जब हम श्रद्धाभाव, समर्पण भाव से कार्य करेंगे तो जीवन सफल होगा: राज्यमंत्री राजेश्वर सिंह
– वैश्विक शिखर सम्मेलन के तीसरे दिन विद्वानों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास विषय पर किया मंथन-चिंतन
आबू रोड (राजस्थान)। ब्रह्माकुमारीज़ के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय शांतिवन में चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन के तीसरे दिन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए संयुक्त प्रयास विषय पर सत्र आयोजित किया गया। इसमें उप्र कुशीनगर के राज्यमंत्री व बीज निगम के अध्यक्ष राजेश्वर सिंह ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ में दिए जा रहे ज्ञान को अनुकरण करने की आवश्यकता है। जब हम इस ज्ञान का अनुकरण करेंगे तो समाज आगे बढ़ेगा। जीवन तभी सफल होगा जब हम श्रद्धाभाव, समर्पण भाव से कार्य करेंगे। यहां 70 साल, 100 साल की माताएं-बहनें आज भी निस्वार्थ भाव से सेवा में लगी हैं।
मंत्री सिंह ने कहा कि जो दबे, कुचले, शोषित, वंचित, आदिवासी लोग हैं उनके हित के लिए जरूर कार्य करें। कुशीनगर क्षेत्र में ब्रह्माकुमारी मीरा दीदी के प्रयासों से लोगों को बड़े स्तर पर लाभ मिल रहा है। आज गांव के गांव इस अध्यात्म के ज्ञान से जुड़ रहे हैं। हमारी सरकार ने आते ही सर्वप्रथम बेटियों की सुरक्षा के लिए कार्य किया है। एंटी रोमियो टीम बनाई। आज रात में भी बेटियां सुरक्षित घर से बाहर निकल सकती हैं। गौमाता की सुरक्षा के लिए भी हमने कार्य किया है।
हजारों किसानों ने अपनाई यौगिक खेती-
कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष बीके सरला दीदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ ने यह लक्ष्य रखा है कि देश की शान किसानों को सशक्त किया जाए। इसके लिए अनुसंधान कर यौगिक खेती, ऋषि खेती पद्धति विकसित की गई है। इसका प्रशिक्षण देकर किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। आज संस्थान में हजारों किसान प्रशिक्षण लेकर खुशहाल जीवन जी रहे हैं। यौगिक खेती में सिखाया जाता है कि कैसे परमसत्ता से शक्ति लेकर हम फसलों को देते हैं। प्रभाग की ओर से कई विश्वविद्यालयों के साथ एमओयू किया गया है। यौगिक खेती में सिखाया जाता है कि हम अपनी आंतरिक वृत्ति को बदलकर कैसे प्रकृति को अपना दोस्त, सहयोगी बना सकते हैं।
प्रकृति ने हमें सबकुछ दिया है-
पोद्दार ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज के चेयरमैन आनंद पोद्दार ने कहा कि हमारे पास प्रकृति ने सबकुछ दिया है फिर हम क्यों आयुर्वेद से एलोपैथी की ओर जा रहे हैं। जब हम ग्रीन बैग बना सकते हैं तो प्लास्टिक बैग क्यों यूज कर रहे हैं। इसमें हमें स्वयं को चैंज करने की जरूरत है। ब्रह्माकुमारीज़ से अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती है जहां आत्मा और परमात्मा का ज्ञान मिल रहा है। यहां जो सुबह ज्ञान मुरली चलती है उससे हमें रोज परमात्मा की शिक्षा मिलती है। संस्था का मैनेजमेंट इतना आसान तरीके से चलने के पीछे की वजह यहां लोगों का आत्मिक ज्ञान, समर्पण भाव और मेडिटेशन है।
आंतरिक जगत का आधार बाह्य जगत-
मुंबई बोरीवली की निदेशिका बीके राजयोगिनी दिव्यप्रभा दीदी ने कहा कि हमारे आंतरिक जगत में जो परिवर्तन हो रहे हैं, उसका असर भौतिक दुनिया में दिखता है। जैसा हमारा आंतरिक जगत होता है, वैसा ही बाह्य जगत होता है। जब हमें यह भान रहेगा कि मैं एक ज्योतिर्बिंदु आत्मा हूं और जब इस भान से हम व्यवहार करेंगे तो हमारी सोच, कर्म में सकारात्मक बदलाव आ जाता है। हम सभी आत्माओं के परमपिता कल्याणाकारी परमेश्वर शिव के संग में सदा रहेंगे तो आत्मा में संग का रंग लग जाएगा। हमारा स्वभाव वैसा ही हो जाएगा।
यहां से ज्ञान की बूंदें लेकर जाता हूं-
गुजरात से आए जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार तुषार प्रभु ने कहा कि शांतिवन सिर्फ एक स्थान नहीं बल्कि ज्ञान का एक सागर है। जहां से मैं हमेशा ज्ञान की कुछ बूंदें अपने साथ लेकर जाता हूं। जब तक हम अपने आप को नहीं बदलेंगे तब तक दुनिया में बदलाव नहीं ला सकते हैं। ब्रह्माकुमारीज़ से ज्ञान लेने के बाद मेरी सोच, नजरिया और कर्म सबमें आश्चर्यजनक बदलाव आया। यह सब राजयोग मेडिटेशन के कारण संभव हो सका। अब सदा खुश रहता हूं।
ये वक्ता भी बोले-
– आईसीसीआर के उपाध्यक्ष और नेशनल गैलरी ऑफ मार्डन के निदेशक व मूर्तिकार अद्वैत चरण गणनायक मैंने जीवन में जो कुछ सीखा है प्रकृति से ही सीखा है। मैं पत्थर से दोस्ती करके, बात करके मूर्ति बनाता हूं। पहले प्रकृति से एक रिलेशन था लेकिन आज हम सब भूलते जा रहे हैं। प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं।
– बिरीहनमुंबई म्यूनिसिपल को-ऑपरेशन के ट्री ऑफिसर जितेंद्र परदेशी ने कहा कि हम मुंबई में प्रकृति बचाने के लिए काफी प्रयास कर रहे हैं। ब्रह्माकुमारीज़ के साथ मिलकर सभी गार्डन में रोज योग-प्राणायाम सिखाया जाता है। साथ ही पांच लाख पेड़ लगाए गए हैं। प्रकृति बचाने में ब्रह्माकुमारीज़ के भाई-बहनों का सराहनीय योगदान है।
– नई दिल्ली के डीआरडीओ के स्पिक के निदेशक एम. मनिकावासगम ने कहा कि यदि हमें प्रकृति को बचाना है तो कैमिकल के उपयोग को कम करना होगा।
– मेडीकैप्स यूनिवर्सिटी इंदौर के कुलपति आरसी मित्तल ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग का कारण हम लोग ही हैं। सभी से अनुरोध है कि क्लाइमेट चैंज के प्रति दयालु बनें। अपने गुस्से को कंट्रोल में रखें तो इससे प्रकृति बचाने में मदद मिलेगी।
– हैदराबाद के एनएसएल ग्रुप ऑफ कंपनीज के चैयरमैन एम. प्रभाकर राव ने कहा हम अपने मूल सिद्धांतों को भूलते जा रहे हैं जिसका परिणाम है कि ग्लोबल वार्मिंग की ओर बढ़ रहे हैं।
इन्होंने भी व्यक्त किए विचार-
तेलंगाना के पुलिस उप आयुक्त मधुकर स्वामय, इंडिया वन सोलार थर्मल पावर प्लांट के निदेशक बीके गोलो जे. प्लज, नई दिल्ली हरीनगर की निदेशक बीके शुक्ला दीदी, शिक्षा प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका बीके सुमन बहन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।