सोनीपत,हरियाणा: नांगल खुर्द गांव में स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के परिसर सोनीपत रिट्रीट सेंटर में 9 अक्टूबर से 10 अक्टूबर 2023 तक ब्रह्माकुमारीज़ के कला एवं संस्कृति प्रभाग की और से विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस 2 दिवसीय कार्यक्रम में भारत की प्राचीन संस्कृति के उत्थान एवं कलाकारों के सशक्तिकरण के विषय में चिंतन बैठक कार्यक्रम रखा गया।
कार्यक्रम के उद्धघाटन सत्र में पधारे सभी सहभागियों का स्वागत हार पहनकर , तिलक लगाकर और ताज पहनाकर किया गया। विशिष्ट अतिथि के रुप में श्रीमती कविता जैन पूर्व कैबिनेट मंत्री (हरियाणा सरकार) जी उपस्थित रहे।
ब्रह्माकुमारीज़ के कला एवं संस्कृति प्रभाग की चेयरपर्सन बी.के. चन्द्रिका बहन , सोनीपत रिट्रीट सेंटर की डायरेक्टर लक्ष्मी बहन एवं मुख्यालय माउंट आबू से पधारे कला एवं संस्कृति पभाग के मुख्या भाई भी उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन द्वारा की गयी। कलाकारों ने अपने गीतों द्वारा एवं नृत्य द्वारा कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इसके पश्चात अगले सत्र में चिंतन बैठक कार्यक्रम चला जिसमें कलाकारों की आध्यात्मिक उन्नति हेतु ट्रेनिंग रही। एवं भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कलाकारों की सामाजिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए विशेष योजनाएं बनायी गयी।
10 अक्टूबर की शाम 8:30 बजे सांस्कृतिक संध्या का अलौकिक कार्यक्रम रखा गया जिसमें भारत के विभिन्न स्थानों से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से भारतवर्ष के विभिन्न क्षेत्रों की संस्कृति को दर्शाया तथा भारत की संस्कृति को एकीकृत करने का प्रयास किया। कलाकारों ने अपनी कला,गीत एवं नृत्य के माध्यम से सभी को भारत की दिव्य प्राचीन सभ्यता का दर्शन कराया। कार्यक्रम में महाराष्ट्र ,गुजरात ,कर्नाटक एवं अन्य प्रदेशों से आए कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यालय माउंट आबू से पधारे ब्रह्माकुमारीज के कला एवं संस्कृति प्रभाग की चेयरपर्सन बी.के. चंद्रिका बहन ने कहा कि कला केवल गीत,संगीत और नृत्य ही नहीं बल्कि सुखमय जीवन जीने का एक तरीका है। राजयोग के अभ्यास से जीवन जीने की कला आती है राजयोग की कला भारत की प्राचीन कला और संस्कृति के उत्थान का एकमात्र माध्यम है।
कार्यक्रम में सोनीपत रिट्रीट सेंटर के डायरेक्टर बी.के. लक्ष्मी बहन भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने हर प्राणी में कला का समावेश किया है। चींटी से लेकर मनुष्य तक सब में अनेक तथा विभिन्न कलाएं हैं , सिर्फ उन्हें आत्मसात करने की जरूरत है। कार्यक्रम में विजय दीदी (जींद), उत्तरा दीदी (चंडीगढ़) व भारतवर्ष से आए हुए अलौकिक गायक भी मौजूद रहे | कार्यक्रम में सैकड़ो लोगों ने भारत की विशाल गरिमापूर्ण संस्कृति की अत्यंत रोमय झलक देखकर भाव विभोर हुए तथा राजयोग द्वारा अपनी कलाओं को विकसित करने का संकल्प लिया।
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