तुम मुझे संरक्षित करो, मैं तुम्हें जीवन दूँगा- ब्रह्माकुमारीज़
छतरपुर। जल संरक्षण से ही मनुष्य सम्पन्नता और आर्थिक समृद्धि को प्राप्त कर सकता है। इसलिए जल संरक्षण हमारी प्राथमिक और अनिवार्य आवश्यकता है। स्वच्छ जल से ही स्वच्छ हवा प्राप्त हो सकती है। जल मनुष्य से मौन भाषा में कह रहा है ‘तुम मुझे संरक्षित करो, मैं तुम्हें जीवन दूँगा ।’ यदि हमने जल संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया तो हम केवल इतिहास के पन्नों पर सिमट कर रह जाएंगे अतः स्वच्छ पेयजल का संकट इस धरती पर मानव के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा संकट है। इसीलिए सभी से अपील है की होली के त्योहार पर हम सब जो ड्रम भर भर के पानी में रंग घोलकर उस जल को बर्बाद करते हैं इस आदत को सुधारकर हमें प्राकृतिक रंगों या गुलाल से सूखी होली खेलना चाहिए क्योंकि जितना पानी हम रंग घोल कर बर्बाद करते हैं उतना ही पानी फिर उस रंग को शरीर से साफ करने के लिए बर्बाद करते हैं अतः सभी से विनम्र विनती है कि जल को जरूर बचाऐं और औरों को भी प्रेरित करें।
उक्त उद्गार ब्रह्माकुमारीज़ किशोर सागर द्वारा ग्राम गढ़ीमलहरा के सुख सागर तालाब के पार्क में जल दिवस के दिन होली मिलन समारोह के दौरान आयोजित संगोष्ठी में बीके कल्पना द्वारा व्यक्त किये गये।
इस कार्यक्रम में गढ़ीमलहरा एवं ग्राम गौर की मातृशक्तियों एवं बच्चों ने भाग लिया और सभी ने जल बचाने की प्रतिज्ञा की और कहा इस होली पर हम संकल्प करते हैं की सभी को जल बचाने के लिए प्रेरित करेंगे और खुद भी इन सभी बातों पर अमल करेंगे।
इस मौके पर बच्चों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुतियां प्रस्तुत की गई और अनेक प्रकार के ज्ञानवर्धक एक्टिविटीज में सभी माताओं ने भाग लिया और होली के गीतों पर सभी ने आनंद उत्सव मनाया।
इस अवसर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताएं, सहायिकाएं एवं ब्रह्माकुमारी से बीके रीमा, बीके मुस्कान उपस्थित रहीं।