जिस चीज़ का बीज बोयेंगे फल भी उसी का ही मिलेगा ना!
आज मनुष्य आत्मा के कैरेक्टरिस्टिक फीचर्स क्या हैं? मनुष्य आत्मा में इतनी क्षमता है जो 10 साल तक का सोच सकती है। प्लानिंग कर सकती है। और सब प्लानिंग करके वो चलता है। उसके बच्चे के बच्चे क्या खायेंगे वो भी सोच लेता और इक_ा करना शुरू कर देता है।
पिछले अंक में हमने बात की थी कि हर प्राणी अपनी-अपनी योनि में खुश है। मनुष्य से अगर पूछा जाये कि क्या इस बार आपको चूहा या बिल्ली बना दिया जाये तो क्या मनुष्य हाँ कहेगा? बिल्कुल नहीं। दूसरी बात, कहा जाता है कि जैसा बीज वैसा फल। अगर एक आम का बीज डालो नैचुरल है उसमें आम ही मिलेगा। आम का बीज डाल करके उसमें से चीकू तो नहीं मिलेगा ना! क्योंकि बीज अलग है। धरनी वही है, आकाश वही है, वायु वही है, जल वही है, लेकिन एक बीज से दूसरा कोई नहीं मिल सकता। क्यों? क्योंकि हर बीज की कैरेक्टरिस्टिक फीचर(विशेषणिक विशेषताएं) अपने-अपने हैं। इसीलिये एक फल से दूसरा फल मिल सकता है। लेकिन एक बीज से दूसरा फल नहीं मिल सकता। ठीक इसी तरह ईश्वर ने भी मनुष्य आत्मा को एक बार मनुष्य योनि में रोपित कर दिया तो फिर वह जानवर कैसे बनेगा! जिस आत्मा को जानवर योनि में रोपित कर दिया तो मनुष्य कैसे बनेगा क्योंकि दोनों आत्मा के कैरेक्टरिस्टिक फीचर अपने-अपने हैं। आज मनुष्य आत्मा के कैरेक्टरिस्टिक फीचर्स क्या हैं? मनुष्य आत्मा में इतनी क्षमता है जो 10 साल तक का सोच सकती है। प्लानिंग कर सकती है। और सब प्लानिंग करके वो चलता है। उसके बच्चे के बच्चे क्या खायेंगे वो भी सोच लेता और इका करना शुरू कर देता है। जानवर शाम को क्या खाएगा उसके लिए इका नहीं करता। हर योनि की विशेषता अपनी-अपनी है। मनुष्य में एक्स्ट्रा समझ शक्ति है, एक्स्ट्रा सोचने की पॉवर है जो जानवरों में नहीं है। जानवरों के अन्दर भी है लेकिन लिमिटेड। लेकिन जानवर में जो विशेषता है वो मनुष्यों में नहीं है। कहा जाता है कि अगर कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है, भूकंप आने वाला होता है तो जानवरों को 24 घंटे से पहले मालूम पड़ जाता है। मनुष्य के पास इतने साधन होने के बावजूद भी उसको मालूम नहीं पड़ता। कहते हैं कि जब सुनामी आने वाली थी तो उस वक्त इंडोनेशिया में हाथी को 4 दिन पहले से मालूम पड़ गया था। हाथियों ने इतना अपना आवाज़ करना शुरू किया और जहाँ उन्हें बांधा हुआ था या जहाँ उन्हें रखा था वहाँ से अपने मालिक को लेकर के आगे की ओर चलने लग पड़े और पहाड़ी की तरफ जाने लगे क्योंकि वह स्लो पैर से चलता है तो 4 दिन में वह पहाड़ी पर पहुंच गए। और वो बच गए। पक्षियों को भी मालूम पड़ जाता है। वो भी आवाज़ करने लग जाते हैं। उडऩा चालू कर देते हैं तो जो विशेषता उनमें है वो मनुष्य में नहीं है और जो विशेषता मनुष्य में है वह पशु-पक्षी में नहीं है। तो हर मनुष्य आत्मा रुपी बीज की कैरेक्टरिस्टिक अपनी-अपनी है। तो एक बीज से दूसरा फल कैसे मिल सकता है! सोचने की बात है। तब कहा हर मनुष्य आत्मा अपने कर्मों का फल अपनी योनि में रह कर ही चूक्तू करती है। जानवर अपने कर्मों का फल अपनी योनि में रहकर चूक्तू करता है। आज एक कुत्ते को भी हम देखें एक कुत्ता जो है मोटर गाड़ी, बंगले में घूम रहा है, दूध और ब्रेड खा रहा है और दूसरा कुत्ता डस्टबीन से कीचड़ा उठाकर खा रहा है। वो अपनी योनि में रहकर अपने कर्मों का फल भोगता है। आज अगर सारी योनियों में घूम कर आएं तो तो कर्म सिद्धांत ही फेल हो जाए। ओम 9 के लिए कई बार कई लोगों को पूर्वजन्म याद आता है देखा जाता है कई लोग जो बताते हैं पूर्वजन्म की बातें छोटे छोटे बच्चे और वहां जाकर रिसर्च किया जाता है तो वास्तविक होता है। मुझे याद आता है एक छोटा बच्चा दिपक नाम था उसका 3-4 साल का जब हुआ तो अपने माता-पिता को कहता था जैसे बोलना शुरू किया कि मुझे अपने घर जाना है मुझे अपने घर जाना है माता-पिता बार-बार उसको समझाए यही अपना घर है वो कहे मेरा घर अलग है। मुझे वहां जाना है। खैर माता-पिता को तो मालुम नहीं था ऐक दिन बच्चे को गाड़ी में घुमाने ले जा रहे थे और घूम कर के जब वापस आ रहे थे तो एक मोड़ आया जहां से बच्चे ने कहा कि अब यहां से राइट ले लो माता-पिता ने कहा नहीं बेटा हमारा घर तो इस तरफ है नहीं कहा मेरा घर तो इस तरफ है इस तरफ ले लो फिर राइट लेफ्ट आदि बताते हुए अपने एक बहुत बड़े बंगले के पास पहुंचा कहा यह मेरा घर है बहुत खुश हो गया कहा बेटा यह अपना घर नहीं है उन्होंने सोचा पता नहीं किस का बंगला है और कहा यह ले आया कहा नहीं मेरा घर है न चलो आप वहां वांच मेंन खड़ा था उसको कहा शारदा है घर में तो कहां है कहां दरवाजा खोलो उसने दरवाजा खुला अंदर लेकर गया वहां जाकर के बेल बजाई बहन आई बहन को देखते ही कहता शारदा मुझे पहचाना नहीं पता नहीं कौन है फिर जाकर के वो अपनी कुर्सी पर जहां हमेशा बैठता था उसी कर्सी पर उसी स्टाइल मे जाकर बैठा तब वो बहन को महसूस हूआ रे यह तो कहीं वह आत्मा तो नहीं है तो फिर उसने कहा के घर में एक नौकर था जिसका नाम हरि था तो उसने कहा कि हरी है घर में तो कहा नहीं वह तो मर गया सेठ जी जाने के बाद वह भी मर गया तुरंत 1 महीने के अंदर ही तो कहा कोई बात नहीं दूसरा कोई नौकर है घर में तो कहा है तब बच्चे कहां गए छोटा सा बच्चा पूछता है 3 साल का तो कहा वो तो बिजनेस पर गए हुए हैं तो बहन तो समझ गए कि यह वही आत्मा है माना उसका पति जो पिछले जन्म वही आत्मा है फिर उसने कहा नौकर को बुलाओ पीछे जाना है घर के पीछे के साइड में गए और वहां एक बड़ा पेड़ था उस नॉकर को कहा यहां खुदाई करो खुदाई किया और नीचे से पिटारा निकाला बडे आश्चर्य हो गया कि पिटारा और सारे बैन्क के किताबे पता नहीं क्या इम्पॉटन डॉक्युमेंटस् उसके अंदर थे उसने उस बहेन को दिया कि यह बच्चों को दे देना और उसके बाद वो चला गया भूल गया सब कुछ माना उसके बाद उस समय कहा उस बच्चे ने कहां यह पेटी मैंने हरी नौकर के साथ मिलकर के उसको यह पेड़ के पास अंदर गाड़ दिया था क्यों तो कहा मुझे पहले दिन ही मालूम पड़ गया था कि हमारे घर में रेड पढऩे वाली हैं और इसलिए जब रेड पडऩे वाली है तो सारे डाक्यूमेंट्स जितने भी हाथ में सूटकेस में भर कर के उस पिटारे के अंदर डाल कर के उसको वहां झाड़ के नीचे खड्डा खुदवा करके दफना या जो मैं और हरी दो ही जानते थे और कोई नहीं जानता और इसलिए वह आत्मा जब गई वह संस्कार लेकर के गई माना वह अंतिम इच्छा यही थी उसकी मरने से पूर्व कि अब सब दबा का दबा रह जाएगा किसी को कुछ तो पता नहीं चलेगा तो यह जन्म में जाकर के भी वह पिछली स्मृति जो उसको सता रही थी अंदर में बच्चों को देख कर के फिर आऊ और जैसे उसे हैंड ओवर कर दिया उसके बाद विस्मृत हो गया फिर अपने माता-पिता को कहते हैं चलो अपने घर बस वो लास्ट संकल्प उसका पूरा हो गया ठीक इसी तरह कई बार पशु भी अपना पूर्व जन्म बताते है कि वो पशु ही थे पीछले जन्म में कैसे तो मुझे याद आता है एक बार एक न्यूज़ पेपर में यह बात आई थी कपल अपने कुत्ते के साथ घूमने गए थे जैसे ही आ रहे थे तो अचानक वो कुत्ता एक डम परेसान होकर के भोकने लगा इन लोगोंने जैसे गाड़ी खडी किया उसने खिड़की से काच से खुला था कूदकर के सामने फार्महाउस था उसमें दौड़ करके चला गया यह लोग उसके पीछे पीछे गया कि पता नहीं उसको क्या स्मेल आई क्या हुआ क्यों गया वो वहां जाने के बाद एक बूढ़ी माता जी थी जो घूम रही थी तो उसको जैसे प्यार करने लगा वह बूठी माता जी को भी पता नहीं यह किसका कुत्ता है क्यों इतना प्यार कर रहा है जैसे यह वहां पहुंचा तो बूढ़ी माता जी ने कहा पता नहीं यह आपका कुत्ता है कहां हां हमारा कुत्ता है यहां दौड़ करके ले आया वो बूढी माता जी देखते रह गइ फीर अचानक कुत्ता पीछे की और गया और अचानक कुछ ढूंढने लगा तब यह बूढी माता जी हंसने लगी कहा यह कितने साल का कुत्ता है। कहा तीन साल का कहा तीन साल पहले मेंरे पास एक कुतीया थी और यह जो ढूढ रही है न उसने अपने बच्चे वहां रखे थे बच्चों को ढूंढ रही है कहा फिर क्या हुआ तो कहा वह मचान पर रखा था बर्फ के दिन थे इतना बर्फ गिरी और उसके बच्चे सारे बर्फ में धक वो बर्फ निकाल रही थी गए थे वह बर्फ निकाल रही थी बच्चों के उपर से और जो है। अचानक उसका पैर फिसला नीचे गीरी निचे वो कुल्हाडी थी उस पर गिर के मर गई यह जो अभी ढूढ रही है न वो लास्ट वो क्षण थे पशु के मनुष्य ने अपने पूर्व जन्म बताता है मनुष्य तो किसी ने आज तक यह नहीं बताया कि जानवर योनि से मनुष्य बने यह किसी ने नहीं बताया कहने का भावार्थ मनुष्य मनुष्य योनि में रह कर के ही अपने कर्मोंे का फल भोगता है। ओम शान्ति।।