विजय के लिए इंतज़ार नहीं इंतज़ाम करें…

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जब हम सुनते हैं कि परिस्थिति पर स्वस्थिति से विजय पायें, तो परिस्थिति पराई माना बाह्य है, स्वस्थिति अपनी है। लेकिन फिर सवाल उठता है कि परिस्थिति को स्वस्थिति से जीतें कैसे? जब परिस्थिति आती है तभी तो हमारी स्थिति भी डांवाडोल हो जाती है। तब भला कैसे संभव है कि हम जीत जायेंगे, विजय प्राप्त कर लेंगे! उसका कारण क्या है येे जानना ज़रूरी है। प्रैक्टिकल में जब परिस्थिति आती है तब हमारी स्वस्थिति टिकती नहीं है। तो परिस्थिति माना जैसे कि वर्षा ऋतु आती, ठंडी-गर्मी आती, वसंत ऋतु भी आती, ये परिस्थिति है। मौसम तो बदलेंगे ही बदलेंगे लेकिन इन सब ऋतुओं में मुझे उसका प्रबंधन, इंतज़ाम पहले से ही करना होगा। वर्षा ऋतु आएगी तो क्या-क्या आवश्यकता होगी, रेन कोट चाहिए, कैसे बाहर जाना-आना है उसका प्रबंधन करते हैं ना। छाते का इंतज़ाम करते हैं ना। कहीं हमारी छत में लीकेज न हो उसको ठीक करते हैं ना। अगर हमने उसका ठीक से प्रबंधन नहीं किया, इंतज़ाम नहीं किया और इंतज़ार ही करते रहे तो नतीजा क्या होगा! ठंड लग जायेगी, सर्दी-ज़ुकाम पकड़ लेगा, अगर बारिश है तो कहीं आने-जाने में हम भीग जायेंगे, तर-बतर हो जायेंगे। इंतज़ाम ठीक से किया तो ठीक है लेकिन इंतज़ार ही करते रहे कि बारिश आयेगी तो कर लेंगे, तो परिणाम क्या होगा!
तब बाबा ने कहा है कि इंतज़ाम करो, इंतज़ार नहीं। परिस्थितियां आयेंगी, उसका इंतज़ाम करो। आप सारी मुरलियां(परमात्म महावाक्य) पढ़ कर देख लो, बाबा ने हर परिस्थिति के बारे में बताया है और उसका कैसे इंतज़ाम करें वो भी बताया है। कोई ऐसी परिस्थिति नहीं जिसका उपाय बाबा ने मुरलियों में न बताया हो।
जैसे फौजियों के लिए कहानी है ना कि दुश्मन की फौज वहां तक आ गई है…, कहते हैं आने दो अभी तो बहुत दूर है…। तो नतीजा उसका क्या हुआ! कबूतर देखता है कि बिल्ली आ रही है, वो उडऩे के बजाय अपनी आँख बंद कर लेता है कि बिल्ली उसे देख न पाये और बिल्ली जब आकर उसकी गर्दन पकड़ लेती है तब उसको ख्याल आता है कि मेरी गर्दन तो उसके मुँह में है, वो तो आ गई। तो उस वक्त उसका हाल क्या होगा! ऐसे ही हम भी कहते रहते हैं कि बाबा ने सब बताया है कि परिस्थितियां तो आयेंगी ही, लेकिन परिस्थितियों का इंतज़ाम नहीं करते, तो उसका नतीजा क्या होगा, ये हमें प्रभावित करेंगी ही, समय आने पर नहीं होगा, हम असफल हो जायेंगे, हमारी हार हो जायेगी, स्वस्थिति डगमग हो जायेगी, अचल-अडोल नहीं रह सकेंगे, हम विचलित हो जायेंगे। तो पहले से ही इंतज़ाम करो।
हम जो मुरलियां सुनते हैं, वो हमारे अंतर में क्या परिवर्तन ला रही है उसको समझो। दूसरा, ये देखो कि कौन-सी परिस्थिति के लिए बाबा ने कौन-सा इंतज़ाम करने के लिए बताया है, वो करो। बाबा ने बताया है कि इस परिस्थिति के लिए ये बातें ध्यान में रखनी हैं, ये इंतज़ाम करना है। मुरलियां सिर्फ सुनने के लिए नहीं, लेकिन जो बाबा कह रहे हैं, उसे उसी तरह से सुनेंगे, समझेंगे तब समय पर हम इंतज़ाम कर पायेंगे और विजयी हो सकेंगे। तब स्वस्थिति से परिस्थितियों पर जीत पायेंगे।

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