मेहनत और प्रयास से मुश्किल का हल

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एक किशोर नाम का लडक़ा जब छोटा था तब उसके पिता की ज़मीन साहूकारों ने हड़प ली, इसलिए गम में किशोर के पिता की मृत्यु हो गई थी। किशोर की माँ लोगों के घर जा-जाकर काम किया करती थी। किशोर की माँ ने उसे पाला और अपनी सारी ख्वाहिशों को भूलकर किशोर को बड़ा किया। किशोर की माँ को लोग अक्सर लाचारी की नज़र से देखते थे। क्योंकि शादी के कुछ सालों बाद ही किशोर के पिता की मृत्यु हो गई थी। किशोर पढ़ता-लिखता नहीं परंतु किशोर की माँ को अपने बेटे से बहुत ज्य़ादा उम्मीदें थीं कि वह अपने पिता के अपमान का बदला लेगा।
पर समय के साथ किशोर की माँ समझ गई कि किशोर अपने पिता के अपमान को भूल गया है इसलिए वह पढ़ता-लिखता नहीं है। इसलिए किशोर की माँ ने फैसला किया कि वह किशोर को शहर भेज देंगी। किशोर की माँ के लिए इतना पैसा जोडऩा मुश्किल था इसलिए उन्होंने अपने गहने बेच दिए जो कि उनकी आखिरी पूंजी थे।
किशोर शहर चला गया और वह वहाँ भी पढ़ाई-लिखाई नहीं किया करता था। उसे अपनी माँ पर ज़रा भी तरस नहीं आता था जबकि किशोर की माँ बहुत मेहनत किया करती थी।
जब 11वीं कक्षा की परीक्षा के लिए किशोर से क्रक्रतीन हज़ार मांगे गए तब किशोर ने अपनी माँ को कहा कि माँ मुझे दस हज़ार की ज़रूरत हैञ्जञ्ज किशोर की माँ ने कुछ दिनों बाद दस हज़ार रूपए भेज दिए।
कुछ समय बाद गाँव के सरपंच का फोन किशोर के पास आया और सरपंच ने उसे कहा कि तुम्हें एक बार अपनी माँ से मिलने ज़रूर आना चाहिए शायद तुम जानते नहीं हो तुम्हारी माँ किस स्थिति से गुज़र रही है।
यह सुनकर किशोर को अजीब लगा और वह दूसरे दिन ही गाँव पहुंच गया। उसने देखा कि किशोर की माँ की तबीयत बहुत ज्य़ादा खराब है मानो जि़ंदगी के आखिरी लम्हे जी रही हो।
वह चाहती तो अपना इलाज करवा सकती थी। पर उन्होंने किशोर को वह पैसे दे दिए जबकि किशोर ने सात हज़ार रूपए ज्य़ादा बताए थे।
यह देख किशोर की आँखों में आंसू आ गए। तब गाँव के लोगों ने बताया कि तुम्हारी माँ की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है वह सबसे यह कहती रहती है कि क्रमेरा बेटा अफसर बनकर आएगाञ्ज यह सुनकर किशोर रोने लगा। क्योंकि वह शहर में भी पढ़ाई नहीं करता था और अक्सर खर्च करने के लिए माँ से फालतू खर्ची मांगता रहता था। किशोर को खुद पछतावा हो रहा था कि वह अपनी माँ की तकलीफों को न समझ सका और जीवन का आनंद लेता रहा।
सभी गाँव वाले चले गए, किशोर अपनी माँ के पास बैठा था और बस रोए जा रहा था मानों उसने जीवन की सबसे बड़ी गलती की हो। वह कुछ दिनों तक गाँव में रूका और परीक्षा से पहले शहर चला गया उसने खुद को पूरी तरह बदल दिया और दिन-रात पढऩे लगा।
उसने खुद को कमरे में बंद कर दिया और सब पढ़ता ही रहता था। उसने सबसे बोलना बंद कर दिया और परीक्षा पास करी। वह शहर में पढ़ाई के साथ-साथ फूड डिलीवरी की नौकरी भी करने लगा।
जिससे उसकी पढ़ाई का खर्चा निकल जाता था और वह कुछ पैसे अपनी माँ को भी भेज देता था। वह कुछ दिनों बाद माँ से मिलने जाता रहता था।
इस प्रकार वह मेहनत करता गया और एक समय ऐसा आया जब उसने अपनी माँ के पास खत भेजा, जिसमें लिखा था माँ मैं आईएएस ऑफिसर बन गया हूँ। कुछ दिनों में गाँव आ जाऊंगा यह पढक़र किशोर की माँ ने सबको चिल्ला-चिल्ला कर बताया। और बहुत रोई, उसकी खुशी देख गाँव के लोगों की आँखों में भी आँसू आ गए कि एक माँ की मेहनत रंग लाई।

सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि माँ-बाप के त्याग और कठिनाइयों को समझना चाहिए। मेहनत और प्रयास से किसी भी मुश्किल को हल किया जा सकता है। जिसके लिए हमारा शिक्षित होना बहुत ज़रूरी है।

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