अम्बिकापुर: ब्रह्मा कुमारीज़ द्वारा चैतन्य देवियों की भव्य झांकी का आयोजन

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अम्बिकापुर, छत्तीसगढ़: शारदीय नवरात्रि के पावन  अवसर पर गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईशवरीय विश्व विद्यालय द्वारा चोपड़ापारा में चैतन्य देवियों की भव्य झांकी का आयोजन किया गया है। झांकी का शुभारंभ नवाबिहान ग्रुप – संतोष दास जी, वन्दना दत्ता,मंगल पाण्डे, आर्ट ऑफ लीविंग के संचालक – अजय तिवारी एवं सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी ने द्वीप प्रज्वलित एवं आरती कर के किया। तत्पष्चात् झांकी में उपस्थित संतोष दास जी ने अपनी पंक्तियों  –
तन को दीपक बनाके मईया,मन को बाती बनाके
भक्ति की तु ज्योत जगा दे,दर पे तेरे सवाली है।
के माध्यम से सभी को नवरात्र की शुभकामनाएं दी।
वहीं सामाजिक कार्यकर्ता वन्दना दत्ता ने इन चैतन्य देवियों की स्थिति अर्थात् ध्यान,एकाग्रता,एकरस स्थिति, एकमुद्रा एवं शक्ति स्वरूपा होने का माध्यम राजयोग मेडिटेशन द्वारा परमात्मा से अपना कनेक्सन जोड़ना बताया।
और मंगल पाण्डे ने इन चैतन्य देवियों का गुणगान करते हुए कहा कि हम यहां आकर साक्षात् देवियों का दर्शन करते हैं । हम अपने दैनिक जीवन के भागदौड़ में कई बातों,समस्याओं से ग्रस्त रहते हैं। इन समस्याओं के समाधान,शान्ति,नैतिक कल्याण के लिए यह संस्था कई वर्षों से मानव मन के अन्दर की कमियों को दूर करने का कई प्रोग्रामों द्वारा ध्यान,मेडिटेशन के माध्यम से लोगों को प्रेरित करते रहते हैं। उन्होंने इसके लिए आभार व्यक्त किया।
आर्ट ऑफ लीविंग के संचालक अजय तिवारी ने कहा नवरात्रि वास्तव में मां के नौ महिने गर्व का यादगार ,उनके दायित्व,कर्त्तव्यों का निर्वहन यह नवरात्रि है। हमारे अन्दर जो भी आत्मिक वृत्ति में  संग दोष अन्न दोष या किसी भी प्रकार का विकार दोष को दूर करने का पशु बलि को माध्यम न बनाये क्योंकि वह सब भी मां के बच्चे हैं चाहे बकरा हो या बकरी मुर्गा हो या मुर्गी । बलि देना हीं है तो अपने अन्दर की पषुता का देना है। जैसे महिसासुर मर्दनी मां कहलायी। आज हम भैंस समान जीवन जी रहे हैं अर्थात् माता – पिता जो संस्कार,संस्कृति दे रहे,उन्हें सुनते नहीं । डी.एन.ए. के माध्यम से भी हमारे अन्दर विकार आ गये हैं तो रक्त सोधन करें । साथ ही साथ प्रणायम ,योग ,ध्यान करने को कहा।
अन्त में सेवाकेन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी जी ने बताया कि नवरात्रि – रात्रि अर्थात् अन्धकार आज मानव मन के अन्दर काम,क्रोध लोभ,मोह एवं अहंकार रूपी अंधकार समा गया है। ऐसे समय पर परमपिता परमात्मा धरती पर आकर दैवीय शक्तियों द्वारा इस संसार का परिवर्तन का कार्य करते हैं । जहां नारी का परिवर्तन हो जाए वहां संसार का परिवर्तन निश्चित है । इसलिए परमात्मा ने ज्ञान का कलश मताओं पर और बहनों के सिर पर रखा। उसी यादगार में देवीयों का पूजन होता है। आगे बी. के. विद्या दीदी जीे ने इन देवियों के नामों में छिपे रहस्योें  का वर्णन करते हुए –
दुर्गा अर्थात् जिन्होंने सत्यज्ञान के द्वारा मानव मन के अन्दर के दुर्गुणों को दूर किया।
गायत्री अर्थात् दुखी मन को खुश रखने की कला सिखायी वही वास्तव में गायत्री है
काली अर्थात् अपने अन्दर के विकारों के ऊपर विकराल रूप धारण करे और अपने अन्दर के विकारों को समाप्त करे।
उमा अर्थात्  आज मनुष्य का जीवन पूर्णता नीरस हा चुका है जो ज्ञान के द्वारा उनके अन्दर उमंग उत्साह भर दे।
संतोषी अर्थात् मानव मन अतृप्त मन हो चुका है संतुष्टता उनके जीवन में खत्म हो चुका है। संतुष्टता ही गुणों की खान है संतुष्टता सुख -शान्ति का मार्ग है। वही संतोषी है।

लक्ष्मी अर्थात् जो सबके अन्दर ज्ञान धन बरसाये वह वास्तव में लक्ष्मी है।
तो ये देवियां ज्ञान के द्वारा मनुष्यों को सुख,शान्ति आानन्द देती है। उनका ही प्रतीक है तो आज इस आध्यात्मिक ज्ञान का जीवन में धारण कर अपने अन्दर सुख – शान्ति लाये इस तरह नवरात्रि में नौ देवियों का सुन्दर रहस्य बताते हुए सभी का शुभकामनाएं दी। साथ ही साथ विद्या दीदी जी ने बताया  इस संस्था द्वारा 400 कलात्मक मूर्तियों में छिपे रहस्य केा म्यूजियम के माध्यम से बताया जाता है। जिससे हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होता है । यह चैतन्य देवियों का यह भव्य झांकी खुलने का समय संध्या साढ़े छः से रात्रि दस बजे तक है  और 12 अक्टूबर 2024 तक रहेगा।

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