अष्ट रत्नों की माला का रहस्य

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जब ये 108 रत्न सम्पूर्णता को प्राप्त होंगे, कर्मातीत स्थिति को प्राप्त होंगे तब विश्व युद्ध होगा। अभी तो 108 विजयी रत्नों को तैयार होना है। ये ऐसे लाइट हाउस होंगे जिससे जग का अंधकार दूर हो जायेगा। अभी वो समय आ रहा है।

इस संसार में करोड़ों-करोड़ों मनुष्य आत्मायें हैं। जीव-जन्तुओं की आत्माओं की तो गिनती ही नहीं। जनसंख्या दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है। लोग सोचते हैं कि कहाँ से ये सब आ रहे हैं। तो ये सोचते हैं कि 84 लाख जन्म लेते हैं, भोग के 84 लाख योनियां फिर मनुष्य बनते हैं। तब तो जानवरों की संख्या कम हो जानी चाहिए। लेकिन सभी की बढ़ी है कुछ ही जानवर कम हुए हैं। तो मनुष्य तो मनुष्य ही बनता है उनमें सभी मनुष्य आत्माओं में, सबसे महान अग्रणि नेक्स्ट टू गॉड होते हैं अष्ट रत्न। यानी सारे संसार की आत्माओं में से भगवान ने आठ रत्नों को चुना है। जैसे यूनिवर्सिटी एग्ज़ाम में टॉप टेन स्टूडेंट्स चुने जायें। इस गॉडली यूनिवर्सिटी में आठ टॉप स्टूडेंट होते हैं। इसलिए आपने देखा होगा नौ रत्नों की माला, नौ रत्नों की अंगुठियां पहनी जाती हैं विघ्नों को नष्ट करने के लिए। आठ ये आत्मायें हैं जिनको अष्ट रत्न, अष्ट देव कहा जाता है। इष्ट देव कहा जाता है और एक है इनको बनाने वाला निराकार परमात्मा। तो ये नौ।
ये अष्ट रत्न इस संसार की सबसे महान आत्मायें हैं। नेक्स्ट टू गॉड। इसको इस रूप से समझ सकते हैं। जो सम्पूर्ण गॉड, निराकार परम आत्मा है, वो 100 डिग्री है उसकी डिग्री 100 है तो ब्रह्मा की 99 है। उससे सेकण्ड है सरस्वती, जगदम्बा उसकी 98 और फिर बाकी 6 रत्न 97, 96, 95…। तो ये 90 से ऊपर हैं। मॉस्ट पॉवरफुल आत्मायें, सम्पूर्ण निर्विकारी, बहुत शक्तिशाली। अष्ट रत्नों में आना तो सब चाहते हैं पर ये मंजि़ल बहुत बड़ी है। किसी को ये सोचने की भी ज़रूरत नहीं कि केवल जो आदि रत्न हैं वो ही अष्ट रत्नों में आयेंगे, नहीं। इनमें कुमार-कुमारियां भी होंगे, एक-दो ग्रहस्थ भी होंगे। कभी बाबा से पूछा गया था कि क्या आठ की माला में भाईयों का भी नम्बर है? देखिए, उत्तर सुन लीजिए- 73 की मुरली है आप पढ़ सकते हैं। मास तो मुझे याद नहीं है। बाबा ने कहा कि भाई भी हैं, तो पूछा कितने? तो बाबा ने कहा एक से अधिक। उसमें दो तो कम से कम हो ही गये। कोई ये नहीं सोचे कि हम नहीं आ सकते। लेकिन अब वो तो बहुत बड़ी बात हो गई है।
अष्ट रत्न माना निरंतर योगयुक्त रहने वाली आत्मा। पहली शर्त, दूसरी सम्पूर्ण पवित्र, जिन्हें अपवित्रता की अविद्या हो गई। केवल उसको जीत नहीं लिया, केवल एक छोटे बच्चे जैसी स्थिति आ गई, तीसरी बात, वे सम्पूर्ण रूप से आत्म अभिमानी हो जाते हैं। सुना होगा आपने मुरलियों में, जो सम्पूर्ण रूप से आत्म अभिमानी हो जाते हैं वो ही अष्ट रत्न बनते हैं। बिल्कुल बाबा के समीप हैं। उनकी उपस्थिति ही इस संसार के लिए बहुत बड़ा बल है। ऐसा समझ लें कि इस कल्प के अंत में जब जयजयकार होगी, प्रत्यक्षता होगी तो ये साकार में आठ भगवान हैं, इसके रूप में माने जायेंगे। अष्ट विनायक भी हैं आपने नाम सुना होगा।
ये अष्ट रत्न हैं, और भिन्न-भिन्न विघ्नों को नष्ट करने के लिए भिन्न-भिन्न आत्मा हैं। एक ही आत्मा सभी तरह के विघ्नों को नष्ट नहीं करेगी, आठ हैं। इसलिए इन्हें अष्ट विनायक के रूप में दिखाया गया है। तो बड़े गुह्य रहस्य हैं। अष्ट रत्नों के पास अष्ट शक्तियां निरंतर नैचुरल रूप से कार्य करेंगी। ये संसार के लिए लाइट हाउस हैं और इनके लिए बाबा ने कहा कि इनके जो वायब्रेशन्स हैं, इनकी जो किरणें हैं वो सारे संसार तक फैलती हैं। इनका औरा नापा नहीं जा सकता। अनंत होता है। सारे संसार में फैलता रहता है इसलिए इनकी उपस्थिति विश्व की बहुत बड़ी सेवा करती है। ऐसा समझ लें ये जहान के आधारमूर्त होते हैं। तो अष्ट रत्न ये हैं।
उसके बाद सौ हैं, यहाँ जो क्रिमिनल्टी है, आसुरियता आ गई है वो नष्ट हो जायेगी इनके वायब्रेशन्स के द्वारा। ये सब तो बहुत थोड़े समय से आये हैं पचास-साठ साल कि ये सब बिगड़ा हुआ खेल है संसार का। उससे पहले तो संसार काफी अच्छा था। अब इन अष्ट रत्नों के वायब्रेशन्स से, ये सब अब तैयार हो चुके हैं। लगभग तैयार इनके द्वारा बहुत बड़ी विश्व परिवर्तन की सेवा होती रहेगी। मैं आप सबको एक रहस्य और बता दूं, बाबा हमेशा कहते हैं तुम्हारा कर्मातीत होना और महाभारत युद्ध शुरू होना साथ-साथ होंगे, दोनों का सम्बन्ध है। महाभारत युद्ध का सीधा-सा सम्बन्ध है आज की भाषा में तीसरा विश्व युद्ध। जो उस महाभारत से शायद बहुत भयानक दिखाई दे हम सबको।
जो ये 108 रत्न हैं ये बहुत श्रेष्ठ और गुप्त पुरुषार्थी हैं। वो तो यहीं हैं, वो कहीं गये नहीं हैं। वो इन व्यर्थ के झंझटों में नहीं रहते। वो तेरे-मेरे में भी नहीं रहते। वो मुक्त रहते हैं। और जब ये 108 रत्न सम्पूर्णता को प्राप्त होंगे, कर्मातीत स्थिति को प्राप्त होंगे तब विश्व युद्ध होगा। अभी तो 108 विजयी रत्नों को तैयार होना है।
ये ऐसे लाइट हाउस होंगे जिससे जग का अंधकार दूर हो जायेगा। अभी वो समय आ रहा है। अभी इन्होंने गुप्त रूप से तपस्या कर ली है। इनके पास बहुत ज्य़ादा स्प्रिीचुअल पॉवर आ गई है। उनके बोल में बहुत शक्तियां आ गई हैं। कुछ उनमें से चले भी गए। कुछ इस संसार में उपस्थित भी हैं। जिनके द्वारा अब जयजयकार का काम होगा, प्रत्यक्षता का काम होगा, जहाँ-तहाँ साक्षात्कार होंगे। और अनेक आत्मायें भगवान से मिलने के लिए आ जायेंगी। यही इष्ट देव और देवियों के रूप में प्रख्यात होंगेे।
तो जो इस देव-देवी के भक्त हैं- जैसे हम सब भगवान से मिले, वो अपने इष्ट देव और देवियों से मिल लेंगे। तो एक बहुत सुन्दर समय की ओर हम चल रहे हैं। ये एक बहुत गुह्य रहस्य है इस विश्व ड्रामा का। इसको भी जानते चलें।

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