भोपाल, मध्य प्रदेश। सन 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य तंबाकू के उपयोग से होने वाले स्वास्थ्य नुकसानों के प्रति जागरूकता बढ़ाना एवं तंबाकू सेवन को रोकने के उपाय को प्रोत्साहित करना है। हर वर्ष WHO द्वारा एक नई थीम निर्धारित की जाती है जिसके अंतर्गत जागरूकता फैलाई जाती है । इस वर्ष की थीम है तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की रक्षा जिसके अंतर्गत आज की नई पीढ़ी को, युवाओं को और बच्चों को तंबाकू से होने वाले नुकसान से अवगत कराना है। जैसे की कहावत है “प्रिवेंशन इस बेटर देन क्योर” अर्थात यदि बाल्य काल में ही इस तरह की शिक्षा दी जाए तो सम्पूर्ण जीवन कल के लिए बच्चे मानसिक रूप से इसका प्रतिकार करने के लिए सदा के लिए तैयार हो जाते हैं। एवं देखा गया है कि अधिकतर बच्चे अपने साथियों के बहकावे में आकर ही नशे की ओर कदम बढ़ाते हैं साथ ही साथ अपने घर परिवार में बड़ों को भी वह देखकर सीखते हैं। यदि वह थोड़ी हिम्मत जुटा पाए तो उनका जीवन गर्त में जाने से बच सकता है एवं उज्जवल भविष्य की ओर वे अपने कदम बढ़ा सकते हैं।
उक्त विचार प्रकट किए डॉ दिलीप नलगे जी( प्रोफेसर आरडी मेमोरियल कॉलेज) ने। अवसर था ‘सुख शांति भवन’ में ‘विश्व तंबाकू निषेध दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम। उक्त कार्यक्रम में भोपाल शहर के प्रथम महिला श्रीमती मालती राय जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हर किसी को कुछ अच्छी आदतों का नशा करना चाहिए जैसे पढ़ाई का नशा, अच्छे कार्यों का नशा,स्वस्थ रहने का नशा..अपने जीवन में अपने कार्य को इतना सर्वोपरि बना दें कि उसके आगे और कोई नशा करने की आवश्यकता ही न पड़े। इसके साथ ही भोपाल शहर की नोडल ऑफिसर डॉक्टर नीलिमा सोनी जी ( टोबैको कंट्रोल सेंटर भोपाल ) ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि छोटे-छोटे बच्चों में भी गुटखा एवं तंबाकू सेवन की आदत देखने में आ रही है। तथा कैंसर आदि बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। जिसका दोषी आज का समाज है क्योंकि यह जहर बहुत ही सहज रूप से उपलब्ध है हर जगह बहुत ही सस्ते दामों पर उपलब्ध है।
साथ ही साथ संस्थान की डायरेक्टर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी नीता दीदी जी ने कहा की ईश्वरीय नशा, नारायणी नशा, अच्छी आदतों का नशा हमें इन सभी प्रकार के नशे से मुक्त बना सकता है। राजयोग हमारे आंतरिक मनोबल को बढ़ाता है जिसके फल स्वरूप हम इन व्यसनों से सहज ही मुक्ति पा लेते हैं। आपको ज्ञात हो कि राजयोग का अभ्यास करने वाले 97% लोगों ने हमेशा के लिए तंबाकू का सेवन छोड़ दिया। केवल ३% लोग ही अज्ञात कारणों से नहीं छोड़ पाते हैं। यदि शुद्ध खाना पीना,अच्छा संग एवं श्रेष्ठ वातावरण का कोई अनुसरण करे तो वो हमेशा के लिए व्यसनों से छूट सकता है। देखा गया है कि अधिकतर लोगों को यह ज्ञान तो है की सही क्या है और गलत क्या है, क्या खाना चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए, क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए परंतु सब कुछ जानते समझते हुए भी कहीं ना कहीं आत्म बल एवं दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण वह सही मार्ग पर चल नहीं पता। वह उस नकारात्मकता से स्वयं को बचा नहीं पता। अतः आवश्यकता है अपने मनोबल को बढ़ाकर स्वयं को और अधिक सशक्त बनाने की। इसके लिए सबसे कारगर उपाय है सहज राजयोग ध्यान।
कार्यक्रम में संस्थान के वरिष्ठ राजयोगी शिक्षक बीके राम भाई जी ने नशा मुक्ति के क्षेत्र में संस्थान द्वारा की जा रही सेवाओं के विषय में सभी को अवगत कराया। साथ ही आपने यह भी अवगत कराया कि किस प्रकार भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा ब्रह्मा कुमारी संस्थान के साथ MOU हुआ। तब से लेकर संस्थान द्वारा व्यापक रूप से नशा मुक्ति की सेवाएं दी जा रही है। साथ ही साथ डॉक्टर संजीव जयंत (अस्सिटेंट सुपरीटेंडेंट, हमीदिया अस्पताल) ने सभी आए हुए मेहमानों एवं श्रोतागणों का आत्मीय स्वागत किया। कार्यक्रम के आरंभ में एक नुक्कड़ नाटक द्वारा सभी प्रकार के व्यसनों से होने वाले नुकसान से बहुत ही रोचक तरीके से सभी को अवगत कराया गया। सभी ने इस नाटक को बहुत-बहुत सराहा एवं प्रेरणा ली।
कार्यक्रम के अंत में ब्रह्माकुमारी हेमा बहन ने सभी का आभार व्यक्त किया एवं राजयोग ध्यान के द्वारा सब सभी को ध्यान एवं परमात्म स्मृति की गहन अनुभूति कराई गई.. कार्यक्रम का कुशल मंच संचालन बी के डॉ देवयानी द्वारा किया गया। सभा में विशेष रूप से उपस्थित थे एनसीसी कैडेट्स, एसबीआई आर एफ के जवान, एस एस बी के जवान, 25 बटालियन के जवान, ट्रैफिक पुलिस एवं कुछ अन्य कॉलेज के छात्र छात्राएं तथा राज्यों की ब्रह्मा कुमार भाई बहनें ।