करते हैं, लौकिक या अलौकिक जो भी कार्य हम कर रहे हैं उनसे हटकर थोड़ा समय एकांत में बैठकर लक्ष्य से सम्बंधित सोचना, तराशना और तपाना। कहां-कहां हमारी शक्तियों और संसाधनों का व्यय हो रहा है, उस लीकेज को बंद करना। अपने भीतर में झांकना और अपनी शक्तियों को न सिर्फ जागृत करना बल्कि उसको निरंतर प्रज्वलित करने की दिशा में आत्मविश्वास पैदा करना, नई उमंगें भरना, क्लियरिटी को प्रखर करना। एकरस स्थिति के लिए रस अर्थात् रूचि हो और उसमें निरंतरता भी हो। उसके लिए परमात्मा ने जो हमें शक्तियां, खज़ाने दिये हैं उनके महत्त्व को समझना और उन्हें सम्भालना। हमें वर्तमान समय में प्राप्त परमात्मा की मदद का सम्पूर्ण रूप से उपयोग और प्रयोग कर आत्मविश्वास को प्रखर करते जाना है। अर्जुन की तरह हमारी निगाहें सिर्फ अपने लक्ष्य पर केन्द्रित हों।
हमें भविष्य में जहाँ पहुंचना है, वो हमारे नैनों के सामने बारम्बार दिखते रहना चाहिए। क्योंकि अब हमारा लंगर इस दुनिया से उठ चुका। जैसे विलायत से लौटने वाले पिता के मन में अपना घर सदा आँखों के सामने आता है ना कि अब मैं पहुंचा कि पहुंचा, उसी तरह अब जहाँ पहुंचना है उसी तरफ अपनी सम्पूर्ण शक्तियों को एकाग्र करते हुए आगे बढऩा है। विशेष रूप से तपस्या के समय हमें अपनी सोच को बिल्कुल शुभ, श्रेष्ठ और कल्याणकारी बनाना होगा। व्यर्थ को तो हमें सम्पूर्ण रूप से विदाई दे देनी है। कोई भी साइड सीन के आकर्षण हमारी बुद्धि को विचलित न करें। हमें सिर्फ और सिर्फ अपना भविष्य आँखों के सामने स्पष्ट दिखाई दे, इसके लिए हमें वर्तमान में फरिश्ते की तरह जीवन जीना होगा। तो सभी तैयार हैं ना…! अपने मन की प्रीत अपने प्राण प्यारे बाबा से जोड़कर वो जो हमें बनाना चाहते हैं वो ही हमें बनना है। इस सुंदर अवसर में परमात्म मेहर के बीच तपस्या की लहर का आनंद लें।