गलत मुद्रा से बिगड़ सकती है सेहत

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हम जानते हैं कि गलत तरीके से उठना, बैठना, खड़े होना और चलना शारीरिक मुद्रा को प्रभावित कर सकता है। और खराब शारीरिक मुद्रा सेहत से जुड़ी कई समस्याओं की वजह बन सकती है।

सही शारीरिक मुद्रा है क्या? शरीर को ऐसी स्थिति में रखना जिससे मांसपेशियों और लिगामेंट्स पर कम दबाव पड़े। लिगामेंट्स एक हड्डी को दूसरी हड्डी से जोड़ते हैं। यह सही पॉश्चर शरीर को संतुलित रहने में मदद करता है।

इसलिए महत्त्वपूर्ण है सही मुद्रा रीढ़ शरीर की पीठ को स्थिरता प्रदान करती है और शरीर के वजन का समर्थन करती है जिससे पीठ में दर्द नहीं होता। रीढ़ सही ढंग से संरेखित होती है, जिससे मांसपेशियों और जड़ों पर तनाव कम हो जाता है। इससे पीठ दर्द और अन्य संबंधित समस्याओं से बचा जा सकता है। सही पॉश्चर वाले लोग अक्सर अधिक आत्मविश्वासी और दृढ़निश्चयी दिखते हैं। इस तरह बिगड़ती है बनावट शारीरिक मुद्रा तब बिगड़ती है जब आप लंबे समय तक झुककर काम करते हैं। इससे पीठ का ऊपरी हिस्सा कूबड़ की तरह बाहर आ जाता है। डेस्क पर बैठे होने, टीवी देखने के समय या फोन का इस्तेमाल करते वक्त हम ज्य़ादातर गलत स्थिति में बैठते हैं। शरीर इस आकार को धीरे-धीरे अपनाकर वैसा ही बन जाता है।

मांसपेशियों-हड्डी पर दबाव झुकते वक्त कुछ मांसपेशियां कड़ी हो जाती हैं और ज्य़ादा काम करती हैं जबकि अन्य शिथिल मांसपेशियों के इस असंतुलन से पीठ में दर्द होता है। बिगड़ा हुआ पॉश्चर रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव डालता है, खासकर पीठ के निचले हिस्से पर। इसके कारण रीढ़ की हड्डी की डिस्क में टूट-फूट होने का जोखिम होता है और हर्नियेटेड डिस्क याकटि स्नायुशूल(सायटिका) जैसी स्थितियों को जन्म दे सकता है। इसके अलावा, रीढ़ की हड्डी में प्राकृतिक मोड़ होते हैं जो वजन को समान रूप से बांटने और झटके को अवशोषित करने में मदद करते हैं। गलत मुद्रा इन प्राकृतिक मोड़ों में बाधा बनती है, जिससे मांसपेशियों में तनाव आता है।

हो सकती हैं कई समस्याएं क्रोनिक पीठ दर्द हफ्तों, महीनों या वर्षों तक रहता है। इससे दैनिक गतिविधियां प्रभावित हो सकती हैं। जब झुककर बैठते या खड़े होते हैं तब गलत रक्त प्रवाह से पीठ और पैरों में सुन्नता, झुनझुनी होती है। झुकने पर अंदर के अंग सिकुड़ते हैं, जिससे पाचन में बाधा आती है और एसिड रिफ्लक्स या कब्ज जैसी समस्याएं होती हैं। झुककर बैठने से अधिक तनावग्रस्त और चिंतित महसूस करते हैं। यह मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है।

इसमें सुधार संभव है बैठते समय पीठ सीधी, कंधे पीछे और पैर फर्श पर सपाट रखें। अच्छा सपोर्ट देने वाली कुर्सी का उपयोग करें। खड़े होते समय कल्पना करें कि एक सीधी डोरी आपके सिर के ऊपर से छत तक जा रही है। इसी डोरी की सीध में खड़े रहें। कंधों को पीछे रखें, ठोढ़ी को फर्श के समानांतर और वजन दोनों पैरों पर समान हो। देर तक बैठने से बचें। स्ट्रेच करने और घूमने के लिए विराम लें। रीढ़ की हड्डी को झुकाव की उल्टी दिशा में मोडऩे वाले व्यायाम करें।

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