मन है एक बहुत बड़ी शक्ति -मानसिक रोगों का समाधान… ब्र. कु. सूर्य

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मन हमारा बहुत बड़ी चीज़ है। एक बहुत बड़ी शक्ति हमारे पास है। इसमें हम श्रेष्ठ संकल्पों के खज़ाने को भरें। निगेटिव संकल्प हमारे मन को कमज़ोर करते हैं। तो हम न ज्य़ादा सोचेंगे ऐसी मेंटालिटी हम अपनी तैयार करें

हम मानसिक रोगों की चर्चा आगे बढ़ा रहे हैं। मानसिक रोगों का सम्बन्ध हमारे ब्रेन से भी है, और मन से भी है, हमारे कर्मों से भी है, हमारे चिंतन से भी है, हमारे एटीट्यूड से भी है, हमारी नेचर से भी है। हमारे संस्कार कैसे हैं, ज्य़ादा सोचने के,ज्य़ादा परेशान रहने के, ज्य़ादा चिंता करने के, भविष्य के बारे में, डर के कैसे संस्कार हमारे हैं। उन सबसे भी उन रोगों का गहरा सम्बन्ध है।
हम आ जाते हैं इसके थोड़ा समाधान पर। आप सबको अच्छे से ख्याल में आ जायेंगी ये बातें। हमारा ईश्वरीय ज्ञान जो है वो बहुत कॉम्प्लिकेटेड नहीं है। और हम जो सब्कॉन्शियस माइंड के लेवल पर इन चीज़ों का इलाज कराते हैं वो हमने बहुत सिम्पल कर दिया है, बहुत इज़ी कर दिया है। वो जो साइकोलोजिस्ट की भाषा वो एक आम व्यक्ति को समझ में नहीं आती। वो हम बहुत सिम्पल कर रहे हैं। तो हम जानते हैं और हमें जानना चाहिए कि जब मनुष्य सवेरे उठता है तो दस मिनट तक उसका सब्कॉन्शियस माइंड यानी अवचेतन मन, मैं इसके लिए शब्द यूज़ करूंगा क्रअंतरमनञ्ज जगा रहता है, एक्टिव रहता है। और सोने से पहले भी वो जगना प्रारम्भ हो जाता है। जैसे-जैसे हम नींद की ओर बढ़ते हैं, एक्टिव हो जाता है। अब ये दो टाइम हमारे पास बहुत ही सुन्दर हैं जीवन के। जो राजयोग का अभ्यास करते हैं, मेडिटेशन करते हैं उनके लिए वो समय भी बहुत सुन्दर होता है। मन एकदम एकाग्र हो जाये। मन एकदम शांत होकर परमात्म स्वरूप पर स्थिर हो जाये। तब भी उनका अंतरमन जाग्रत हो जाता है। हम इन चीज़ों का फायदा उठायेंगे। उस टाइम हम अपने सब्कॉन्शियस माइंड को जो कमांड दे देंगे वो उन्हें स्वीकार करेगा। वो हमारे ब्रेन के लिए बहुत बड़ी शक्ति बन जायेगी। जो ब्रेन डैमेज हुआ, जो माइंड में कुछ गड़बड़ हुई है वो सब चीज़ें भरने लगेंगी, रिपेयर होने लगेंगी।
थॉट्स हमारे ब्रेन की बहुत बड़ी रिपेयरिंग मशीनरी है। इसको सभी समझ लें तो सवेरे जैसे ही आप उठें, जो चार बजे तक उठ जाते हैं बहुत अच्छा लेकिन जो नहीं उठते वो छह बजे तक तो अवश्य उठ जायें। क्योंकि 6 बजे के बाद तो सब उठने लगते हैं, सूरज निकलने लगता है और संसार में बैड एनर्जी भी जागृत हो जाती है। जो लोग बहुत लेट उठ रहे हैं और उठते ही व्हाट्सएप्प पर, न्यूज़ पेपर पर या टीवी पर कुछ देखने लगते हैं तो उनके अन्दर तो तुरंत बैड एनर्जी आ जाती है। इसलिए एक आम व्यक्ति को चाहे वो राजयोग करें या न करें। चाहे उनको भगवान में विश्वास हो या न हो। चाहे वो नास्तिक हों, वो उठते ही10-15 मिनट ऐसा कुछ न सोचें, ऐसा कुछ न देखें जिससे अन्दर में बैड एनर्जी चली जाये। युवकों को आदत होती है, उठते ही व्हाट्सएप्प देखना, चेक करना क्या-क्या मैसेज आये, क्या फेसबुक पर आया, स्टेटस में क्या-क्या आया। ये सब गलत विधियां हैं, जीवन को नष्ट करने वाली चीज़ें हैं। जिन्होंने ऐसा किया है उन्हों के जीवन नष्ट हो गये हैं। 35 साल की उम्र में युवक बेकार हो गये हैं।
लेकिन अब सवेरे उठते ही बस पहले दस मिनट में आपको लिखना है मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। जो इस शब्द को नहीं समझते उनको लिखना है, मैं बहुत शक्तिशाली हूँ। अगर मान लो नहीं लिखा जा रहा है, डिप्रेशन बहुत गहरा है। तो 21 टाइम से शुरू करें। हर रोज़ दस बढ़ा दें। 31, 41 तो इससे क्या होता है ब्रेन को पॉवरफुल एनर्जी जाने लगेगी। वो ब्रेन को रिपेयर करने लगेगी। पॉवरफुल करने लगेगी। आपके ब्रेन को एक्टिव करने लगेगी और आपका ब्रेन फिर से अच्छा होने लगेगा। ऐसे ही सोने से पहले भी 108 बार लिखें और फिर सोने जायें। ये बिल्कुल नियम बना लेना चाहिए। क्या है ये मास्टर सर्वशक्तिवान की बात, ये कोई मंत्र नहीं है, ये कोई काल्पनिक चीज़ नहीं है। हम भगवान के बच्चे हैं। हम उसे परमपिता कहते हैं ना, गॉड फादर कहते हैं। हम उसकी संतान हैं तो जो शक्तियां उसमें हैं उसका बहुत बड़ा हिस्सा हममें भी होता है। भगवान ने हमें बनाया था तो परफेक्ट बनाया था। गड़बड़ हमने की है। हम हिंसक हो गये, बुरे काम करने लगे, नेक काम करने भूल गये तो ये सब हमसे विस्मृत हो गया। तो हम सर्वशक्तिवान भगवान की संतान हैं, ये सत्य सभी स्वीकार करें। जो इसको स्वीकार नहीं करेगा उसका डाउन फॉल होता ही जायेगा, ये सत्य है।
हम बहुत पॉवरफुल हैं, हम समस्याओं से भी अधिक पॉवरफुल हैं। हम कुछ भी सहन करने में सक्षम हैं। अगर हम बहुत पॉवरफुल होकर रहेंगे तो बड़े से बड़ी बीमारी भी आयेगी तो हम निगेटिव नहीं होंगे। अगर हम पॉजि़टिव रहेंगे, कैंसर हो गया, चौथी स्टेज पर हैं हम मस्त रहेंगे। हम ये चीज़ सिखाते हैं, बहुत लोग ठीक हो गए। जिनको डॉक्टर ने कहा था कि बस पूरा हुआ खेल। वो दस साल जिए। तो अपने मनोबल को बढ़ा-चढ़ा कर रखना है। यहाँ खुशी, विलपॉवर और शक्तिशाली माइंड बड़ा काम करेगा।
हम अपने मन को कमज़ोर न होने दें। मन हमारा बहुत बड़ी चीज़ है। एक बहुत बड़ी शक्ति हमारे पास है। इसमें हम श्रेष्ठ संकल्पों के खज़ाने को भरें। निगेटिव संकल्प हमारे मन को कमज़ोर करते हैं। तो हम न ज्य़ादा सोचेंगे ऐसी मेंटालिटी हम अपनी तैयार करें। जब आप ये सवेरे और शाम को लिखेंगे 108 बार, धीरे-धीरे भले लिखेंगे, आपको बहुत एनर्जेटिक फील होगा। ऐसे मैंने बहुत सारे केस देखे। कोई तो सात दिन में ठीक हो गए, कोई ग्यारह दिन में, कोई इक्कीस दिन में। और जिनसे हुआ नहीं वो तीन मास में ठीक हो गए। तो बहुत विश्वास के साथ ये लिखने का काम शुरू करेंगे।

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