अलीराजपुर, मध्य प्रदेश। मनुष्य अकेला नहीं रह सकता । कहते हैं अकेला या तो देवता रहता है या असुर रहता है । हम जन्म से लेकर मृत्यु तक किसी न किसी मनुष्य के सम्पर्क में रहते हैं । हम जिन व्यक्तियों के सम्पर्क में रहते हैँ उन का प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है । उसी अनुसार हमारा उत्थान और पतन होता है । सधारण भाषा में इसे अच्छे लोग व बुरे लोगो की संगति कहते हैं । जैसे लोगो के साथ समय बिताते हैं वैसे ही बन जाते हैं। अच्छी संगति अच्छा भविष्य, बुरी संगति बुरा भविष्य बनाती है । सब से ज्यादा मित्र प्रभावित करते है । बुरे लोगो का साथ मीठा ज़हर है । जो शुरु में बहुत अच्छा लगता है परंतु परिणाम बहुत बुरा होता है ।जिन्हे संगति बिगाड़ती है वह कभी सुधरते नहीं । वह जब भी एक दूसरे के संपर्क में आयेगें वह वही एक्शन करेगें जो उन्होने भूतकाल में कमजोर क्षणों में किये थे ।संगति तभी प्रभाव डालती है जब उस अनुसार बदलना चाहते हैं । यह विचार इंदौर से ब्रह्मा कुमार नारायण भाई ने उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों को को संगति के प्रभाव पर सम्बोधित करते हुए बताया। बुरी संगति व्यक्ति को नकारा बना देती है । इसलिये संगति सोच कर करे । भावुक व्यक्ति को पता नहीं चलता कि वह बुरी संगति में है या अच्छी संगति में हैं । घर में एक व्यक्ति की बुरी संगति पूरे परिवार को परेशान कर देती है । बुरी संगति थोड़े समय लिये हमे फायदा देती है परंतु अंत में हमे बर्बाद कर देती है । राजा को रंक बना देती हैं । संगति तय करती है कि आप की जीवन बेहतर होगी या बदनाम । जिस व्यक्ति को पता नहीं, गलत क्या है, सही क्या है, वह बुरी संगति में फंस जाता है । अगर जिंदगी में कभी अच्छे व्यक्ति का साथ नहीं मिलता तो अकेले आगे बढ़ो किंतु किसी बुरे व्यक्ति का साथ मत लो । मुश्किलें आप को मजबूर करेगी परंतु आप को बुरी संगति में नहीं जाना । मूर्ख समझदार तथा विद्वान लोगो के साथ रह कर विद्वान बन जाता है । बुद्धिमान मूर्खों के साथ रह कर मूर्ख बन जाता है । अच्छे विचार और अच्छी संगति व्यक्ति में हिम्मत और सकारात्मकता का भाव लाती है ।समाज के निर्णय में, मनुष्य के निर्माण में अच्छी संगति का योगदान होता है ।अच्छी संगति बुद्धि को प्रखर बनाती है । अच्छी संगति वाणी में मिठास लाती है ।अच्छी संगति व्यक्ति को निर्भय बनाती है । अच्छी संगति व्यक्ति को प्रेरणा देती हैअच्छी संगति व्यक्ति के जीवन की दिशा बदल देती है कार्यक्रम के अंत में सभी को एकाग्रता के लिए राज योग का अभ्यास कराया गया। सभी का आभार प्रदर्शित करते हुए विद्यालय प्राचार्य वेकेटेंश मूर्ति जी ने बताया कि विद्यार्थियों को अच्छी संगति करना चाहिए जैसा संग वैसा रंग । अच्छी संगति बुद्धि को श्रेष्ठ एकाग्र शांत चित् बना देती है ।जिसका सफलता में महत्वपूर्ण योगदान होता है।