अब मुख्य सर्विस है ही अपनी वृत्ति और दृष्टि को पलटाना। यह जो गायन है नज़र से निहाल, तो दृष्टि और वृत्ति की सर्विस यह प्रैक्टिकल में लानी है। वाचा तो एक साधन है लेकिन कोई को सम्पूर्ण स्नेह और सम्बन्ध में लाना उसके लिए वृत्ति और दृष्टि की सर्विस हो। यह सर्विस एक स्थान पर बैठे हुए एक सेकंड में अनेकों की कर सकते हैं। यह प्रत्यक्ष सबूत देखेंगे। जैसे शुरू में बापदादा का साक्षात्कार घर बैठे हुआ ना! वैसे अब दूर बैठे आपकी पॉवरफुल वृत्ति ऐसा कार्य करेगी जैसे कोई हाथ से पकड़ कर लाया जाता है। कैसा भी नास्तिक, तमोगुणी बदला हुआ देखने में आएगा। अब वह सर्विस करनी है। लेकिन यह सर्विस सफलता को तब पायेगी जब वृत्ति पॉवरफुल होगी। जि़म्मेदारी तो हरेक अपनी समझते ही हैं।
हरेक को अपनी सर्विस होते हुए भी, यज्ञ की जि़म्मेवारी भी अपने सेंटर की जि़म्मेवारी के समान ही समझना है। खुद ऑफर करना है। वाणी के साथ-साथ वृत्ति और दृष्टि में इतनी ताकत है, जो किसके संस्कारों को बहुत कम समय में बदल सकते हो? वाणी के साथ वृत्ति और दृष्टि नहीं मिलती तो सफलता होती ही नहीं। मुख्य यह सर्विस है। अभी से ही बेहद की सर्विस पर बेहद की आत्माओं को आकर्षित करना है। जिस सर्विस को आप सर्विस समझते हो प्रजा बनाने की, वह तो आप की प्रजा के भी प्रजा खुद बनने हैं, वह तो प्रदर्शनियों में बन रहे हैं। अभी तो आप लोगों को बेहद में अपना सुख देना है तब सारा विश्व आपको सुखदाता मानेगा। विश्व महाराजन को विश्व का दाता कहते हैं ना! तो अब आप भी सभी को सुख देंगे तब सभी तुमको सुखदाता मानेंगे। सुख देंगे तब तो मानेंगे। इसलिए अब आगे बढऩा है। एक सेकंड में अनेकों की सर्विस कर सकते हो।
कोई भी बात में फील करना फेल की निशानी है। कोई भी बात में फील होता है, कोई के संस्कारों में, सम्पर्क में, कोई की सर्विस में फील किया माना फेल। वह फिर फेल जमा होता है। जैसे आजकल रिवाज़ है, तीन-तीन मास में परीक्षा होती है, उसके लिए फेल व पास के नम्बर फाइनल में मिलाते हैं। जो बार-बार फेल होता है वह फाइनल में फेल हो पड़ते हैं। इसलिए बिल्कुल फ्लोलेस बनना है। जब फ्लोलेस बनें तब समझो फुल पास। कोई भी फ्लो होगा तो फुल पास नहीं होंगे।