नर्मदापुरम (मध्यप्रदेश):
खुली जेल के पीछे यह विचार काम करता है कि जेल में रहकर कैदी समाज की मुख्य धारा से कट जाता है. जेल से बाहर आने के बाद उस पर समाज में रहकर जीवन यापन करने में कठिनाई होती है. इसलिए सजा के आखिरी के एक-दो साल के लिए उन्हें खुली जेल में रखा जाता है जिससे उन्हें बाहर आने के बाद परेशानियों का सामना न करना पड़े
काले क़ानून के शब्दकोश में जेल – ‘एक सार्वजनिक बिल्डिंग होती है जिसे क़ानून द्वारा जारी सज़ा या प्रशासन द्वारा जारी न्याय की प्रक्रिया के तहत कारावास या सुरक्षित हिरासत के लिए इस्तेमाल किया जाता है.’ सबसे पहले इस वाक्य को सुनकर परंपरागत 3 दीवारों वाली जेल का नक्शा में उभरता है जिसमें पत्थर या कंक्रीट का बिस्तर दिया जाता है.
अपराधियों या हमलावरों को समाज से दूर रखना और उनके सामाजिक जीवन पर बंदिश लगाना जेल का मुख्य मक़सद है. अपराध की गुंजाइश को घटाने के लिए अपराधी को उसके दोस्त, परिवार, रिश्तेदार सबसे दूर रखा जाता है. परंपरागत जेल दण्ड के इसी कांसेप्ट का फैलाव है, हालांकि बदलते वक्त में सुधारात्मक रवैय्या अपनाते हुए अब इसे मानवीय रूप देने की कोशिश की जा रही है. इसे न्यूनतम सुरक्षा जेल, ओपन एयर कैंप्स और बिना सलाखों की जेल भी कहा जा रहा है. जेल में क़ैदियों की बढ़ती तादाद, जेल के इंतज़ाम के आर्थिक बोझ के अलावा, अच्छे व्यवहार के लिए इनाम देने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए भी मुक्त जेलों की बात हो रही है.
जेल में लंबी सजा काट रहे कैदियों के लिए एक अच्छी खबर है। अगर अपने सजा के दौरान उन्होंने अच्छा आचरण रखा है तो सजा के आखिरी दो साल वे अपने परिवार के साथ खुशी से ओपन जेल में काट सकते हैं। यानि वे रोज दिन कमाने के लिए बाहर जा सकते हैं शाम को वापस लौट कर आराम कर सकते हैं साथ ही रात का खाना अपने परिवार के साथ खा सकते हैं।
नर्मदापुरम (मध्यप्रदेश) में ‘ओपन जेल’
मध्यप्रदेश में एक नया बदलाव करते हुए ‘ओपन जेल’ का कंसेप्ट आया है। इस नए बदलाव के तहत अपराधियों को कैद में भी घर जैसा वातावरण मिलेगा। ओपन जेल में हैं और सामान्य लोगों की तरह ये प्रतिदिन काम पर जाते हैं। शाम में वे जेल में वापस आ जाते हैं और इसके बाद अपने-अपने परिवार के साथ टीवी देखते हैं, रात का खाना खाते हैं और इसके बाद सो जाते हैं। राज्य के पहले ओपन जेल में राज्य का पहला ओपन जेल नर्मदापुरम में 17 एकड़ जमीन पर बना है जहां कैदियों को अपनी सजा के आखिरी दिन गुजारते हैं।
यहां पहुंच पाते हैं भाग्यशाली कैदी
ओपन जेल के एक कैदी ने बताया,’मैं सब्जियां बेचकर अपना घर चलाता हूं। कैदी भी अपने परिवार के लिए काम करते हैं। कैदी ने बताया,’हम सब खुश हैं क्योंकि यहां पत्नी और बच्चों के साथ रह रहे हैं। यहां घर जैसा माहौल है जबकि हम सजा काट रहे हैं। कई कैदी अपनी सजा के आखिरी दिनों में ओपन जेल आना चाहते हैं, लेकिन हम इस मामले में भाग्यशाली हैं कि हमारे व्यवहार को देख यहां प्रवेश मिला।‘
रह सकते हैं 25 परिवार
इस जेल में 25 परिवारों के लिए घर बना है। जेल अधीक्षक संतोष सोलंकी जी ने बताया, ‘सजा के अंतिम दो सालों के लिए अपराधियों को यहां भेज दिया जाता है ताकि वे यहां पारिवारिक माहौल पा सकें और रिहाई के बाद उन्हें बाहर एडजस्ट करने की मुश्किल न हो।‘ उन्होंने बताया कि जिन अपराधियों के आचरण अच्छे होते हैं उन्हें ओपन जेल में भेज दिया जाता है।
नर्मदापुरम के ओपन जेल की सफलता के बाद इस तरह जेल बनाये गए |