जितने अनुभव बढ़ेंगे, अनुभवों से विश्वास बढ़ता है। जब हमें दिखाई देगा कि शिव बाबा को सारे बोझ देने से कैसे उसने कार्यों को सफल कर दिया। देर लगी, उसे हम स्वीकार कर लेंगे। तो अनुभव हमारे आत्म विश्वास को बढ़ायेंगे, बाबा में भी विश्वास को बढ़ायेंगे।
ईश्वरीय महावाक्यों में हम अनेक बार सुनते हैं डबल लाइट होकर रहो। बहुत हल्के भिन्न-भिन्न शब्द आते हैं। सारे बोझ मुझे अर्पित कर दो और तुम हल्के हो जाओ। इस संसार में विचरण करते हुए तुम बेफिक्र बादशाह बन जाओ। विचार करेंगे, हमें भगवान साथ दे रहा है। वो हमारे बोझ हरने आ गया है। तो हम बोझ लिए क्यों घूम रहे हैं! क्यों नहीं उससे गहरा नाता जोडक़र मालिक उसे बना दें अपना। पतवार उसके हाथ में सौंप दें। बोझ उसको अर्पित कर दें। और बहुत हल्के रहकर अपनी आध्यात्मिक उन्नति करें। अपने सांसारिक कार्यों को पूर्ण करें। लोग देखें कि इनका भी कितना बड़ा बिज़नेस है लेकिन ये कितने मस्त रहते हैं। हल्के रहते हैं। कभी इनके चेहरे पर हमने टेंशन नहीं देखी। ये कितने खुशनसीब हैं। सचमुच ये बहुत भाग्यवान हैं। हमें तो छोटा-सा बिज़नेस है, फिर भी टेंशन रहती है। तो क्या ये डबल लाइट स्थिति है? कैसे हम हल्के होकर रहें?
डबल लाइट का डबल अर्थ। पहली स्थिति – मैं आत्मा लाइट, ज्योति स्वरूप, और मन भी हल्का। ये होगी डबल लाइट। दूसरा अर्थ – मैं आत्मा लाइट, ज्योति स्वरूप और शरीर भी लाइट का। अर्थात् फरिश्ता। मन हल्का हमारा रहेगा यदि हम आत्मिक स्वरूप में स्थित रहेंगे। जितना-जितना आत्मा का अभ्यास हमारा होगा, आत्मा के स्वरूप को देखना। स्थित होने का अर्थ होता है उसपर स्थिर हो जाना। आत्मिक स्वरूप पर बुद्धि को स्थिर कर दो। स्थिति बनती जायेगी। मन हल्का रहने लगेगा। क्योंकि मन बहुत पॉवरफुल हो जायेगा। और जब मन पॉवरफुल होता है तो उसको सारी बातें हल्की लगती हैं। इट्स नथिंग, ये तो खेल है। जैसे कोई पॉवरफुल व्यक्ति हो और उसको दौडऩा, भागना, कुश्ती करना, बॉक्सिंग करना ये तो खेल होता है ना उसके लिए, एन्जॉयमेंट होता है। कमज़ोर व्यक्ति हो कोई उसको एक मार दे तो वो गिर जायेगा, बीमार हो जायेगा। तो आत्मा, आत्मिक स्वरूप में स्थित रहने से पॉवरफुल होगी। और तत्पश्चात् बहुत हल्की रहने लगेगी। मन हल्का हो जायेगा।
कोई बात यदि मन को बोझिल करती है तो उसको हल्का करने के कई तरीके हैं। अपने में विश्वास रखने से मन बहुत हल्का रहने लगेगा। जब किसी मनुष्य को विश्वास होता है कि हम ये काम बहुत आसानी से कर लेंगे, तो तनावमुक्त रहेंगे ना। और अगर पहले ही लगे कि काम बहुत है, हमारी सामथ्र्य कम है तो पहले से ही भारी हो जायेगा, तनावग्रस्त हो जायेगा। तो अपने में विश्वास। हम ये काम करेंगे, हम ये पुरूषार्थ कर लेंगे। हमारा ये कार्य सफल हो जायेगा।
दूसरी बात भगवान मुझे साथ दे रहा है, इसमें विश्वास। बहुत सुन्दर बात है। बार-बार अपने को याद दिलाओ। एक दिन में नहीं होगा, बार-बार याद दिलाते चलना है। स्वयं सर्वशक्तिवान मेरा साथी है। जो विश्वकल्याणकारी है वो मेरा साथी है। मेरा कल्याण ही होगा, उसने वचन दे दिया है। बोझ मुझको अर्पित कर दो, सबकुछ ठीक हो जायेगा, करते चलें। जितने अनुभव बढ़ेंगे, अनुभवों से विश्वास बढ़ता है। जब हमें दिखाई देगा कि शिव बाबा को सारे बोझ देने से कैसे उसने कार्यों को सफल कर दिया। देर लगी, उसे हम स्वीकार कर लेंगे। तो अनुभव हमारे आत्म विश्वास को बढ़ायेंगे, बाबा में भी विश्वास को बढ़ायेंगे।
तीसरी चीज़ जो हमें बहुत हल्की रखती है। वो है ये ज्ञान, बहुत सुन्दर ये ज्ञान हमें मिला है ना। विश्व ड्रामा का ज्ञान मिला है। क्या हुआ है, क्या होने जा रहा है, तो हम परेशान नहीं हों कि ये क्यों हो रहा है! क्योंकि जो कुछ हो रहा है वो ही तो होना है। उसको कोई चेंज कर ही नहीं सकता। बनी बनाई बन रही। इन सब चीज़ों पर चिंतन करते रहेंगे तो मन बहुत हल्का रहेगा। तो हमें बेफिक्र बादशाह बनना है। हम लम्बे समय हल्के रहने का अभ्यास करें और याद रखेंगे जो स्वयं बहुत हल्के रहेंगे उनकी बीमारियां भी हल्की हो जायेंगी।