हमें खुद ही खुद के चेकर बनना है…

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अंतिम पेपर होगा हमारी अपनी कमज़ोरी। जिसकी जो कमज़ोरी होगी वो कमज़ोरी ही उसका पेपर लेने के निमित्त बनेगी। अब उसकी कमज़ोरी अगर मोह होगा तो मोह पेपर के रूप में आयेगा, उसकी कमज़ोरी अगर अभिमान होगा तो पेपर अभिमान के रूप में आयेगा। इसलिए कहा बाबा ने पेपर आउट कर दिया है तो आप अपनी कमज़ोरी को तो देखो कि हमारी कमज़ोरी कहाँ है?

जैसा कि आपने पिछले अंक में पढ़ा कि जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता जाता है वैसे-वैसे हमारा अशरीरीपन का अभ्यास बढऩा चाहिए या कम होना चाहिए? बढऩा चाहिए ना। लेकिन हाँ दुनिया की परिस्थितियां भी ऐसी आ रही हैं जो क्या कर देती हैं? हिला देती हैं। और उस समय भूल जाते हैं कि अशरीरी होना है। तो स्मृति और विस्मृति का खेल होगा बस अंतिम समय।
ये पहली ऐसी यूनिवर्सिटी है दुनिया के अन्दर जिसका पेपर पहले से आउट हो जाता है। और इतना ही नहीं क्वेश्चन पेपर तो आउट हो ही गया लेकिन उस क्वेश्चन पेपर में जो उत्तर देने वाले हैं वो भी हम खुद हैं। क्वेश्चन मालूम होने के बाद भी अगर अभ्यास नहीं हुआ तो जो हमारा अभ्यास होगा प्रैक्टिकली पास और फेल, ये माक्र्स देने वाले भी खुद। हम खुद ही खुद को पास-फेल का सर्टिफिकेट देंगे। और वो भी एक सेकण्ड में।
अंतिम पेपर कहाँ से आने वाला है? कौन-सा होगा पता है? अंतिम पेपर होगा हमारी अपनी कमज़ोरी। कमज़ोरी को हमने पाल कर रखा है। जिसकी जो कमज़ोरी होगी वो कमज़ोरी ही उसका पेपर लेने के निमित्त बनेगी। अब उसकी कमज़ोरी अगर मोह होगा तो मोह पेपर के रूप में आयेगा, उसकी कमज़ोरी अगर अभिमान होगा तो पेपर अभिमान के रूप में आयेगा। इसलिए कहा बाबा ने पेपर आउट कर दिया है तो आप अपनी कमज़ोरी को तो देखो कि हमारी कमज़ोरी कहाँ है? और उस कमज़ोरी में हमें अपने ही ऊपर विजय पाना है। क्योंकि पेपर के चेकर हम खुद ही हैं। और उस घड़ी अगर पास हुए तो खुशी होगी, और अन्दर से निकलेगा कि मैं पास हो गई। और अगर उस घड़ी फेल हो गये तो खुशी खत्म। और आयेगा फेल हो गये। तो इसीलिए जैसे ही ये संकल्प आयेगा क्या करें फेल हो गये। बस वो आपका जो डिसीज़न होगा पास या फेल का, वही फाइनल है। इसलिए कहा कि यहाँ पेपर भी आउट है रिज़ल्ट हमारे हाथ में है कि हमें क्या करना है? समय हमको मिला हुआ है। जिस तरह स्कूल में भी, कॉलेज में भी जब पढ़ाई पढ़ा दिया तो फिर रिवीजन के लिए समय दिया जाता है। तो ये जो समय हमारा रिवीजन के लिए है। तो अब हमें क्या करना है? अपनी ही कमज़ोरी के ऊपर विजयी होना है। कितनी कमज़ोरी होगी? एक, दो, तीन कितनी होंगी? कम से कम। हमें अभी से उसके बारे में सोचना होगा अगर ये कमज़ोरी ही हमारे अंतिम पेपर का रूप लेंगी तो पहले से ही उसके बारे में हमें उसको निकालने का पुरूषार्थ करना होगा। ये समय का इशारा है। तो ये प्रैक्टिकल प्लैन इस साल के लिए हमें अपने लिए बनाना है। तो कमज़ोरी की लिस्ट निकालो कि कितनी कमज़ोरी है। जैसे ही वो लिस्ट निकालो तो ये नहीं कि मधुबन जायेंगे, बाबा के कमरे में जायेंगे और बाबा को चिटकी लिखेंगे कि बाबा आज से हम ये कमज़ोरी दान करके जा रहे हैं। तो ये कमज़ोरी निकल जायेगी, ऐसे कोई कमज़ोरी निकलती है? नहीं।
मान लो कि यहाँ अंधेरा हो और कोई व्यक्ति कहे कि इस अंधेरे को निकालो। अंधेरा निकलता नहीं है। क्योंकि अंधेरे का कोई स्रोत नहीं है। लेकिन प्रकाश का स्रोत है। अंधेरे को जलाया नहीं जाता है। कई सोचते हैं कि हम अपने पुराने संस्कारों को जला दें लेकिन अंधेरे को कैसे जलायेंगे? प्रकाश का स्रोत है। प्रकाश जलाओ तो अंधेरा अपने आप दूर हो जाता है। ठीक इसी तरह मेरे जीवन में ये कमज़ोरी अगर आई तो क्यों आई? कोई न कोई शक्ति का अभाव है। शक्ति का स्रोत है भगवान सर्वशक्तिवान। जैसे बाबा ने एक मुरली में कहा कि क्रोध एक कमज़ोरी है लेकिन सोचो कि ये क्रोध रूपी कमज़ोरी मेरे जीवन में क्यों आई? कौन-सी शक्ति का अभाव है? तो बाबा ने बताया उसमें कि शांति की शक्ति का अभाव, सहन शक्ति का अभाव और तीसरी है अधीरता। कई होते हैं जल्दी करो, जल्दी करो, और अगर कोई नहीं करता है तो गुस्सा आता है। धीरज नहीं है। तो धैर्यता की कमी। अब आइडेंटिफाय किया कि क्रोध रूपी कमज़ोरी जो है वो इन तीन शक्तियों के अभाव के कारण है। अब क्या करूं?

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