अंबिकापुर: अंधकार से प्रकाश की ओर आध्यात्मिक सम्मेलन

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अंबिकापुर, छत्तीसगढ़। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय रामानुजगंज में आध्यात्मिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसका विषय था अंधकार से प्रकाश की ओर आध्यात्मिक सम्मेलन जिस कार्यक्रम में सरगुजा संभाग के संचालिका ब्रह्माकुमारी विद्या दीदी जी,बतौली संचालीका ब्रह्माकुमारी अहिल्या बहन, भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण केसरी जी, दंत चिकित्सक बहन प्रज्ञा गुप्ता ,बहन तनुजा गुप्ता ने कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन कर किया गया। बीके विद्या दीदी जी ने कहा कि दुख और अशांति ही मनुष्य के जीवन का अंधकार है। जब तक आध्यात्मिक ज्ञान नहीं है तब तक हम इन परिस्थितियों का सामना नहीं कर सकते और परिस्थितियों से जूझकर हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा। इसलिए आध्यात्मिक ज्ञान की वर्तमान समय बहुत आवश्यकता है। आध्यात्मिक ज्ञान क्या है? आध्यात्मिकता का अर्थ स्वयं को पहचाना। मैं कौन हूं? मनुष्य अपने आप को नहीं जानता कि मैं कौन हूं ? स्वयं को जानना ही प्रकाश है । मनुष्य अपने आप को देह समझ बैठे हैं और देह समझने के कारण तेरे मेरे की भावना, ऊंच नीच की भावना, छोटे बड़े की भावना, दैहिक भाव से पैदा होता है। आध्यात्मिकता के द्वारा आत्मिक ज्ञान प्राप्त होने से हमारे अंदर का अंधकार समाप्त हो जाता हैं और तेरे मेरे की भावना खत्म हो जाती है । ऐसे समय पर आध्यात्मिक ज्ञान हमें मदद करता है। आत्म ज्ञान से हमारे अंदर की आंतरिक शक्तियां जागृत हो जाती हैं जैसे, सहन करने की शक्ति , सामना करने की शक्ति , सामने की शक्ति, ये सारी शक्तियां मिल जाती है। क्योंकि ये सब हमारे अंदर है लेकिन मनुष्य इसको बाहर ढूंढता है। इसको कहानी के माध्यम से बहुत सुन्दर स्पष्ट किया और अंत में उन्होंने राजयोग मेडिटेशन कराया। बीके अहिल्या बहन ने बताया कि जैसे-जैसे यह रात गहरा होते जाता है वैसे-वैसे अंधेरा बढ़ता जाता है और जैसे-जैसे अंधकार बढ़ता जाता है वैसे-वैसे प्रकाश की महत्व का पता पड़ता है । घोर अंधकार में एक दीपक की मामूली प्रकाश से अंधकार समाप्त हो जाता है। मगर कहां है वह दीपक जो अंधकार को प्रकाश में बदल दे। आज चारों ओर निराशा का साम्राज्य है अंधकार स्थापित हो चुका है । ऐसे समय में अंधेरों से जूझने का आस्था कहां से आए। प्रकाश की किरणो को किस सूरज में ढूंढा जाए।क्या साहित्य में?कला में, राजनीति में ,जन नीति में , विज्ञान में, सब में निराशा का माहौल है ,निराशा के माहौल में आशा का दीपक जगाने के लिए अपने विचारो को अच्छा बनाए जिससे अज्ञानता रूपी अंधकार समाप्त हो जायेगा हैं तो निराशा से बचने का एक ही उपाय है कि मनुष्य आत्म निरीक्षण करें , आत्म अवलोकन करें। अरुण केसरी ने ब्रह्मा कुमारी संस्था जो कार्य कर रही हैं। उस कार्य का सराहना करते हुए संस्था से जो उनको ज्ञान मिला ।उनके जीवन में जो बदलाव आया उसको सबके सामने साझा किया यह चक्का चौंध की दुनिया में हम सब अपने आप को भूल चुके हैं कि हम वास्तव में है कौन वह हमारा जन्म इस पृथ्वी पर किस लिए हुआ है और सबको 7 दिन का कोर्स करने का अनुरोध किया। प्रज्ञा गुप्ता ने कहां कि मैं भी बचपन से आध्यात्मिक परिवार से जुड़ी हुई हूं । आध्यात्मिकता से जीवन में खुशी और संतुष्टता मिलती है । कई लोग मनोबल को कमजोर करते हैं लेकिन आध्यात्मिकता मनोबल को बढ़ाता है। तनुजा गुप्ता ने कहा कि अंदर का अंधकार को समाप्त करके जीवन में, ज्ञान, गुण ,शक्ति ,शांति का अलख जगाने का काम ब्रह्माकुमारी दीदी लोग कर रहे हैं। इसलिए मै आभारी हूं। तिलक , बैच, गुलदस्ता देकर अतिथियों का स्वागत किया गया।कुमारी खुशी ने स्वागत नृत्य किया। ममता बहन ने मंच संचालन कुशल पूर्वक किया और शहर के गणमान्य उपस्थित थे। राजयोग शिविर का आयोजन किया गया है जिसका समय सुबह ८ से ९ एवं शाम ६ से ७ बजे है।

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