मुख पृष्ठसमाचारहमारे जीवन का लक्ष्य – निर्मल और निर्माणता का गुण

हमारे जीवन का लक्ष्य – निर्मल और निर्माणता का गुण

ग्वालियर-लश्कर,मध्य प्रदेश। आज़ादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान के अंतर्गत आज प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ ईश्वरीय विश्व विद्यालय एवं राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन द्वारा पुराना हाई कोर्ट लेन स्थित “संगम भवन” सेवा केंद्र पर एक विशेष कार्यक्रम संपन्न हुआ |

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से भोपाल से आए हुए आदरणीय भ्राता श्री प्रकाश भाईजी, बी.के.प्रसाद भाईजी, लश्कर ग्वालियर की मुख्य संचालिका बी.के.आदर्श दीदी जी, बी.के.डॉ. गुरुचरण भाई जी, बी.के.प्रहलाद भाई जी उपस्थित थे |

कार्यक्रम का  शुभारम्भ अतिथियों के सम्मान के साथ किया गया ।

 बी.के.आदर्श दीदीजी  ने सभी का स्वागत अभिनन्दन किया और बताया कि श्रेष्ठ  जीवन का दूसरा नाम ही है  निर्माणचित्त । सभी के प्रति निर्माण की भावना यही आदर्श जीवन की विशेषता है | आज सम्बन्ध – संपर्क या हमारे घर परिवार मे रहने वाले लोगो से मन मुटाव का सबसे बड़ा कारण है की कोई भी मनुष्य आज झुकना नहीं चाहता । जबकि जो जितना झुकता है वो उतना ही निर्माण बनता जाता है और आपसी संबंध सुधरते जाते हैं | आपसी मन – मुटाव होने पर हम सामने वाले से उम्मीद रखते हैं की वो झुके परन्तु क्या कभी हमने स्वयं से शुरुवात की है । तो जब हम स्वयं को निर्माण स्वरुप बनाते जायेंगे,  सहनशीलता का गुण  स्वतः आप में आता जायेगा । इसी के साथ दुसरो के प्रति बैर की भावना, बदला लेने की भावना भी ख़त्म हो जाएगी |

आगे बी.के.प्रकाश भाईजी  ने सभी को संबोधित करते हुए बताया कि आदर्श जीवन में व्यर्थ आना मतलब कहीं ना कहीं अभी भी हमारे शुद्ध संकल्पों में मिलावट है | तो उसके लिए –

•पहली सबसे ज़्यादा ज़रूरी बात है एकांत में बैठ कर विचार – सागर – मंथन करें  | स्वयं से सुबह उठ कर बातें करें, चेक करें की क्या वजह है जो मेरे संकल्पों की रफ़्तार इतनी तेज़ हो रही है और शुद्धता में अशुद्धता की मिलावट हो रही है  ।

• दूसरी बात सुबह के समय में स्वयं को सकारात्मक संकल्पों से भरपूर करें और  पूरे दिन की दिनचर्या में उन संकल्पों को बार बार याद करें |

• तीसरी बात लिखने की आदत डालें इससे हमारी एकाग्रता की शक्ति बहुत तेज़ी से बढेगी |

तत्पश्चात बी.के.प्रसाद भाईजी  ने बताया कि अगर हम अपने जीवन मे कुछ हासिल करना चाहते हैं तो सबसे ज़रूरी है स्वयं पर भरोसा या  विश्वास जागृत करना  –  कुछ भी कार्य जब हम कर रहे हैं तो यह सोच कर करें की मैं यह काम अच्छे से अच्छा करूँगा | मुझे इसमें सफलता अवश्य मिलेगी | किसी भी कार्य को करने से पहले स्वयं को सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर करें क्योंकि सब कुछ आपकी मानसिक स्थिति पर आधारित है । अगर मासिक स्तिथि अच्छी होगी तो आप जो भी आप अपने जीवन में प्राप्त करना चाहते हैं वो ज़रूर प्राप्त  कर सकेंगे |

कार्यक्रम में बी.के.डॉ.गुरचरण भाईजी  ने भी सभी को अपनी शुभ कामनाएं दीं तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन बी.के.प्रहलाद भाईजी  के द्वारा हुआ |

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