भोरा कलां: ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शांति रिट्रीट सेंटर के 23 वें वार्षिकोत्सव

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 सबसे बड़ी खुराक है खुशी, बांटने से बढ़ती है खुशी
– जीवन जीने की कला सिखाती है, ब्रह्माकुमारीज़ संस्था – रणबीर सिंह गंगवा
– ओम शांति रिट्रीट सेंटर का 23 वाँ वार्षिकोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया
– संस्था के हजारों सदस्यों सहित 3500 से भी अधिक लोग मौजूद रहे

भोरा कलां, गुरुग्राम,हरियाणा:
ब्रह्माकुमारीज़ जीवन जीने की कला सिखाती है। संस्था पूरे विश्व में शांति का संदेश दे रही है। उक्त विचार हरियाणा सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग एवं लोक निर्माण मंत्री, माननीय रणबीर सिंह गंगवा ने व्यक्त किए। ये बात उन्होंने ब्रह्माकुमारीज़ के ओम शांति रिट्रीट सेंटर के 23 वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही। दादी प्रकाशमणी सभागार में ‘हर कदम खुशी की ओर’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यहाँ आने से ही मन की शक्ति मिलती है। माननीय मंत्री जी ने कहा कि अगर विश्व में शांति आ जाए तो इतने हथियारों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। उन्होंने कहा कि शांति हमारी आंतरिक ताकत को बढ़ाती है। दूसरों को सुख देने से ही ईश्वर हमसे प्रसन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि राजयोग को हमें अपने कार्य क्षेत्र में सम्मिलित करना चाहिए।

सीबीआई के पूर्व निदेशक डॉ. डी. आर. कार्तिकेयन ने कहा कि योग दवा का कार्य तो करता ही है। लेकिन उससे भी ज्यादा ये चमत्कारिक कार्य करता है। आज बच्चे भी ड्रग्स की चपेट में आ रहे हैं। इसलिए योग और ध्यान की शिक्षा स्कूली स्तर से शुरू होनी चाहिए। ताकि बच्चों में अच्छे संस्कार आएं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की पूर्व संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार नारायणी गणेश ने कहा कि योग से मन की चंचलता खत्म होती है। उन्होंने कहा कि वो खुद रोजयोग का अभ्यास करती हैं। ब्रह्माकुमारीज़ संस्था राजयोग के द्वारा मानवता के लिए बहुत महान कार्य कर रही है।

जिंदल लाइफस्टाइल कम्पनी की क्रिएटिव डायरेक्टर एवं एमडी दीपिका जिंदल ने कहा कि वो तीन वर्षों से राजयोग का अभ्यास कर रही हैं।  उन्होंने कहा कि योग से उनका जीवन पूरी तरह बदल गया।

ब्रह्माकुमारीज़ संस्था की संयुक्त प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि ज्ञान से जीवन में परिवर्तन आता है। स्व-परिवर्तन से विश्व परिवर्तन सम्भव है। उन्होंने कहा कि इस विश्व रंगमंच पर हरेक की अपनी-अपनी भूमिका है। हमें किसी से अपनी तुलना नहीं करनी है। दूसरों से तुलना करने से ही हमारी खुशी गायब होती है। दूसरों को खुशी बांटने से ही खुशी मिलती है। खुशी सबसे बड़ी खुराक है। दूसरों को आगे बढ़ाना ही आगे बढ़ना है।

संस्था के प्रमुख महासचिव राजयोगी बीके बृजमोहन ने कहा कि आत्म स्वरूप की स्मृति ही दुखों से मुक्त करती है। स्नेहयुक्त ईश्वरीय स्मृति ही हमें असली शक्ति प्रदान करती है।

ओआरसी की निदेशिका राजयोगिनी आशा दीदी ने अपने स्वागत वक्तव्य में कहा कि दादियों की मेहनत और लगन से ही ये स्थान आज इतनी सुंदर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करने के लिए देश-विदेश की अनेक प्रमुख हस्तियों का आना हुआ। राजयोगिनी गीता दीदी ने भी कार्यक्रम के प्रति अपनी शुभकामनाएं व्यक्त की।

दिल्ली, लारेंस रोड़ से बीके लक्ष्मी ने राजयोग का अभ्यास कराया। कार्यक्रम में वार्षिकोत्सव के उपलक्ष पर केक कटिंग भी की गई। हर वर्ष की तरह ओआरसी के द्वारा अनेक खेलकूद प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गई। कार्यक्रम में विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर पटौदी से माननीय विधायक विमला चौधरी भी उपस्थित रही।

राष्ट्रीय भारतीय शास्त्रीय नृत्य संस्थान के बच्चों ने ‘ये कौन चित्रकार है–‘ गीत पर नृत्य के द्वारा अपनी कला प्रदर्शित की। बीके रीना ने गीत के माध्यम अपनी सुंदर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में संस्था के हजारों सदस्यों सहित 3500 से भी अधिक लोग मौजूद रहे। मंच संचालन बीके उर्मिल एवं बीके संदीप ने किया।

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