अब रिटर्न जर्नी की एवज में अपने को टर्न करना है

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यहाँ के जो भी कुछ साधन उपलब्ध हैं वो सब अब खत्म होना ही है। और हम मुसाफिर हैं और अब ड्रामा का पार्ट पूरा हुआ, घर जाना ही है इसलिए उसमें हमारी बुद्धि न जाये।

बाबा जो सुनाते हैं वो सिर्फ सुनो नहीं बल्कि उस एक बात का अनुभव करो तो अनुभवों की अथॉरिटी वाले बन जायेंगे। तो आपके चलन और चेहरे से उसका जो नशा व खुशी वायुमण्डल में प्रभाव के रूप में दिखाई देगी। हमारे अन्दर ऐसी वृत्ति और ऐसा वायुमण्डल होगा तब तो हम ऐसा वायुमण्डल बना सकेंगे। अभी बाबा वायुमण्डल बनाने का अटेन्शन दिला रहे हैं लेकिन जब समय आयेगा तब यह सब बातें याद आयेंगी। बाबा ने कहा तो था, क्लासेस तो होती थी लेकिन हम अलबेले रह गये। अब उस समय होगा तो कुछ भी नहीं क्योंकि करने का समय गया तो फिर क्या होगा? पश्चाताप। तो हम ऐसी लाइफ में नहीं आयें।
दुनिया में तो आजकल हर समय सबको भय और चिंता का अनुभव है, उनकी हालत देखो सभी दु:खी, अशांत, परेशान हैं। चारों ओर हालात नाज़ुक होते जाते हैं। बाबा भी कहते चारों ओर हाहाकार होगा क्योंकि माया भी अपना विकराल रूप धारण करेगी। प्रकृति भी छोड़ेगी नहीं। अन्त में आत्मायें अचानक ही शरीर छोड़ेंगी, उसका वायुमण्डल होगा। सेकण्ड में कुछ भी हो सकता है। यह चारों तरफ ऐसे भयावह वायुमण्डल की सीन होगी, बाबा कहते यह पेपर होगा, ऐसे समय पर कहां भी सुनने, देखने व सेवा अर्थ बुद्धि जा सकती है। लेकिन बाबा कहते ऐसे समय पर सेकण्ड में अशरीरी होना और कहीं पर भी ध्यान नहीं जाये, क्या भी हो जाये क्योंकि जो हो रहा होगा वो अपनी तरफ आकर्षित तो करेगा ना, फिर भी वहाँ आकर्षित न हो करके सेकण्ड में हम अशरीरी बन जायें तब तो कहेंगे फुल पास। नहीं तो फिर नम्बरवार कोई तो अपने शरीर को सम्भालने लग जायेंगे, आत्म अभिमानी बन नहीं सकेंगे। किसी न किसी के स्वभाव संस्कार के या दृश्य के वश हो जायेंगे, इसमें भी सेकण्ड का ही समय लगता है। तो सेकण्ड में हम पास हो जायें उसके लिए अभी से यह प्रैक्टिस करो कि यह शरीर तो जाना ही है, यह पुरानी दुनिया तो जानी ही है तो उससे क्या प्रीत रखें? यहाँ के जो भी कुछ साधन उपलब्ध हैं वो सब अब खत्म होना ही है। और हम मुसाफिर हैं और अब ड्रामा का पार्ट पूरा हुआ, घर जाना ही है इसलिए उसमें हमारी बुद्धि न जाये। तो अब रिटर्न जर्नी की एवज में अपने को टर्न करना है। जो चीज़ जानी है उससे मोह क्या रखेंगे! तो इतना पुरूषार्थ हमारा है? यह स्वयं को चेक करना है। अब अपने लिए कुछ करने का टाइम निकालो क्योंकि कभी भी कुछ भी हो सकता है। इसलिए जो बाबा कहता है वो करके हम एवररेडी रहें। बाबा तो भिन्न-भिन्न युक्तियों से हमें बातें सुनाता रहता है निरंतर लिंक जुटा रहे उसका पुरूषार्थ रहे।

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