भोरा कलां: भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति का विशेष स्थान – मीनाक्षी लेखी- महिलाओं के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ-

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ब्रह्माकुमारीज़ के महिला प्रभाग ने किया कार्यक्रम का आयोजन

भोरा कलां-गुरुग्राम,हरियाणा: भारतीय संस्कृति में शक्ति का विशेष सम्मान होता है। नारी शक्ति का रूप है। उक्त विचार भारत सरकार की पूर्व संस्कृति और विदेश राज्यमंत्री माननीय मीनाक्षी लेखी ने व्यक्त किए। ये बात उन्होंने ब्रह्माकुमारीज के ओम शांति रिट्रीट में संस्कृति की संरक्षक महिला विषय पर तीन दिवसीय महिला सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में महिलाओं को श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। लेकिन सामाजिक असंतुलन के कारण महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। असंतुलन का कारण वैचारिक विकृति है। इस विचार को ठीक करने का कार्य ब्रह्माकुमारीज़ संगठन ही कर सकता है। वैचारिक शुद्धता से ही सब कुछ सही हो सकता है। उन्होंने कहा कि मां ही बच्चों को संस्कृति के श्रेष्ठ विचार दे देती है।

ब्रह्माकुमारीज़ के महिला प्रभाग की अध्यक्षा राजयोगिनी बीके चक्रधारी दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि भारत देव भूमि है। अनेक प्रकार की संस्कृतियों के आघात के कारण इसका रूप बिगड़ा है। मानव के जीवन से दिव्यता समाप्त हो गई। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान आज समूचे विश्व में परमात्मा के दिव्य संदेश का प्रचार और प्रसार कर रही है। उन्होंने कहा कि विदेशों के लोग भी आज भारतीय संस्कृति को अपने जीवन में उतार रहे हैं।

माउंट आबू, संस्था के महिला प्रभाग की राष्ट्रीय संयोजिका डॉ. सविता ने कहा कि भारतीय संस्कृति दैवी संस्कृति रही है। जहां नारी का सम्मान होता था। कहा भी जाता है कि जहां नारी का सम्मान होता है, वहाँ देवताएं निवास करते हैं। लेकिन आज पाश्चात्य सभ्यता का गहरा प्रभाव भारतीय संस्कृति पर पड़ा है। जिस कारण हम अपने मूल्यों से दूर हो गए। संस्कृति के संरक्षण में नारी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

पूर्व मिसेज गैलेक्सी क्वीन और मिसेज इंडिया इंटरनेशनल सिद्धि सोमानी जौहरी ने कहा कि जितना हम अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, उतना ही सफल होते हैं। महिलाएं किसी भी समाज के विकास का स्तंभ हैं। स्तंभ को सशक्त बनाने के लिए तन और मन का संतुलन जरूरी है। जो आध्यात्मिकता से ही हो सकता है। आध्यात्मिक मूल्य हमें अन्दर से मजबूत करते हैं।

दिल्ली, जमात ए इस्लामी हिंद के महिला प्रभाग की पीआर सेक्रेटरी डॉ. फातिमा तनवीर ने कहा कि नारी की भागीदारी के बिना समाज का कोई भी कार्य संभव नहीं हो सकता। एक नारी ही मां के रूप में बच्चे में अच्छे संस्कार डालती है।

दिल्ली, एम्स की डॉ. उषा किरण ने कहा हमारी संस्कृति अध्यात्म प्रधान रही है। उन्होंने कहा कि वो काफी समय से राजयोग का अभ्यास कर रही हैं। एम्स में भी उन्होंने कई मरीजों को राजयोग के बारे में बताया। जिससे उन्हें बहुत लाभ हुआ।

गाजियाबाद, मेवाड़ इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की निदेशक डॉ. अल्का अग्रवाल ने कहा कि आध्यात्मिकता से ही जीवन में समृद्धि आती है। उन्होंने कहा कि महिलाएं स्वयं ही अपनी गिरावट का कारण हैं। नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों की धारणा से ही नारी सशक्त हो सकती है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मंचासीन मेहमानों का स्वागत पुष्प गुच्छ एवं शॉल ओढ़ाकर किया गया। गीत एवं नृत्य के द्वारा भी कलाकारों ने सबका स्वागत किया। दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। बीके हुसैन ने कार्यक्रम का संचालन किया। काफी संख्या में महिलाओं एवं अन्य लोगों ने कार्यक्रम में शिरकत की।

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