सर्व रिश्ते-नातों का सुख एक परमात्मा के साथ

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भक्ति करते हुए हम सब भी और आजकल जो भक्ति कर रहे हैं वो भी ये चाहते रहे कि भगवान से हमारा गहरा सम्बन्ध जुड़ जाये। गायन करते रहे तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो, तुम्ही हो बन्धु सखा,तुम्ही हो। संस्कृत में भी आ गया श्लोक। त्वमेव माताश्च पिता त्वमेव… तो हम सर्व सम्बन्ध भगवान से जोडऩे के इच्छुक तो रहे पर उसका मार्ग नहीं पता था। जब वो स्वयं इस धरा पर आये तो उन्होंने सहज मार्ग दिखा दिया। छोटी-सी अनुभव की कहानियों की बात आपके सामने है- श्रीकृष्ण के लिए लोग बहुत कुछ बोलते हैं, जो उसके बारे में बहुत गुह्य रहस्य को नहीं जानते। श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रास लीला करता है, मक्खन चोरी करता है, उनकी मटकियां तोड़ता है। हालांकि इनके अलौकिक रहस्य हैं। लेकिन ये सब था कि भगवान अपने भक्तों को प्यार की अनुभूति करा रहा था। उन्होंने मांगा था पूर्व जन्म में कि जब आप इस धरा पर आओ तो हमें प्यार ही प्यार चाहिए। तो उसकी कुछ समय अनुभूति करा दी।
हम सब भी भगवान से कहते थे ना आप इस धरा पर आओ तो हम आपसे सर्व नाते जोड़ेंगे। हम केवल आपकी ही बात सुनेंगे, आपकी ही मत पर चलेंगे, आपको ही अपनी बुद्धि और दिल में बसायेंगे। अभी वो आ गये, उन्होंने विधि बता दी है। देखिये परमपिता तो वो हम सबके हैं। अब वे आये हैं विशेष रूप से परम शिक्षक बनकर। जिसकी कल्पना किसी को नहीं थी कि भगवान आयेगा और पढ़ायेगा। हम सबने उनसे ही पढ़ा है। परम शिक्षक सुप्रीम टीचर जिससे बड़ा टीचर कोई नहीं। जिसके पढ़ाने की विधि अलौकिक, जो हमारे सोये हुए देवत्व को जगा देता है। और तीसरा सम्बन्ध है परम सद्गुरू का। हमें राह दिखाई उन्होंने इस रूप से, राजयोग सिखाया, महामंत्र दिया। मुक्ति और जीवनमुक्ति का वरदान दे दिया। वहाँ जाने की सहज विधि बता दी। मात पिता, माँ का सम्बन्ध। उसने हमें ब्रह्मा के द्वारा एडॉप्ट कर लिया। अपना बच्चा बना लिया और माँ के रूप में बहुत प्यार दिया। वो हमारा बच्चा भी बनते हैं। कहते, मैं तुम्हारा बालक भी हूँ, तुम मुझे अपना वारिस बनाओ तो मैं तुम्हें सबकुछ दूंगा, मैं अपना तुम पर सबकुछ बलिहार कर दूंगा। वो हमारे सखा और बंधु बनते हैं। आओ मेरे साथ खेलो, मेरे से बात करो। मैं तुम्हारा खुदा दोस्त हूँ। अच्छे अनुभव हैं इसके। वो हमारा प्रियतम भी बनते हैं। प्रियतम का सम्बन्ध कोई स्त्री से ही नहीं है। आत्माओं का प्रियतम। परम आत्मा। और वो कहते हैं, तुम मुझे अपना प्रियतम बनाओ, साजन बनाओ मैं तुम्हारा श्रृंगार करूंगा। तुम्हें मोस्ट ब्यूटीफुल बना दूंगा। तुम्हारी पर्सनैलिटी को बहुत पवित्रता से भरपूर, शक्तियों से, गुणों से भरपूर कर दूंगा और तुम्हें अपने साथ ले चलूंगा।
सर्व सम्बन्ध वे हमसे जोड़ रहे हैं। और भी जो सम्बन्ध हैं दुनिया में वो कहते हैं सारे मेरे से जोड़ो तो तुम्हारी बुद्धि का भटकना भी समाप्त हो जायेगा। और मेरे से तुम्हें भिन्न-भिन्न अनुभूतियां भी होंगी। अब हो क्या रहा है कि इस संसार में, बहुत सारे मनुष्य, बहुत सारे क्या लगभग अनेक सम्बन्धों के झंझटों में उलझे हुए हैं। माँ-बाप ने बच्चे पैदा कर दिए अब उनकी सम्भाल। फिर उनको पढ़ाना, उनकी बीमारियों का ख्याल करना, इलाज कराना, उनकी शादियां, कराना, फिर उनके हिस्से बंटवाना। फिर कोई लड़ाई झगड़ा कर रहे हैं, किसी को ज्य़ादा मिल रहा है, किसी को कम मिल रहा है। किसी की शादियों में कठिनाई हो रही है। तो मनुष्य नातों में उलझ जाता है। मातायें दूसरों को सुनाती हैं आप बीती। हल्की हो जाती हैं सुना-सुनाकर। पर क्या करे वो हम जानते हैं, कहती हैं कि हम क्या करें जब मन भारी हो जाता है तो अपनी सखियों को सुनाकर हल्की हो जाती हैं। लेकिन कहीं-कहीं सखियां सुनकर भारी हो जाती हैं। इस बेचारी के साथ क्या हो रहा है। तो ये सम्बन्ध आजकल बहुत बड़े बन्धन बन चुके हैं। क्योंकि धन का स्वार्थ, धन का लोभ, उसका अहम, उसके मनोविकार, अनके समस्यायें गृहस्थ में पैदा कर रहे हैं। पहले जैसा गृहस्थ अब नहीं रहा। इतने सालों में खेल ही बिगड़ गया है संसार का।
अब जो ये मन भटक गया है नातों-रिश्तों में, इस मन को एकाग्र करना है। लौकिक सम्बन्धों का हाल सबने अनुभव कर लिया। जो अपने थे उनसे कितना कष्ट मिला। जिन पर सब जी जान और सबकुछ उड़ेल दिया, जिनको अपना समझा था वो पराये हो जाते हैं। कई तो अकेले हो जाते हैं अंत तक। कोई पूछने वाला नहीं रहता। सबकी बात नहीं है कुछ लोगों की ये समस्या हमारे देश में बढ़ती जा रही है।
तो हमें भगवान से अपने सब नाते जोडऩे हैं और उनसे सभी सम्बन्धों का रस सुख प्राप्त करना है। उनसे यदि हमारे सब सम्बन्ध होंगे तो यहाँ के सांसारिक सम्बन्ध भी सुखदाई हो जायेंगे। ये जो बैलेन्स है, ये जो रहस्य है इसको समझ लें थोड़ा। परमपिता भगवान मेरा पिता है, इसी स्मृति में, खुमारी में रहने लगें, नशे में रहने लगें। जिसको संसार भगवान कहता है वो अब मेरा है। इसलिए हमारे यहाँ एक ही शब्द प्रचलित करा दिया शिव बाबा ने- दिल से कहो मेरा बाबा, नाता जुड़ गया। हम उसके परिवार बन गये हैं। गाने के लिए नहीं है, वो गॉड फादर है। गॉडली फैमिली में आ गये। हमारे परिवार का हेड स्वयं भगवान हो गया। कितना सहज परिवार हो जायेगा, कितना सहज जीवन हो जायेगा इस नशे में, इस खुमारी में यदि हम रहेंगे तो।
हमें एक-दो के बहुत समीप आ जाना है। बिल्कुल इस स्मृति को बढ़ाते चलना है। मैं उसका हूँ/उसकी हूँ करके देखना सुख मिलेगा। इससे पिता की अनुभूति, पिता की पालना का सुख, बहुत सुन्दर प्राप्त होगा। और हमें श्रेष्ठ कमाई का उसने मार्ग दिखा दिया है। हम कितने खुशनसीब हैं। वो हमारे लिए स्वर्ग की राजाई लेकर आया है। बाबा कहते कि हथेली पर तुम्हारे लिए स्वर्ग लेकर आया हूँ। इस खुमारी, इस नशे मेें रहेंगे जीवन सुखों का भंडार बन जायेगा।

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