अब हमारी अवस्था ऐसी हो- धरती पर पांव हैं तो सेवा अर्थ…

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बाबा ने हम बच्चों को ऐसी समझ दी है जो हमें भटकने से छुड़ाती जाती है। मनुष्यों को भक्ति भी बहुत भटकाती है, तो विकार भी भटकाते हैं। विकारों के वशीभूत आत्मा विकारों से छुटकारा पाये- यह बड़ा मुश्किल है। विकारों की कमज़ोरी परमात्मा बाप का बनने नहीं देती। कमज़ोरी सत्यानाश कर देती है। विकारों पर विजय पाने के लिए गुप्त योगी बनना पड़े। शो करने वाला नहीं। शो करने वाला कभी भी भागन्ती हो सकता है। ऊपर से कहेंगे बाबा-बाबा लेकिन अन्दर से जो सच्चा प्यार चाहिए, वह नहीं। बाबा के साथ भी बाबा को झूठा प्यार दिखायेंगे। अन्दर होगी ठगी, चोरी… दूसरे किसी को प्यार करते होंगे ज़रूर। कोई सम्बिन्धयों को प्यार करते होंगे, कोई धन-दौलत से करते होंगे… फिर पार्ट बाबा के साथ ऐसा बजायेंगे, बाबा यह सब तो आपका है। परन्तु एक भी चीज़ को हाथ लगाने नहीं देंगे। अगर तन-मन-धन सब तेरा कहा तो तेरा माना सदा उसकी सेवा में हाजि़र। मन तेरा माना कहाँ भी भटक नहीं सकता। एक बाबा दूसरा न कोई। धन तेरा है माना मेरे पास धन नहीं, जो खिलाओ, जहाँ बिठाओ।
हम बाबा के बच्चे बेफिकर बादशाह हैं, फकीर नहीं हैं लेकिन मस्त फकीर हैं। जहाँ पांव रखें वहाँ बाबा की सेवा। नहीं तो हमको ज़रूरत नहीं है धरती पर पांव रखने की। अब हमारी अवस्था ऐसी हो- धरती पर पांव हैं तो सेवा अर्थ हैं, नहीं तो ऊपर भी हमारे लिए बहुत सर्विस है। चारों ओर सर्विस है। अगर बाबा सेकण्ड में आ जा सकता है तो हम भी तो बाबा के बच्चे सेकण्ड में आ जा सकते हैं! बाबा पतित तन में आया लेकिन भूमि ऐसी पावन बनाई जहाँ आत्मायें आकर पावन बनें। सेन्टर्स फायर ब्रिगेड हैं, जहाँ आग लगे बचाने के लिए, दुनिया के हर कोने में फायर ब्रिगेड हैं। लेकिन बचकर कहाँ जायेंगे? बाबा का घर देख लिया है। विनाश के समय स्थूल में नहीं पहुंचेंगे तो बुद्धि से तो पहुंच ही जायेंगे। इतना हमारा अभ्यास हो, यहाँ आग लग रही है और हम ऊपर चले जाएं। सेकण्ड में अशरीरी बनने की प्रैक्टिस हो, इसकी रिहर्सल करो। हमारे अन्दर बाबा की इतनी याद हो जो कोई भी आत्मा को हमारा यह शरीर दिखाई न पड़े।

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