अम्बिकापुर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में शिक्षक दिवस पर आयोजित  स्नेह मिलन सम्मान समारोह सम्पन्न

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40 मिनट आप पढ़ा रहें हैं तो आप अकेले नहीं ईश्वर और प्रकृति आपके साथ हैं…कुलसचिव डॉ शारदा प्रसाद त्रिपाठी जी

अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शिक्षाविद् सेवा प्रभाग द्वारा नव विश्व भवन चोपड़ापारा मेें शिक्षक दिवस स्नेह मिलन सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसका विषय था शिक्षक – समृध्द एवं सशक्त राष्ट्र  के मार्गदर्शक ।
समारोह का उद्वघाटन संत गहिरा गुरू विश्व विद्यालय के कुल सचिव डॉ. शारदा प्रसाद त्रिपाठी , राजमोहिनी देवी कृर्षि महाविद्यालय के अधिष्ठाता – डॉ. एस.के.सिन्हा , साईं बाबा कॉलेज के प्रिंसिपल -डॉ राजेश श्रीवास्तव जी,  सरस्वती ज्ञान महाविद्यालय बी.एड. कॉलेज की प्रिंसिपल -डॉ. श्रध्दा मिश्रा, पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य  – राम जी पाण्डेय ,राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित (रिटायर्ड प्रिंसिपल)-डॉ.बृजेश पाण्डेय, सेवाकेन्द्र संचालिका सरगुजा संभाग – बी.के. विद्या दीदी ने द्वीप प्रज्वलित करके किया ।
संतगहिरा गुरू विश्वविद्यालय सरगुजा के कुलसचिव डॉ शारदा प्रसाद त्रिपाठी ने मां भारती का नमन करते हुए कहा कि लोग सोचते हैं कि मंच पर बैठने वाले कुछ देकर जाएंगे लेकिन मेरा यह भ्रम दूर हुआ मैं इस मंच से कुछ सीखकर जा रहा हुं।  उन्होंने कहा  शिक्षक एक संगतकार है एक छात्र का । छात्र खराब है तो संगतकार ठीक नहीं । विद्यालय एक सुन्दर संगीत की  जगह भी है मेरा उस विद्यालय के लिए चिन्तन कितना है । समय के साथ अपने आपको परिवर्तन करना है नही तो हम धराशाही हो जाएंगे। अपनी कक्षा में 40 मिनट मैं राजा हुं अगर मेरा आत्मबल है तो बच्चों को मैं जो दिशा दूंगा उस दिशा में ही बच्चें जाएंगे । जब आप बच्चों को ईमानदारी से 40 मिनट पढ़ा रहें हैं  तो आप अकेले नहीं है प्रकृति और ईश्वर आपके साथ है वह आपको अवश्य मदद करेंगें। अपने आपको देखना है कि मैं कक्षा में जा रहा हुं तो कितना सही बोल रहा हुं और बच्चों को क्या नया दे रहा हुं।
राजमोहिनी देवी कृर्षि विश्व महाविद्यालय के डीन डॉ.एस.के. सिन्हा ने शिक्षकों को नमन करते   हुए कहा कि  टीचर बच्चों का सृजनकार हैं । टीचर के प्रति मन में डर नहीं होना चाहिए लेकिन आदर और सम्मान होना चाहिए। जो सब्जेक्ट पढ़ा रहा हूं अगर बच्चों ने कुछ प्रश्न पूछा जो मुझे नहीं मालूम है तो कहना चाहिए कि मैं कल देखकर बताउंगा तो बच्चों के मन में आपके प्रति सम्मान बढ़ता जाएगा। अगर बच्चों को कुछ भी गलत बता दिया जाए तो बच्चों के आगे हमारी आजीवन छवि खराब हो जाएगी और हम अपना रिस्पेक्ट खो देगें। आगे उन्होंने कहा कि आप बच्चों को अपने व्यवहार से सदा खुश रखें।
सरगुजा संभाग की संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने कहा कि शिक्षक अपने आपमें  स्वतरू ही सम्मानित हैं क्योंकि वे अनेेक युवकों के जीवन को संवारने तथा जीवन जीने कला सीखाते हैं । शिक्षक एक शिल्पकार हैं जो सुन्दर र्मूिर्त का निर्माण करते हैं। उन्होंने आगे कहा शिक्षक को संस्कृत में आचार्य कहतें हैं आचार्य अर्थात् जो अपने आचरण से शिक्षा दे। शिक्षा का अर्थ है स्वयं को पहचानना । शिक्षा हमारे जीवन में व्यवसायिक क्षमता लाती है,बुध्दि का विकास करती है एवं धनर्पाजन के योग्य बनाती है केवल सबकुछ जान लेना ही शिक्षा नहीं है लेकिन शिक्षा अर्थात् जो हमें नैतिक और चारित्रिक उन्नति की ओर ले जाए जो हमारे कर्मो को श्रेष्ठ बनाए। वर्तमान शिक्षा प्रणाली में केवल भौतिक शिक्षा को महत्व दिया जा रहा है वैल्यु को नहीं। जब तक हमारे जीवन में भौतिक शिक्षा के साथ -2 चारित्रिक और नैतिक गुण नहीं आएंगे तब तक हम श्रेष्ठ संसार का निर्माण नहीं कर सकते । उन्होंने कहानी के माध्यम से बताया कि  आध्यात्मिक ज्ञान के द्वारा ही हमारा जीवन मूल्यवान बन सकता है। शिक्षक को इंग्लिश में टीचर कहते हैं । टीचर अर्थात् T-Trained, E-Equality, A-Administration, H- Humility, E-Etiquette, R-Responssiblity इन गुणों के साथ बच्चों के जीवन को संवारकर श्रेष्ठ राष्ट्र के निर्माण में सहयोगी बन सकते हैं। अन्त में उन्होंने कॉमेन्ट्री द्वारा राजयोग मेडिटेशन की अनुभूति करायी।
पॉलिटेक्निक कॉलेज के प्राचार्य – राम जी पाण्डेय ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् की विशेषता बताते हुए कहा कि वे शिक्षाधिकृत,राजनयिक और राष्ट्रपति  तीनों रूप में अपनी सेवाएं दी। उन्होंने पहले और अभी की शिक्षा में  और गुरू एवं शिक्षक में भी काफी अन्तर बताते हुए कहा कि शिक्षक का काम हम कर रहे हैं और गुरूओं का काम यह ब्रह्माकुमारी  बहनें कर रही है एवं  अभी गुरू और शिष्य के बीच जो जुड़ाव और आत्मीयता थी उसमें भी दूरी आ गई है। जो 10 साल  पहले थी उन्होंने कहा कि शिक्षक और शिष्य के बीच दूरियां क्ंयू बनती जा रही है इस विषय में विचार सागर मंथन की आवश्यकता है।
साईंबाबा कॉलेज  के प्रिंसिपल – डॉ राजेश श्रीवास्तव जी ने  शिक्षक शब्द को गौरवपूर्ण बताते हुए कहा कि भारतीय शिक्षा प्रणाली विरासत में मिली हुई है। पहले की शिक्षा में संस्कार हुआ करता था आज की शिक्षा पध्दति से केवल बेरोजगार की फौज खड़ी हो रही है इनके जिम्मेवार कहीं न कहीं माता -पिता और शिक्षक ही है।  उन्होंने आज की शिक्षा प्रणाली को देखते हुए बताया जो पढ़ाया जाता है उनके व्यवहारिक जीवन में काम आता नहीं जो व्यवहारिक जीवन में काम आता है वह पढ़ाया जाता नहीं है । परिस्थियां हमारे प्रतिकुल होंगे परन्तु हमें घबराना नहीं है। आप अपने च्वॉइस से बने हो या मजबूरी से बने हो आपके पास कोई विकल्प ना हो शिक्षक बन गये हो लेकिन ऐसा नहीं यह आपकी गलतफहमी है आपके भाग्य में शिक्षक , राष्ट्र निर्माता व भाग्य विधाता बनना था इसलिए ईश्वर ने आपको शिक्षक बनाया  ।
सरस्वती ज्ञान महाविद्यालय बी.एड. कॉलेज की प्रिंसिपल – डॉ श्रध्दा मिश्रा  ने कहा कि टीचर कुम्हार भी होता है और सृजनकर्ता भी होेता है। अगर समाज में शिक्षक नहीं होता तो अंधकार से  प्रकाश नहीं होता ।गुरू का अर्थ ही है अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाना । शिक्षक का दायित्व है कि अगर बच्चा कोई गलती कर रहा है तो उसको सुधारना भी है।
राष्ट्रपति से सम्मानित रिटायर्ड – डॉ. बृजेश पाण्डेय जी ने कहा जब बच्चा विद्यालय में आता है वह एक कोरे कागज की तरह होता है और जितने भी प्रभावशाली व्यक्तित्व उनके सामने से गुजरते हैं वह अपनी छाप उस कोरे कागज के उपर छोड़ते जाते है और वही आकृतियां स्वप्न के रूप में साकार होने लगते हैं उस स्वप्न को साकार होने में शिक्षक निरन्तर अपने समर्पित भाव से संलग्न होकर उसके लक्ष्य को साकार करते है।
इस कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बसमती बहन ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन् के जीवन परिचय को रोचक ढंग से विस्तारपूर्वक बताया एवं परमशिक्षक के शिक्षाओं का भी वर्णन किया।
इस अवसर पर कुमारी अदिति,मणिकणिका एवं पावनी  ने स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के अंत में माननीय अतिथियों का , राज्यपाल सम्मानित शिक्षकों  एवं रिटायर्ड शिक्षकों का सॉल, श्रीफल ईश्वरीय सौगात एवं पौधा भेंट कर सम्मान किया गया। एंव  कार्यक्रम में आए सभी शिक्षकगणों को भी ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा श्रीफल,पौधा एवं ईश्वरीय सौगात भेंट कर सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम का सफल संचालन ब्रह्माकुमारी प्रतिमा बहन ने किया ।

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