स्वयं को लाइट और माइट की मस्ती में रखो तो कभी जोश नहीं आयेगा

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हमारे ईश्वरीय विश्व विद्यालय का फाउण्डेशन है ईश्वरीय मर्यादा। दुनिया में मर्यादा नहीं, हमारी है टॉप मर्यादा। अगर हम किसी पर फेथ रखते हैं तो फेथ पर भी माया पानी डाल देती है। ऐसे अनेक अनुभव देखे हैं इसलिए हम कन्ट्रोल करते – कुमार-कुमारियां मर्यादा में रहो

पने को सदैव वेरी-वेरी लकी समझो। वेरी लकी समझने से विघ्न सहज ही विनाश कर सकेंगे। पता नहीं मेरी तकदीर में क्या है! ऐसा संकल्प उठाना माना संशय। मालूम नहीं- चल सकूंगा या नहीं, जाता हूँ ब्राह्मण परिवार में तो यह टक्कर आता, दुनिया में जाता तो यह विघ्न आते। आखिर क्या करूं। यह संकल्प भी संशय की निशानी है। मैं वेरी लकी हूँ, लकी उसको माना जाता जिसे अनेक दुनिया की ठोकरें आवें। पत्थर भी पूज्यनीय तभी बनता जब पानी की अनेक चोटें खाता। इसलिए कभी किन्हीं बातों से थको नहीं। मैं हमेशा समझती कि पेपर आना माना मुझे लकी बनाना। विघ्न आना माना भाग्यवान बनाना। अगर पेपर ही नहीं दिया तो मुझे विजयी कौन मानेगा। हज़ार पेपर आयें तो भी मैं 100 प्रतिशत पास रहूँ। हरेक अपना-अपना पेपर ले।
कभी भी अपने दिल में किसी के प्रति नफरत नहीं उठाओ। झगड़े का कारण है एक-दो से नफरत। जड़ होती नफरत, बन जाता परचिन्तन, हो जाता दुश्मन। पहले होगी ईर्ष्या, वह पैदा करेगी नफरत, फिर परचिन्तन चलेगा, जिसका परचिन्तन करते वह दुश्मन बन जाता। एक बोल जीवन भर के लिए दुश्मन बना देता। एक ऐसा शब्द भी बोला जो किसी के हार्ट पर लग गया तो वह जि़न्दगी भर दुश्मन बना देता। मैं ऐसा क्यों करूँ!
ब्राह्मणों में सबसे बड़े से बड़ा नुकसान कारक अवगुण है- ”जि़द्द का स्वभाव”, जिसमें जि़द्द है, उसपर मुझे बड़ा रहम आता। वह बड़ा धोखा खाते, सबसे ज्य़ादा नुकसान इस जि़द्द से होता है। जि़द्द मनुष्य को रसातल पहुंचा देती इसलिए कभी किसी बात का जि़द्द नहीं करना। कोई रॉन्ग है तो राइटियस बुद्धि से निर्णय करना है। जि़द्द के स्वभाव से अपने को धोखा न दो। निर्णय करो। एक-दो को सहयोग दो, राय दो, अगर कोई जि़द्द पकड़ता है तो आप हल्के हो जाओ। लाइट हो जाओ। स्वयं को लाइट और माइट की मस्ती में रखो तो कभी जोश नहीं आयेगा।
नव निर्माण के कार्य के लिए नम्र बनो। पुरुषार्थ से डरो नहीं। जब कोई फोर्स से कुछ कहता है तो उस समय उसकी मान लो। आप शीतल बन जाओ। अगर उस बात को लेकर दुश्मनी हो जाती तो नुकसान होता है। इसलिए याद में आपस में मिलकर मीठी धारणा की रूह रिहान करो, डिबेट नहीं करो। आपकी नम्रता का प्रभाव दूसरे पर ज़रूर पड़ेगा। एक की चर्चा दूसरे से नहीं करो। निर्माण बनना माना समा लेना। जब कोई बात आपस में नहीं बनती तो उसको छोड़कर स्व चिन्तन में रहो।
हमें कुमार-कुमारियों का बहुत फिकरात रहता। हमारे ईश्वरीय विश्व विद्यालय का फाउण्डेशन है ईश्वरीय मर्यादा। दुनिया में मर्यादा नहीं, हमारी है टॉप मर्यादा। अगर हम किसी पर फेथ रखते हैं तो फेथ पर भी माया पानी डाल देती है। ऐसे अनेक अनुभव देखे हैं इसलिए हम कन्ट्रोल करते – कुमार-कुमारियां मर्यादा में रहो। एक की गलती से सारे ब्राह्मणों को चोट लग जाती। एक के कारण हमें सबको बांधना पड़ता। सेन्टर पर कुमारियां अकेली रहती, आप उनसे बैठकर बातें करो- यह मुझे अच्छा नहीं लगता। मैं कहती इस बात में समझो हम सन्यासी हैं। कुमार, कुमारी माना सन्यासी। सन्यासी माना हँसना, बोलना, वृत्ति-दृष्टि सबका सन्यास। जितना यह पाठ पक्का रखेंगे उतना अच्छा। अगर हल्के रहेंगे तो टीका होगी। किसी के कैरेक्टर पर दाग लगे, यह मेरे से सुना नहीं जाता। शॉक लगता। कोई मेरे कैरेक्टर पर आँच डाले यह मेरे जीवन के लिए बहुत बड़ा दाग है। परन्तु किसी का क्वेश्चन क्यों उठा- क्योंकि हल्के होकर चले।

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