इंदौर: प्रख्यात आध्यात्मिक अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी का प्रेरणादायी उद्बोधन 

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दुआ अर्थात् दूसरों के लिए सफलता के लिए कामना करना – ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी
– दुआओं से असम्भव भी संभव हो जाता है

–  दुआओं के बैंक बैलेन्स में वृद्धि करने की सहज विधि है- दृढ़ता से शुभ संकल्पों को मन में बार-बार पुनरावृत्ति करना।
– कड़कड़ाती ठण्ड में भी दीदी को सुनने सुबह 7ः30 बजे ही पूरा अभय प्रषाल खचाखच भर गया।
–  शिवानी दीदी ने आह्वान किया – स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत के साथ स्वर्णिम भारत बने…
– ब्रह्माकुमारीज़ एवं जैन इन्टरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में हुआ कार्यक्रम का आयोजन

इन्दौर, मध्य प्रदेश। हमारे मन की शुभ दुआओं युक्त सोच-विचार प्रणाली सकारात्मक ऊर्जा बन जाती है। दुआ अर्थात् मेरी सोच दूसरों के लिए सफलता की कामना प्राप्त कराने की हो। आप स्वस्थ हो, निरोगी हो, बहुत अच्छे हो जैसे उच्च सकारात्मक प्रकम्पन्न के सोच ही दुआ हैं। इससे हमारी आत्मा की शक्ति बढ़ेगी तो विपरीत परिस्थिति भी परिवर्तित हो जायेगी, असम्भव भी सम्भव हो जायेगा। दुआएं हमारे कार्मिक एकाउण्ट को व्यर्थ के बोझ से मुक्त रखती है। अच्छी सोच रखने से दुआएं हमारी आत्मा की इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाती है। दुआओं के बैंक बैलेन्स में वृद्धि करने की सहज विधि है- दृढ़ता से शुभ संकल्पों को मन में बार-बार पुनरावृत्ति करना।

प्रख्यात आध्यात्मिक अंतर्राष्ट्रीय प्रेरक वक्ता ब्रह्माकुमारी शिवानी दीदी ने आज अभय खेल प्रशाल में ‘दुआओं का बैंक बैलेन्स’ विषय पर ब्रह्माकुमारीज़ एवं जैन इन्टरनेषनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में दिव्य उद्बोधन देते हुए उक्त विचार व्यक्त किये।  बड़ी संख्या में लोगों से खचाखच भरे सभागार में उन्होंने कहा कि मेरी सोच दुआएं देने की है तो परिस्थितियां भी बदल जाती है तथा सब अच्छे हैं, सब अच्छे हैं – यह मन में विचार लाते-लाते मेरी खुद की स्थिति श्रेष्ठ बन जाती है।

इन्दौर शहर की स्वच्छता के क्षेत्र में देश में हर बार प्रथम नम्बर आने की प्रशंसा करते हुए शिवानी दीदी ने कहा कि यहां के लोगों ने स्वच्छता को संस्कार और संस्कृति के रूप में अपना लिया है। अब शहर की स्वच्छता के साथ-साथ लोगों के मन की मैल को भी दुआएं देकर स्वच्छ बनाना है। उन्होंने इन्दौर शहरवासियों से आह्वान किया कि न सिर्फ इन्दौर को ही स्वच्छ बनाना है बल्कि दुआएं देना है कि अन्य शहर भी स्वच्छता को अपनाएं । इस प्रकार हमारा भारत देश स्वच्छ शहरों वाला देश बनेगा और फिर विश्व स्वर्णिम बनेगा। हर एक के प्रति मन से, दिल से देते-देते स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत के साथ-साथ अब स्वर्णिम भारत भी बनाना है। यह सम्भव तब होगा जब हमारी खुद की सोच सबके प्रति दुआएं देने की होगी।

उन्होंने कहा कि रोगी, अस्वस्थ के लिए दुआएं यही है कि जो इसके लिए सर्वाधिक सही है वह उत्तम स्वास्थ्य उसे प्राप्त हो। ऐसी ऊर्जावान सोच रखना ही उसके लिए दुआ बन जाती है।  हमारे मन की शुभ दुआओं युक्त सोच-विचार प्रणाली सकारात्मक ऊर्जा बन जाती है। दुआ अर्थात् मेरी सोच दूसरों के लिए सफलता की कामना प्राप्त कराने की हो, आप स्वस्थ हो, निरोगी हो। उच्च सकारात्मक प्रकम्पन के सोच ही दुआ हैं। इससे हमारी आत्मा की शक्ति बढ़ेगी तो विपरीत परिस्थिति भी परिवर्तित हो जायेगी, असम्भव भी सम्भव हो जायेगा।
शिवानी दीदी ने बहुत ही गहराई से आध्यात्मिक सूत्रों को सरल शब्दों में बताया कि हमें दूसरों के जो व्यवहार में दिख रहा है वह नहीं बोलना या सोचना है बल्कि जो हम उनके बारे में चाहते हैं वह सोचना है और इस तरह की दुआएं दूसरों के बारे में रखने से वह निश्चित ही संस्कार परिवर्तन कर लेते हैं। भय कि विचारों से आत्मा पर दाग लगते जाते हैं। किसी के बुरे संस्कारों को देख यदि मन में प्रश्न उठते हैं तो उस आत्मा के संस्कार और भी पक्के हो जाते हैं। कार्य स्थल पर, कम्पनी में, ऑफिस में सभी जगह सहकर्मियों से जो हम कार्यदक्षता अथवा समय की पाबंदी चाहते हैं। इसके लिए हमें हमारे मन में आन्तरिक भावनाओं में ऐसी दुआओं के विचार लाने होंगे कि सभी समयबद्ध हैं, कार्यकुशल हैं तथा सभी अधिक से अधिक कार्यदक्षता से उत्पादन बढ़ाने में सहयोगी हैं। ये शुभ दुआओं भरे संकल्प कर्मियों की मनोवृत्ति को परिवर्तित कर देंगे। दुआओं की भाषा उच्च शक्ति संपन्न भाषा है। संकल्प से सृष्टि परिवर्तित होती है। सबसे बड़ी दुआ है यह सोचना कि आप बहुत अच्छे हैं, बहुत अच्छे हैं। इससे नकारात्मक सोच रखने वाले भी सकारात्मक सोच वाले बन जाते हैं।

सोशल मीडिया की चर्चा करते हुए  शिवानी दीदी ने कहा कि ऐसे कन्टेन्ट, मैसेजेस, चित्र, विडियो फॉरवर्ड न करें जिससे समाज में, व्यक्तियों में नकारात्मकता तथा वैमनस्यता फैले। इस तरह के कन्टेन्ट को फॉरवर्ड करने के बजाय बिना खोले ही डिलीट कर देना चाहिए क्योंकि ये हमारी आत्मा की मेमोरी बॉक्स में स्थान बना लेते हैं और धीरे-धीरे इन्हें पढ़ने और चिन्तन करने से कड़े संस्कार बन जाते हैं। हमारी स्मृति में नकारात्मकता की वृद्धि कर देते हैं जो समय प्रति समय स्मृति में आने से हमें दर्द और पीड़ा पहुंचाते हैं। इस तरह के कन्टेन्ट को डिलीट कर देने से इनको बनाने वाले भी हतोत्साहित हो भविष्य में बनाना बन्द कर देंगे तथा हम व्यर्थ व नकारात्मकता के बोझ से हल्के रहेंगे। प्रकृति के प्रति भी हमें दुआएं रखनी हैं अर्थात् अनावश्यक वस्तुओं का संग्रह नहीं करें। दुआएं हमारे कार्मिक एकाउण्ट को व्यर्थ के बोझ से मुक्त रखती है। अच्छी सोच रखने से दुआएं हमारी आत्मा की इम्यूनिटी पॉवर बढ़ाती है। दुआओं के बैंक बैलेन्स में वृद्धि करने की सहज विधि है- दृढ़ता से शुभ संकल्पों मन में बार-बार पुनरावृत्ति करना।

इस अवसर पर मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, इन्दौर कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी., नगर निगम कमिश्रनर हर्षिका सिंह ने तथा जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के पदाधिकारियों हितेन्द्र मेहता, प्रियंका जैन ने स्वागत किया तथा रेखा जैन ने सम्मान-पत्र का वाचन कर भेंट किया। इन्दौर ज़ोन की क्षेत्रीय निदेशिका ब्रह्माकुमारी हेमलता दीदी ने अपने शब्द सुमनों से सभी अतिथियों का स्वागत किया। कलेक्टर इलैया राजा टी. ने कार्यक्रम के प्रति अपनी अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं। शुभ कार्यक्रम का संचालन मुंबई के प्रोफेसर ई.वी. गिरीश ने किया। ब्रह्माकुमार युगरत्न ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

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