क्रक्रत्याग, तपस्या और वैराग्यञ्जञ्ज, यह तीनों अगर हमारे जीवन में प्रैक्टिकल लाइफ में है, तो हम बाबा के समान बन जायेंगे क्योंकि हम सभी फलक से कहते हैं कि हमारा लक्ष्य है बाप समान बनना। तो जब हम सबका लक्ष्य है तो लक्षण भी ज़रूर धारण करेंगे, लेकिन होता क्या है? जब लक्षण धारण करने चलते हैं तो बीच-बीच में समस्यायें, कारण यह तो बनते ही हैं, और वो बनने ही हैं। मुरली में जब सुनते हैं कि बच्चे माया आयेगी और भिन्न-भिन्न रूप से तूफान लायेगी लेकिन आपको विजयी बनना है। जन्मते ही बाबा ने यह महामंत्र हमको दे दिया कि माया का काम है आना और आपका काम है उस पर जीत पाना। लेकिन… कहना माना कुछ किचड़ा ले लिया, इसलिए मम्मा कहती थी लेकिन नहीं कहो। कहो हाँ, करना ही है। और हमको विजयी बनना ही है, यह हमारा प्रॉमिस है बाबा से।
बाबा कहते आपको कौन-सी माला में आना है? विजयी रत्न बनना है तो विजयमाला में आना पड़ेगा। तो हम लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि हमारे सामने यह जो विघ्न हैं, समस्यायें या कारण कहो भिन्न-भिन्न नाम हैं लेकिन यह सब हमारे पेपर हैं। हम समस्या समझते हैं… यह हो गया, वो हो गया, लेकिन मम्मा कहती थी उसे देख तुरन्त घबराओ नहीं। घबराने से हमारा निर्णय ठीक नहीं होता है, घबराने से हमारे मन-बुद्धि दोनों ही डगमग होते रहते हैं, कभी हाँ कहेंगे, कभी ना कहेंगे तो कभी क्या कहेंगे! इसलिए बाबा कहते समस्याओं में परेशान व हैरान नहीं हो करके यह सोचो कि हमको क्या करना है? भविष्य का सोचो, पास्ट का नहीं सोचो, यानी जो बात हो गई उसी बात को सोचते नहीं रहना। जो समस्या के निमित्त बनते हैं वो तो जाके आराम से सोये हुए होते हैं और हम क्या करते हैं! जो बात बीत गयी उसको ही सोचते रहते हैं, क्यों कहा या ऐसा क्यों किया? कैसे कहा? कब तक कहेगा? यह है कौन? यह कै-कै… में चले जाते हैं।
वेस्ट थॉट के यह पाँच गेट हैं- क्यों, क्या, कब, कैसे और कौन। तो जब हम कै कै करते हैं तो हम कौआ बन जाते हैं। तो कौआ नहीं बनना। जब तक यह पाँच कै कै निकलेंगे नहीं तब तक यह वेस्ट थॉट खत्म होंगे ही नहीं क्योंकि बीती हुई बात को हम सोच रहे हैं और जबकि बीती हुई बात हमारे हाथ में नहीं है। बीती बातों को बिलोना माना बाँहों का दर्द मिलेगा और कुछ नहीं मिलेगा। तो यह जो पाँच शब्द हैं इसे हमको बुद्धि में आने नहीं देना है, यह फाटक बन्द करना है, इससे व्यर्थ संकल्पों की शुरूआत होती है। इसीलिए बाबा कहते हैं मन-बुद्धि की एकाग्रता को बढ़ाओ, एकाग्रता होगी तो निर्णय ठीक होगा। गहन तपस्या के लिए भी एकाग्रता चाहिए। क्यों, क्या आ गया तो वेस्ट थॉट्स की रफ्तार बहुत तेज हो जायेगी। फिर उसको रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है और एकाग्रता भी नहीं रहती। ऐसे में फिर समस्या से मुक्त होना चाहते हैं या फिर योग लगाने बैठो तो यहाँ से योग लग सकता है? इसीलिए बाबा कहता है पहले तो यह जो क्यों, क्या के फाटक हैं… उनको बन्द करो।