सोलन: “कृषि एवं ग्रामीण विकास प्रभाग” द्वारा कृषि वैज्ञानिक एवं अधिकारियों का परिसंवाद

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सोलन (हि॰प्र॰): “कृषि एवं ग्रामीण विकास प्रभाग ” द्वारा कृषि वैज्ञानिक एवं अधिकारियों का  तीन दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद” का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम संस्था मुख्यालय माउंट आबू से पधारे प्रभाग के अध्यक्ष  आदरणीय राजयोगिनी  बीके सरला दीदी जी, प्रभाग के उपाध्यक्ष राजयोगी बी के राजू भाई जी  और सोलन सेवाकेन्द्र के प्रभारी राजयोगिनी बीके सुषमा दीदी जी की अध्यक्षता में किया गया।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शूलिनी यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉक्टर पी के खोसला जी और विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ वाय एस परमार यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर के के रैना जी ने अपनी उपस्थिति सुनिश्चित की। 

भारत के कोने-कोने से कृषि वैज्ञानिक एवं अधिकारियों ने इस परिसंवाद में भाग लिया। इस सत्र की शुरुआत दीप प्रज्वलन तथा स्वागत नृत्य से किया गया।

अतिथि महोदय जी पी के खोसला जी ने कहा की आज दुनिया भारत के नक्शे कदम पर चलना चाहती है। जैसे यहाँ बताया गया कि फूड मे योग पावर होती है । नैचुरल फ़ार्मिंग तो एक तरफ लेकिन यहाँ तो एक स्टेप ओर आगे है जो कि फसलों मे योग की किरन्णे डालते है ।ऐसा समाज आप ही ला सकते है जो पहले सतयुग त्रेतायुग का था । अब हम कलयुगी वाले नहीं रहे है । हमे हर चीज समझ आ गया कि कम से कम अच्छे विचार तो आने शुरू हो जाएगे ।  ब्रह्मा कुमारिज द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट के बारे में सुनकर उन्होंने इसका अवलोकन करने का भी संकल्प रखा।

प्रभाग के अध्यक्ष  आदरणीय राजयोगिनी  बी के सरला दीदी जी,  ने  अपने वक्तवय मे कहा कि किसान को जरूरत है आध्यात्मिक ज्ञान की जिससे उसकी अंतरात्मा जागृत होगी माँ धरती के ओ प्यार जागृत होगा । इसी उदेश्य के साथ कृषि एवं ग्रामीण विकास प्रभाग आगे बढ़ रहा है । ओर आज का कृषि वैज्ञानिक भी नॉलेजफूल होने के साथ समझ रहा है कि हमे साकारात्मक विचारो की आवश्यकता है । किसानों को चरित्रवान बनाने की आवश्यकता है

प्रभाग के उपाध्यक्ष राजयोगी बी के राजू भाई जी ने कहा “आज किसान हमारे देश की शान है। आज उसके मनोबल को बढ़ाने की जरूरत है। उन्हे सही मार्गदर्शन की जरूरत है । उनके चरित्र को ऊपर उठाया जाये उनके विचारो मे परिवर्तन आ जाए तो उनकी शक्तियाँ जागृत हो जाएगी । उनोहने कहा कि किस प्रकार ईश्वरीय वि वि से कई परिवार जुड़ कर अपने चरित्र को ऊंचा उठा रहे  है ओर कुरुतियों से मुक्त है ।

डॉ बद्री विशाल भाई ने  कृषि का परंपरागत गौरवशाली इतिहास से अवगत कराते हुए कहा की पहले बीज बोने से लेकर काटने तक हर कार्य परमात्मा की याद में किया जाता था। भारत की समृद्धि का आधार प्राकृतिक कृषि था लेकिन कैसे धीरे-धीरे रासायनिक कृषि की ओर बढ़े तथा इसका क्या नुकसान हो रहा है यह आंकड़ों के माध्यम से बताया उन्होंने बताया कैसे ब्रह्माकुमारी शाश्वत योगिक खेती योग के माध्यम से कर रही है प्रकृति खेती के माध्यम से सुंदर समाज, स्वर्णिम संसार को लाने का प्रयास जारी है क्योंकि योगिक  खेती युगो युगो से स्वीकार्य है ।

डॉक्टर सुनीता पांडे ने योगिक कृषि के वैज्ञानिक पहलू को स्पष्ट किया ।शाश्वत योगी खेती पर क्या एक्सपेरिमेंट हुए हैं या हो रहे हैं हम इसके लिए डाटा जनरेट करें इसके लिए उन्होंने सभी साइंटिस्टों से अनुरोध किया।

सोलन सेवा केंद्र प्रभारी सुषमा दीदी जी ने इस सत्र में पधारे सभी भाई बहनों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को ईश्वरीय सौगात दी गई। और फिर सभी ने मिलकर राजयोग का अभ्यास किया।

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