तिनसुकिया: बजार टोली चाय बगान में नशा मुक्ति और ईश्वरीय सन्देश दिया

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तिनसुकिया (आसाम):

इस अवसर पर  माउंट आबू राजस्थान ब्रह्माकुमारीज के मुख्यालय से पधारे हुए बी के भगवान भाई जी ने कहा कि नशाखोरी करना मौत को आमंत्रण देना है। हमारा शरीर एक मंदिर के समान है। इसमें चैतन्य आत्मा विराजमान रहती है। दुव्यर्सनों का सेवन कर इस मंदिर को अपवित्र नही करना चाहिए। युवाओं को नशाखोरी से बचाने के लिए अभिभावकों से अपील की कि प्रतिदिन समय निकालकर थोड़ा समय उनके साथ व्यतीत करें। घर में नशे की कोई भी सामग्री नही रखें और स्वयं व्यसनों से मुक्त रहकर अपने बच्चों के आगे अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करें।

इस अवसर पर बी के भगवान् भाई जी ने सभी को ईश्वरीय सन्देश और सकारात्मक से तनाव मुक्ति पर सन्देश देते हुए कहा की वर्तमान में समाज के जो भी समस्या है उसका मूल कारण जीवन में नैतिक मूल्यों की कमी जिस कारण नकारत्मक सोच मन में चलते है | नकारत्मक सोच के कारण  बीमारिया बढती जा रही है | आपसी सम्बन्ध बिघडते जा रहे है | व्यसन ,नशा , ड्रग्स बढ़ते जा रहे है | आपराध बढ़ रहे  है| इसलिए वर्तमान में अपने सोच बदलने के लिए आध्यात्मिकता का सहारा लेने की आवश्यकता है | वर्तमान में स्वयं परमपिता परमात्मा ब्रह्मकुमारिज द्वारा स्वयं का परिचय ,संसार चक्र का ज्ञान , वर्तमान समय की पहचान दे रहे है |

 भगवान भाई ने कहा कि उन्होंने कहा कि अच्छे संस्कारों का समाज और परिवार सर्वाधिक महत्व है क्योंकि हम सब के मन में कहीं न कहीं यह भाव रहता है कि दुख और बुराइयाेंं से घिरी हुई इस दुनिया में परिवर्तन होना ही चाहिए।

इस अवसर पर स्थानीय ब्रह्माकुमारीज रिट्रीट सेंटर रंग्पुरिया की राजयोग शिक्षिका बी के कल्याणी बहन जी ने चित्रों के माध्यम से हम सभी आत्मा है |  रोज मन बुध्दी से परमात्मा का ध्यान लगाना है जिसे राजयोग कहते है यह बताया गया  | उन्होंने स्वयं को तनाव से बचने हेतु आध्यात्मिक ज्ञान बताया |

बी के रूबल भाई जी ने ब्रह्माकुमारी संस्था का विस्तार से परिचय दिया |

अभियान में वहान में एक व्हिडिओ के माध्यम से बड़े LED स्क्रीन पर नशीली चीजो से जैसे पान , तंबाकू, शराब, ड्रग, सिगरेट आदि से होने वाले नुकसान के बारे सभी दिखाकर नशा के प्रति जागृति लायी गयी । कुम्भकर्ण के माध्यम से वर्तमान समय विश्व परिवर्तन की बेला है | काम क्रोध लोभ मोह अंहकार और नशा करने के कारण व्यक्ति, परिवार और समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव तथा उसके निवारण के बारे में चित्रों के माध्यम से भी  बताया गया।

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