नीमच: ब्रह्माकुमारी संस्थान की दीपावली महोत्सव में सैंकड़ों ब्रह्मावत्सों ने भाग लिया

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चैतन्य महादीप परमात्मा से आत्मा की ज्योति जगती है – ब्रह्माकुमारी सविता दीदी
ब्रह्माकुमारी संस्थान की दीपावली महोत्सव में सैंकड़ों ब्रह्मावत्सों ने भाग लिया

नीमच,मध्य प्रदेश। ‘‘इस नश्‍वर संसार की दो चैतन्य शक्तियाँ आत्मा और परमात्मा का जब राजयोग ध्यान के माध्यम से मधुर मिलन होता है तो प्रत्येक मनुष्यात्मा की सुप्त शक्तियां जागृत हो जाती है और आत्मा रूपी दीपक रोशन होकर सुख, शांति, प्रेम व आनन्द की गहन अनुभूति करता है ।’’ यह ज्ञान युक्त रहस्य श्रद्धेय राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने पावन धाम परिसर में आयोजित विशाल दीपावली महोत्सव को संबोधित करते हुए उजागर किये । सविता दीदी ने बताया कि दीपावली पर जन-जन अपने घर, दुकान और ऑफिस की साफ-सफाई तो करता है किन्तु अपने अर्न्तमन में व्याप्त अज्ञान अंधकार और विकारों रूपी गंदगी की स्वच्छता एवं पवित्रता पर ध्यान नहीं देता । आत्म शुद्धि के लिए सत्य गीता ज्ञान एवं राजयोग की शिक्षा का अभ्यास निरंतर अनिवार्य है जिससे सुख, शांति और संपन्‍नता रूपी लक्ष्मी सदैव प्रसन्‍न रहती है ।

इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी सबझोन के सबझोन डायरेक्टर बी.के.सुरेन्द्र भाई ने सभी को दीपावली की शुभकामना देते हुए कहा कि – दीपावली रोशनी का पर्व है, किन्तु केवल स्थूल दीपक प्रज्‍जवलित करने अथवा लाईटिंग कर लेने से ही आत्मा रूपी दीपक का अंधकार नहीं मिटता, महादीपराज परमात्मा शिव से आत्मा का संबंध स्थापित करने से अज्ञान रूपी अंधकार का नाश होता है और ज्ञान की ज्योति से सारा जीवन जगमग हो जाता है ।
इस अवसर पर सद्‌भावना सभागार के मंच पर सुसज्‍जित दीपावली की झांकी में सविता दीदी एवं सुरेन्द्र भाई सहित बी.के.श्रुति बहन, लता बहन, दिव्या बहन, योगिता बहन, मेघना बहन, विशाखा बहन, कृति बहन, प्रियंका बहन, प्राची बहन, अदिती चेलावत के  साथ ही बी.के.शुभम, बी.के.गोपाल ने भी दीप प्रज्‍जवलित किये ।  तत्‌पश्‍चात राजयोगेश्‍वर शिवबाबा के मंदिर के समक्ष प्रांगण में तथा समस्त पावन धाम परिसर में सैंकड़ों भाई-बहनों द्वारा दीप प्रज्‍जवलित कर फुलझड़ियां जलाकर दीपोत्सव मनाया गया । यह कार्यक्रम ब्रह्ममुहुर्त्त की वेला में 3.30 बजे से ही सामुहिक राजयोग ध्यान के द्वारा प्रारंभ हुआ तथा दिव्य सत्संग में ईश्‍वरीय महावाक्यों की मुरली का वाचन भी किया गया । प्रात:कालीन सत्र के दीपोत्सव के अंत में सभी को आत्म स्मृति का तिलक लगाकर महाभोग वितरित किया गया ।

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