भगवान इन्सान में फेथ रखे ये तो बड़ी बात हो गई…!!!

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भगवान ने एक इन्सान में फेथ रख दिया और अगर वह भी इन्सान तोड़ दे तो क्या कहेंगे उसको? अति निकृष्ट, जो अपनी तकदीर को लकीर लगाये, अपने सौभाग्य को लात मारे। अपने पाँवों को अपनी कुल्हाड़ी से काटे, जिस डाल पर बैठा हो उसी को काट दें, तो यह कितनी बड़ी जिम्मेवारी है।

जैसा कि पिछले अंक में आपने पढ़ा कि जो विश्व के शिरोमणि आत्मायें हैं, जो हीरो पार्टधारी हैं, वह टाइटल हमको दे दिया- यह कितनी बड़ी बात है! तो बाबा ने कोई ट्रस्ट करके आपमें विश्वास रखके, आपके ऊपर एतबार करके कि आप ऐसी आत्मायें हैं तभी आप यहाँ आये हैं, यह बनने के लिए दावा आपने लगाया है। तो बाबा ने जिसमें विश्वास किया है उसको अगर हम न निभायें, तो विश्वास तोडऩे को क्या कहा जाता है – विश्वासघात।
विश्वासघात तो बहुत बड़ा पाप होता है। कोई हममें विश्वास करे, कोई कहता है यह बात आपको बता रही हूँ, किसी को बताना मत, इसमें मेरे जीवन का सवाल है, यह बहुत खतरा है, मैं बदनाम हो जाऊंंगी, लेकिन अपने मन को हल्का करने के लिए तुम्हें बताया है इसलिए अपने तक ही रखना क्योंकि तुम्हारे में मेरा विश्वास है, तुम्हारे से राय करने के लिए मैंने कहा है और अगर वह विश्वासघात कर दे, इधर-उधर 20-25, 40-50 व्यक्तियों को बता दे तो आपको कैसा लगेगा! यह तो विश्वासघाती आदमी है। बुरा लगेगा ना! तो वह तो हो गई मनुष्य की बात, स्वयं भगवान ने जिसमें विश्वास किया हो… लोग तो कहते हैं भगवान पर भरोसा करो, भगवान पर विश्वास करो यह भी बहुत बड़ी बात है। गॉड में फेथ रखना चाहिए और गॉड ने आपमें फेथ रख दिया, यह तो कितनी बड़ी बात हो गई! बजाय इसके कि इन्सान भगवान में फेथ रखे, भगवान ने एक इन्सान में फेथ रख दिया और अगर वह भी इन्सान तोड़ दे तो क्या कहेंगे उसको? अति निकृष्ट, जो अपनी तकदीर को लकीर लगाये, अपने सौभाग्य को लात मारे। अपने पाँवों को अपनी कुल्हाड़ी से काटे, जिस डाल पर बैठा हो उसी को काट दें, तो यह कितनी बड़ी जिम्मेवारी है। याद रखिए कि भगवान का यह टाइटल जो सर्व श्रेष्ठ मिला है उसे हमें तोड़ निभाना है, हमें इसको कायम रखना है।
वरना आप सोचिए अगर कोई एक नाव चलाने वाला नाविक हो, केवट हो और उसको पानी से डर लगे तो आप कहेंगे भाई तू भी अजीब आदमी है पानी से डरता है! चला ली तूने नाव, हमको भी डुबायेगा, खुद भी डूबेगा। अगर कोई बन्दूक चलाने वाला सिपाही हो, जब भी बन्दूक की आवाज़ कहीं से आये, कहीं दूर आवाज़ आये और वह काँपने लगे, तो आप क्या समझोगे? यह भी अजीब सिपाही है, यह तो हमें ही मरवा डालेगा, यह हमारा रक्षक क्या होगा?
तो जो व्यक्ति जैसा है अगर वह वैसा कर्म न करे, उससे भिन्न, उससे विपरित अगर उसके गुण, कर्म और स्वभाव हों तो वह उसके साथ फिट नहीं होता। वह गलत टाइप का व्यक्ति है। तो बाबा ने जब हमको चुना है यह समझ करके हम इस बात को धारण करेंगे। तो हमें अपनी फिटनेस को ठीक रखना है। अपने उस कत्र्तव्य, जिम्मेवारी को पूरी तरह से निभाना है, यह नहीं कि हम भी काँपना शुरू कर दें कि यह कैसे हो सकता है, यह हमारे लिए पॉसिबल ही नहीं है, लेकिन जब पॉसिबल है तभी तो बाबा ने कहा है। आदि, मध्य, अन्त को जानने वाला जो त्रिकालदर्शी बाप है स्वयं उसने यह टाइटल हमें दिया है तो फिर हमें कितना ख्याल रखना चाहिए! अभी हम साहबजादे, साहबजादियां हैं और भविष्य में होनेे वाले शहजादियां और शहजादे हैं। साथ-साथ जो सतयुग में देवी-देवता बनने वाले और स्वराज्य को धारण करने वाले मोर मुकुटधारी हैं या रत्नजडि़त ताज़ धारण करने वाले, तख्त पर बैठने वाले हैं। अभी ब्रह्माकुमार-कुमारी बनते हैं, उसके बाद वह विश्व के महाराज कुमार और महाराज कुमारियां बनते हैं, तो यह हमारा भविष्य है। वर्तमान में अगर कोई के लक्षण ठीक हैं तो वह विश्व के राज्य का अधिकारी बनेगा। अगर वह यहाँ ही फेल हो गया तो भविष्य में राज्य कहाँ से मिलेगा?

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