सच की दुनिया के लायक बन… बाबा के अरमान को पूरा करना है

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ज्योतिषी को अपने भविष्य के बारे में जानने के लिए हम हाथ दिखाते हैं। परन्तु यहाँ हमेें न सिर्फ भाग्य की रेखा बनाने वाले बल्कि भाग्य को बढ़ाने वाले भी बनाते हैं। और ये अधिकार स्वयं परमात्मा हमें देते हैं। जैसे हमने किसी को ज्ञान समझाया और वो इस मार्ग में आगे चल पड़ा तो उसी का भाग्य जग जाता है ना!

मुझे याद है दिल्ली की एक घटना। एक मालिक के घर में एक किरायेदार बैठ गया, वह घर छोडऩे के लिए तैयार नहीं था। मालिक कोर्ट में गया, 45 साल लग गये उसका निर्णय मिलने में। किरायेदार बड़ा चालाक आदमी था। वह अच्छे से अच्छा वकील लेकर उस केस को 45 साल तक चलाता रहा। आखिर मकान वाले को सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा। वह मालिक भी मर गया, उसका बेटा भी मर गया, उसके पोतों को वो वह मकान मिला। 45 सालों तक कोर्ट में लडऩे के बाद क्या मिला? अपने घर से एक किरायेदार को निकाला। अपने घर को ही छुड़ाने के लिए 45 सालों तक न्याय के लिए लडऩा पड़ा। देखिये लॉ कैसे है! खोदा पहाड़, निकला चूहा। वह भी मरा हुआ चूहा! 45 सालों बाद उस मकान की हालत क्या हुई होगी! ऐसे हैं कलियुगी कानून। बाबा ने कहा है कि आप हैं लॉ मेकर्स। आपका भविष्य क्या है! लोग ज्योतिषी को दिखाते हैं अपना हाथ, भविष्य को जानने के लिए। लेकिन परमात्मा हैं हमारे भाग्य की रेखा को बढ़ाने वाले। न सिर्फ भाग्य की रेखा बनाने वाले और बढ़ाने वाले लेकिन वह कहते हैं कि यह अधिकार मैं आपको भी देता हूँ। जो भाई-बहनें दूसरों को ज्ञान देते हैं, योग सिखाते हैं, पवित्र बनाते हैं, उन्होंने भी तो उनके भाग्य की रेखा बनायी ना! दुनिया में कोई है जो 5000 वर्षों के लिए किसी के भाग्य को उज्जवल, महान, सर्वश्रेष्ठ बना दे और 2500 वर्षों तक किसी भी प्रकार का दु:ख, अशान्ति, कष्ट, क्लेश तन का, मन का, धन का किसी भी प्रकार का न हो? कई बार तो लोग आपस में चर्चा करते हैं, एक-दूसरे की कटु आलोचना करते रहते हैं कि यह चोरबाज़ारी करता है, ब्लैकमार्केटिंग चलाता है, यह भ्रष्ट आदमी है। जब उनमें से कोई मर जाता है तो कहते हैं या अखबारों में वही लोग बयान देते हैं कि वह बहुत अच्छा व्यक्ति था, इसकी मृत्यु से देश के लिए काफी हानि हुई, अभी इसकी जगह भरनी मुश्किल है। वही लोग कल तक उसको कहते थे कि वह गद्दार आदमी है, देश के लिए खतरनाक आदमी है इत्यादि-इत्यादि। जब वह जि़न्दा था, उसके खिलाफ प्रदर्शन करते थे, उसको बुरा-भला कहते थे लेकिन मर गया तो उसको श्रद्धांजलि देते समय उसका गुणगान करते हैं, जैसे कोई महान देशभक्त, देशप्रेमी मर गया। क्योंकि जुबान को तो कोई हड्डी नहीं है, जहाँ चाहे वहाँ मोड़ लो। कल ऐसा बोलता था, आज बोल रहा है, बहुत अच्छा इन्सान था, बहुत शरीफ था। सत्य तो है नहीं। इसलिए बाबा कहते हैं कि कलियुग में झूठ तो झूठ, सच की रत्ती भी नहीं। रत्ती क्या होती है, जानते हैं? पहले तोला, माशा, रत्ती, मन, छँटाक होते थे तोलने के लिए। आठ चावल की एक रत्ती होती थी। आठ चावल का जितना वजन होता है उसको एक रत्ती कहते थे। बाबा कहते हैं, इतना भी सत्य इस दुनिया में नहीं है। ऐसा है कलियुग। सतयुग ऐसा है कि सच ही सच, झूठ की रत्ती भी नहीं है। ऐसी झूठ की दुनिया में रहकर हम सबको सच की दुनिया के लायक बनना है, बाबा के अरमान पूरे करने वाले बनना है।

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