महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं को फ़ेक न्यूज़ से बचाना है फ़ैक्टशाला का मुख्य लक्ष्य
– सूचना साक्षरता है आज के समय की ज़रूरत
– ब्रह्माकुमारीज के मीडिया विंग एवं यूथ विंग द्वारा ग्वालियर में आयोजित हुई फ़ैक्टशाला
– महिलाओं और बुजुर्गों ने लिया हिस्सा, फेक न्यूज़ से जुड़े अनुभव किये शेयर
ग्वालियर,मध्य प्रदेश। प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की सहयोगी संस्था राजयोग एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउंडेशन के मीडिया एवं यूथ विंग के द्वारा आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर थीम के अंतर्गत फैक्टशाला का आयोजन किया गया. यह कार्यशाला डेटा लीड्स, तथा गूगल न्यूज़ इनिसिएटिव के सौजन्य से आयोजित हुई। जिसमें फ़ैक्टशाला के ट्रेनर डॉ मनीष जैसल ने सूचना साक्षरता विषय पर महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं को सम्बोधित किया। फ़ैक्टशाला के ट्रेनर डॉक्टर मनीष जैसल जनसंचार तथा पत्रकारिता विभाग आईटीएम विश्वविद्यालय ग्वालियर में विभाग प्रमुख हैं तथा फ़ेक न्यूज़ से बचाव तथा मीडिया शिक्षा से जुड़ी हुई देश भर में 100 से अधिक कार्यशाला अब तक कर चुके हैं।
इस दौरान ट्रेनिंग के समन्वयक बीके प्रहलाद ने कहा कि मौजूदा समय में जिस तरह की भ्रामक सूचनाएँ हमारे आस पास फ़ैल रही हैं इससे व्यक्ति के तन और मन पर गहरा असर पड़ने के साथ साथ समाज पर भी इसका नकारात्मक असर हो रहा है. कई उदाहरण हमारे सामने भी हैं | इसी क्रम में संस्थान से जुड़े हुए लोगों के लिए इस महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया है।
कार्यशाला में सभी का स्वागत करते हुए बीके डॉ गुरुचरण सिंह ने कहा कि आज के दौर में जहाँ पर सोशल मीडिया पर झूठी और सही खबर को परख पाना मुश्किल होता है, वही इस तरह की कार्यशाला जो जन जागृति के लिए है इसका लाभ लोगों को मिलेगा और वह जागरूक होकर अपने परिवार तथा अन्य लोगों को भ्रामक सूचनाओं और फ्राड फ़ोन कॉल्स से बचने के तरीकें बता पाएंगे .
ट्रेनिंग के दौरान डॉ जैसल ने फ़ैक्टशाला के उद्देश्य को बताते झुए कहा फ़ैक्टशाला के माध्यम से हम देश के अलग अलग हिस्सों के भिन्न ग्रुप को सूचना साक्षरता के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं। गूगल न्यूज़ इनिसिएटिव तथा डेटा लीड्स के माध्यम से फैक्टशाला करते हुए हम युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों के अलावा समाज के भिन्न ग्रुप को सूचना साक्षरता के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं । डॉ जैसल ने उद्बोधन के दौरान बताया कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के युग में सटीक और विश्वसनीय सूचनाओं का अनुमान लगाना मुश्किल तो है लेकिन व्यक्ति अपनी आलोचनात्मक दृष्टि से ऐसी सूचनाओं को देखें और पूर्वाग्रह को ख़त्म करते हुए अगर सूचनाओं का प्रसार करें तो भ्रामक सूचनाओं को बढ़ने से रोका जा सकता है . डॉ जैसल ने इस विशेष व्याख्यान में एक्सेस फैक्ट चेकिंग टूल्स और वेबसाइट्स के बारे में भी चर्चा की, जिनसे लोग समाचार और जानकारी की वैधता का पता लगा सकते हैं। इसके अलावा, उन्होंने युवा पीढ़ी को फेक न्यूज़ और भ्रामक खबरों से सावधान रहने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि सटीक जानकारी की उपलब्धता और सावधानी पूर्वक नजर रखना समृद्धि और सकारात्मक सोच के लिए आवश्यक है।
ट्रेनिंग में मनीष ने सूचनाओं के प्रकार, जैसे मिसइन्फ़र्मेशन, डिसइन्फ़र्मेशन, प्रपोगेंडा आदि के अलावा डेवलपमेंट ऑफ़ क्रिटिकल थिंकिंग, पूर्वाग्रह तथा फ़ेक न्यूज़ को जाँचने के टूल्स और टेक्निक पर बिस्तार से चर्चा की। इस दौरान कार्यशाला के प्रतिभागियों ने अपने अनुभव भी शेयर किये | जहाँ कुछ लोगों के पास फर्जी फ़ोन कॉल्स के बाद आर्थिक नुकसान के अनुभव थे तो कईयों के पास स्वास्थ्य से जुडी भ्रामक सूचनाओं के चलते गंभीर बीमारी होने का अनुभव रहा | युवाओं के बीच भी ऐसे कई अनुभव हैं जिसे इस कार्यशाला में लोगों के शेयर किया
ट्रेनिंग का संचालन बीके रोशनी ने किया। इस दौरान बीके महिमा, राजेंद्र सिंह, योगेश जसेजा, पंकज टहलवानी, कन्हैया लाल, प्रोफ़ेसर आर एस वर्मा, जय किशन आगीचा, संतोष बंसल, नारायण चोरासिया, बीके अरुण, जी एस मोर्य, अशोक पमनानी, डॉ निर्मला, ऋचा, रीता दिव्या, कंचन, रितु बंसल, दीपा, ममता सहित अन्य लोग उपस्थित रहे ।