छतरपुर: हीरे जैसे अमूल्य जीवन को मानव सेवा में लगाना ही सच्ची समाज सेवा है- बीके शैलजा

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छतरपुर,मध्य प्रदेश। जो हमें मिला है उसके लिए प्रतिदिन ईश्वर का धन्यवाद अवश्य करें‘बड़े भाग्य मानुष तन पावा’ और वह बड़े भाग्य से मिलने वाला मनुष्य का तन हमने पाया है और हमें भगवान ने बहुत ही बुद्धिमान प्राणी बनाया है। मनुष्य सबसे तेज बुद्धि वाला माना गया है, वह बुद्धि हमारे पास है, हमारे पास वह समझ है मुझे पता है कि क्या सही है क्या गलत है। हमारे पास विवेक है। हमारे पास धर्म ग्रंथ है जो हमें बताएंगे कि जीवन में किस रास्ते पर चलो, हमारे पास मेरे गुरुजन, शिक्षक, मात-पिता है जो मेरे शुभचिंतक है जो मुझे जीवन की सही दिशा देते हैं, चलो और कोई नहीं तो मेरे साथ मेरा परिवार है। तो जो मुझे प्राप्त है, क्या हम उसकी गिनती गिनते हैं? उसकी माला फेरते हैं, क्या हम भगवान का उसके लिए धन्यवाद करते हैं? या जो हमें नहीं मिला है उसके लिए नकारात्मक सोचते हुए स्वयं को कोसते रहते हैं। अब जरूरत है स्वयं की सोच को सकारात्मक बनाने की, नहीं तो हीरे जैसा जन्म अमोलक कौड़ी तुल्य ही चला जाएगा और समाज को हम कुछ भी प्रदान नहीं कर पाएंगे। जो हमें मिला है उसके लिए प्रतिदिन ईश्वर का धन्यवाद अवश्य करना चाहिए। इस हीरे जैसे जीवन को मानव सेवा में लगाना है सच्ची समाज सेवा है।
उक्त उद्गार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय लवकुश नगर द्वारा ब्रह्माकुमारीज के समाज सेवा प्रभाग के अंतर्गत ‘सकारात्मक परिवर्तन वर्ष के अंतर्गत- समाज सेवा के नए आयाम विषय पर आयोजित कार्यक्रम में छतरपुर से पधारी बीके शैलजा बहन जी ने व्यक्त किए।
इस अवसर पर कुशवाहा समाज अध्यक्ष अरविंद कुशवाहा, पाटकर समाज अध्यक्ष महेश पाटकर, श्याम पाटकर, पटेल समाज के अध्यक्ष नारायण दास पटेल ,नामदेव समाज अध्यक्ष जगदीश प्रसाद नामदेव सहित नगर के सभी गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत में लवकुश नगर सेवाकेंद्र प्रभारी बीके सुलेखा एवं उषा बहन ने सभी अतिथियों का तिलक, वैज, उपर्णा उड़ाकर सम्मान किया तत्पश्चात दीप प्रज्वलन किया गया उसके पश्चात कु सौम्या ने स्वागत नृत्य की प्रस्तुति दी।
 इस मौके पर सभी समाज के अध्यक्षों के द्वारा बीके शैलजा बहन जी का शाॅल और श्रीफल द्वारा सम्मान किया गया।
कार्यक्रम के अंत में छतरपुर से आईं बीके कल्पना द्वारा कॉमेंट्री के माध्यम से मेडिटेशन कराया गया तत्पश्चात सभी को ईश्वरीय सौगात, साहित्य एवं प्रसाद भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।

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