प्रशासन में उत्कृष्टता के लिये आध्यात्मिकता विषय पर सम्मेलन संपन्न

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कुशल प्रशासन और आध्यात्म का संतुलन जरूरी – निशांत जैन जी कलेक्टर  जालोर

जालोर,राजस्थान: कुशल प्रशासन  के लिए आध्यात्मिकता नितान्त आवश्यक है । आध्यात्मिकता और राजयोग के माध्यम से ही हम एक सशक्त और सुखी समाज बना सकते हैं । रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सारी समस्याएं और चुनौतियां आती हैं परंतु अध्यात्म के द्वारा हम इन समस्याओं का समाधान सहज रूप से कर सकते हैं। वर्तमान समय आवश्यकता है युवा वर्ग ज्यादा से ज्यादा आध्यात्मिक एवं सकारात्मक रवैया को अपनाएं। उक्त विचार जालौर कलेक्टर माननीय श्री निशांत जैन जी ने ब्रह्माकुमारीज में आयोजित प्रशासनिक सम्मेलन में व्यक्त किए। माउंट आबू के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने सभी से जीवन में आध्यात्मिकता अपनाने के लिए आह्वान किया । इस अवसर पर जालौर पुलिस अधीक्षक माननीय श्री हर्षवर्धन अग्रवाल जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की ज्यादातर वर्तमान समय हम सब क्राइम और क्रिमिनल की खबरें दिन भर सुनते रहते हैं । उन्होंने कहा कि समाज में बहुत सारी नेगेटिव खबरें हैं परंतु राजयोग हमें शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता है समाज से क्राइम को कम करना है तो अध्यात्म का सहारा लेना होगा। ज़्यादा फ्लैक्सिबल होना भी प्रशासन के लिए नुकसान दायक हो सकता है| इसलिए प्रशासकों को बैलेंस बनाना बहुत जरूरी है ।साथ ही उनमें सकारात्मक दृष्टिकोण होना बहुत जरूरी है केवल काम के बारे में सोचना या सिर्फ फायदे के बारे में ही सोचना इसे सही प्रशासन नहीं कहेंगे अच्छे सफल प्रशासन के लिए अपने कर्मचारियों के बारे में सोचना उनके समस्याओं को समझना विनम्रता पूर्ण व्यवहार करना यह बहुत जरूरी है।  प्रशासक सेवा प्रभाग की राजस्थान जॉन की सब जॉन इंचार्ज एवं जोनल कोऑर्डिनेटर राजयोगिनी पूनम दीदी जी ने व्यक्त किए।प्रशासन का मतलब होता है सबसे पहले स्व पर शासन क्योंकि अगर जिस व्यक्ति का स्वयं पर शासन नहीं है और वह दूसरों पर शासन करने की कोशिश करता है तो वह प्रशासन केवल थोड़े समय के लिए ही रहता है बाद में वही कर्मचारी साथी विद्रोह करेंगे नाराज होंगे और आपको रिजेक्ट कर देंगे इसलिए कंट्रोलिंग, रूलिंग पावर पहले स्वयं पर जरूरी है स्वयं प्रशासन मतलब अपनी कर्म इंद्रियों पर शासन हाथ आंख नाक मुंह कान और अपने मन पर शासन यह प्रशासन हम तभी कर सकते हैं जब हम राजयोग का अभ्यास करें बिना राजयोग के अभ्यास के स्व पर शासन संभव नहीं इसलिए जितना हम ईश्वर को याद करेंगे राजयोग का अभ्यास करें। उक्त विचार माउंट आबू से पधारे  प्रशासक सेवा प्रभागके मुख्यालय संयोजक राजयोगी भ्राता हरीश भाई जी ने व्यक्त किए।
प्रशासन में लव ओर लॉ का बैलेन्स रखना  बहुत ज़रूरी है। प्रशासक को आज प्रिय प्रशासक बनने की कोशिश करना चाहिये। प्रशासन में मूल्यों का समावेश से ही है एक कुशल प्रशासन हम प्राप्त कर सकते हैं।आज मानव का  जीवन मूल्यविहीन होता जा रहा है इसलिए आतंकवाद , अत्याचार , अनैतिकता , अन्याय  व्याप्त हो रहा है अगर इन सबसे हम छुटकारा चाहते हैं तो जीवन में मूल्यों की धारणा होगा।उक्त विचार भोपाल से पधारी डॉ रीना बहन जी ने व्यक्ति किए।
चाहे घर परिवार हो, समाज हो, कोई समुदाय हो संस्था हो या गवर्मेंट हो सभी में प्रशासनिक व्यवस्था की आवश्यकता होती है आज के तीव्र गति से बदलते परिवेश में हम देखते हैं कि प्रशासक वर्ग बहुत अधिक दबाव महसूस करता है। एक तरफ घर परिवार की समस्याएं हैं दूसरी तरफ प्रोजेक्ट की डेडलाइन है।इसके अलावा सहकर्मियों और कर्मचारियों के साथ तालमेल बैठाने के लिए विभिन्न समस्याओं से जूझना पड़ता है। ऐसे में मन स्थिति स्थिर रखना कठिन हो जाता है। अत्यधिक तनाव की स्थिति बन जाती है, कहते हैं जैसी मन की अवस्था होती है वैसे ही बाहर व्यवस्था होती जाती है। तो ऐसे में प्रश्न उठता है कि हम ऐसा क्या करें जो हमारी मानसिक अवस्था भी अच्छी रहे और प्रशासन भी सुचारू रूप से निर्विघ्न चले। तो आइए! पहले हम जाने कि बेहतर प्रशासन के लिए यानी एक गतिशील सुशासन के लिए एक प्रशासक में कौन- कौन से गुण होने चाहिए। उक्त विचार मोदीनगर से पधारे बी के भ्राता सीताराम मीणा जी पूर्व आई .ए .एस . ने व्यक्त किए।

ब्रह्माकुमारी जालोर सेवाकेंद्र प्रभारी राजयोगिनी रंजू दीदी जी ने सभी का स्वागत भाषण किया एवं सभा में उपस्थित सभी गणमान्य नागरिकों का सम्मान किया। ब्रह्माकुमारी पूजा बहन जी ने सभी को राज्यों की गहन अनुभूति कराई। भ्राता श्री बीएल सुथार जी सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता पी .एच. ई. डी. जालौर अपने सभी का आभार व्यक्त किया, ब्रह्माकुमारी अस्मिता बहन जी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। इस अवसर पर जालौर शहर के  सैकड़ों गणमान्य नागरिक बंधु  उपस्थित रहे।

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